स्वामित्व योजना में मिलेंगे ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे।SWAMITVA SCHEME।

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स्वामित्व योजना में मिलेंगे ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे।SWAMITVA SCHEME।

स्वामित्व योजना में मिलेंगे ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे।SWAMITVA SCHEME।

स्वामित्व योजना में मिलेंगे ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे।SWAMITVA SCHEME।

स्वामित्व योजना में मिलेंगे ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे।SWAMITVA SCHEME।

क्या है स्वामित्व योजना?

पूरे प्रदेश में ड्रोन सर्वे की सहायता से राजस्व गांवों में आबादी क्षेत्र की संपत्ति के डिजिटल पट्टे जारी करने संबंधी स्वामित्व योजना में तेजी से कार्य जारी है। स्वामित्व योजना एक ऐसी योजना है जो ग्रामीण क्षेत्रों के आबादी को चिन्हित कर आबादी क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों को डिजिटल पट्टे जारी करेगी। स्वामित्व योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को डिजिटल पट्टे दिए जाएंगे। इसे भारत सरकार अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं में गिन रही है।

राजस्थान में स्वामित्व योजना

पंचायतीराज दिवस 24 अप्रैल 2020 को प्रारंभ हुई स्वामित्व योजना के पायलट फेज में प्रदेश के 2 जिलों जैसलमेर और दौसा को शामिल किया गया था। इसके बाद यह योजना 24 अप्रैल 2021 से संपूर्ण देश में प्रारंभ हो चुकी है। इसके अंतर्गत दौसा एवं जैसलमेर के अलावा राजस्थान के छ: अन्य जिलों में इसे प्रारंभ किया गया था। योजना में जैसलमेर, जयपुर, दौसा, जोधपुर, टोंक, अजमेर, बूंदी, पाली, जालौर एवं गंगानगर जिलों में ड्रोन सर्वे कार्य प्रारंभ किया गया। जिनमें दौसा में प्रथम चरण के सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। और जैसलमेर में सैकड़ों ग्रामीणों को पट्टे जारी किए जा चुके हैं। वर्तमान में 19 ड्रोन के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है और आने वाले समय में ड्रोन की संख्या को बढ़ाकर 29 कर दिया जाएगा।

राजस्थान में 33 जिला परिषद, 352 पंचायत समिति, 11304 ग्राम पंचायत एवं 46354 राजस्व गांव है। राजस्थान में पांच अन्य जिलों में जल्द ही सर्वे प्रारंभ करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया जा चुका है और हर सप्ताह इसकी समीक्षा की जा रही है। स्वामित्व योजना की खास बात यह है कि डिजिटल पट्टे के लिए स्कीम के तहत आवेदन नहीं करना पड़ेगा। सरकार जैसे-जैसे सर्वे और मैपिंग का काम करती जाएगी,वैसे वैसे लोगों को उनकी जमीन का पट्टा मिलता जाएगा। जमीन खुद के नाम होने पर गांव के लोग उसे आसानी से खरीद या बेच पाएंगे। साथ ही बैंक से ऋण आदि की सुविधा भी आसानी से मिल सकेगी। 

स्वामित्व योजना देशव्यापी एक बड़ी परियोजना है।इस योजना में एकत्रित नक्शा और ग्रासरूट्स डाटा का लाभ डिजिटल पट्टों के साथ-साथ विभिन्न विकास योजनाओं में कई रूप में प्रदेश और देश को मिलेगा। प्रदेश में औसतन ड्रोन 1 सप्ताह में 14 बार उड़ान भर रहा है। फिलहाल दौसा, जैसलमेर, जोधपुर, जयपुर, पाली, बूंदी, टोंक, अजमेर, गंगानगर और जालौर में 3200 से अधिक गांवों में प्रथम सर्वे किया जा चुका है।जैसलमेर में 664 पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। 

अगले चरण में सिरोही, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और हनुमानगढ़ के करीब 5985 गांवों में सर्वे किया जाएगा।

स्वामित्व योजना में सम्मिलित विभाग

इस योजना में पंचायती राज विभाग, राजस्व विभाग एवं भारतीय सर्वेक्षण विभाग संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। स्वामित्व योजना के अंतर्गत सबसे पहले ग्राम पंचायत द्वारा पटवारी के सहयोग से संबंधित गांव की आबादी क्षेत्र की चुने से मार्किंग करवाई जाती है। इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेयर्स द्वारा संबंधित राजस्व गांव का ड्रोन सर्वे कर हजारों चित्र लिए जाते हैं। इन इमेज के आधार पर निर्मित प्रथम नक्शा कम्पोजिट इमेज ग्राम पंचायत को सौंपा जाता है। 

प्रथम नक्शा इमेज में अंकित आबादी क्षेत्र की बाहरी सीमा की जांच पटवारी एवं ग्राम विकास अधिकारी द्वारा की जाती है। आबादी के अंदर की सीमाओं की जांच संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ सहायक एवं 2 वार्ड पंच के द्वारा की जाती है।इस जांच में उस गांव का एक वार्ड पंच अनिवार्य रूप से शामिल रहता है। ग्राम पंचायत द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया जाता है। आवश्यक संशोधन करने हेतु नक्शा सर्वे ऑफ इंडिया को पुनः सौंपा जाता है। इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा पुनः संशोधित नक्शा द्वितीय ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराया जाता है। इसे ग्राम पंचायत अपने यहां चस्पा कर 1 माह के भीतर आपत्ति मांगती है। सभी संशोधनों के बाद ग्राम सभा में उसे पास करवाकर डिजिटल पट्टे जारी किए जाने की योजना है।

राजस्थान में स्वामित्व योजना का लक्ष्य

राजस्थान में अगले तीन महीनों में 15 जिलो में ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा हो जाएगा। सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा अतिरिक्त ड्रोन उपलब्ध करवाए जाने पर 1 सितंबर के बाद हर माह करीब 3 से 4 हजार गांवों में सर्वे किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सितंबर 2022 से मार्च 2023 तक 50 ड्रोन लगातार कार्य करेंगे तथा 7 माह में करीब 25000 अन्य गांवों में सर्वे किया जाएगा। 

इस योजना के जरिए आने वाले समय में गांव के लोगों को अपनी आबादी की जमीन का मालिकाना हक मिल सकेगा। गांवों में आबादी क्षेत्रों का डिजिटल डाटा एकत्रित हो जाएगा एवं ग्रामीण राजस्थान और भारत के लिए योजनाएं बनाने में और उन्हें प्रदेश और देश की आर्थिक प्रगति में शामिल करने में मदद भी मिलेगी। धीरे-धीरे यह कदम गांवों के मास्टर प्लान बनाने की महत्वकांक्षी योजना का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

Refrence-SUJAS RAJASTHAN

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