स्वदेश दर्शन योजना में बन रहा है बौद्ध सर्किट।Baudha Circuit In Swadesh Darshan Scheme।
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है।जिसके तार मानव सभ्यता की शुरुआत से जुड़े हुए हैं। भारत की हजारों वर्ष पुरानी इस धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की दिशा में तेजी से सरकार कदम भी बढ़ा रही है। रामायण सर्किट का काम लगभग पूरा हो चुका है एवं अब भगवान बुद्ध की स्मृतियों से जुड़े बौद्ध सर्किट का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी के तहत tourist की वर्षों पुरानी मांग का कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना दिया है।
भारत के 18 राज्यों का बुद्ध से संबंध।
भारत के करीब 18 राज्य ऐसे हैं,जहां पर भगवान बुद्ध से जुड़े हुए कोई न कोई तीर्थ क्षेत्र है। इनमें से कई तो 2000 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं और विश्व भर से लोगों को आकर्षित करते रहे हैं। इसलिए ‘स्वदेश दर्शन योजना‘ के तहत एक बौद्ध सर्किट बनाया जा रहा है।
दरअसल दुनिया में बौद्ध धर्म के 50 करोड़ से ज्यादा अनुयायी है। जापान, कंबोडिया,लाओस, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड जैसे पड़ोसी देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में है। हर वर्ष यहां से हजारों पर्यटक भगवान बुद्ध से जुड़े स्मृति स्थल- लुंबिनी, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर और श्रावस्ती आदि में दर्शन के लिए आते हैं।पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने इन स्थलों को बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित करने क्या निर्णय किया है।
Tourists के आवागमन के लिए बुद्ध सर्किट परियोजना की शुरुआत 1985 में की गई थी। हालांकि शुरुआत में काम की गति बेहद धीमी थी। 2014-15 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 362 करोड रुपए स्वीकृत किए ।
आईआरसीटीसी(IRCTC) पर्यटकों के लिए पहले से ही विशेष बुद्ध सर्किट ट्रेन भी संचालित कर रही है। लेकिन सीधी हवाई सेवा न होने से अभी तक विदेशों से पर्यटक सीधे यहां नहीं आ पाते थे।
अब कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होने से पर्यटकों को आसानी होगी।भगवान बुध का परिनिर्वाण स्थल होने से कुशीनगर का विशेष महत्व भी है। वही कुशीनगर से केवल 150 किलोमीटर की दूरी पर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी है। कपिलवस्तु भी नजदीक ही है।
भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, यह कुशीनगर से 200 किलोमीटर के दायरे में ही आता है। भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया भी अधिक दूरी पर नहीं है। इसलिए कुशीनगर बौद्ध सर्किट का महत्वपूर्ण स्थल है। इसके अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय गया, वाराणसी,कुशीनगर मार्ग पर सड़कों के किनारों पर आवश्यक सुविधाओं को विकसित कर रहा है।
बौद्ध सर्किट परियोजना पर सरकार करीब 10 हजार करोड रुपए खर्च कर रही है। बिहार बुद्ध सर्किट में बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, कहलगांव और पटना शामिल है। इसी प्रकार धर्म यात्रा सर्किट में बिहार का बोध गया, उत्तर प्रदेश के सारनाथ, कुशीनगर और पिपरहवा शामिल है।
विस्तृत धर्मयात्रा में बिहार के बोधगया, विक्रमशिला और उत्तर प्रदेश के सारनाथ, कुशीनगर,कपिलवस्तु, संकिसा और पिपरहवा शामिल है। पड़ोसी देशों से हमारे बेहतर संबंधों में बौद्ध धर्म के महत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समझा है।
“स्वदेश दर्शन योजना” भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पर्यटन योजना|
“स्वदेश दर्शन योजना” भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पर्यटन योजना है | यह योजना विदेशी पर्यटकों को भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों का दर्शन करवाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों में पर्यटकों के लिए सस्ती भारतीय रेल यात्राएं तथा पर्यटन यात्राएं आयोजित की जाती हैं।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटकों को राज्यों की स्थानीय संस्कृति, भोजन, स्थानों की विशेषताएं और उनकी विरासत को जानने का मौका मिलता है। इसके साथ ही स्वदेश दर्शन योजना देश के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार के पैकेज उपलब्ध हैं जो पर्यटकों के बजट और आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों, यात्रा केंद्रों और होटलों में भी स्पेशल डिस्काउंट दिए जा रहे है|
स्वदेश दर्शन योजना में तीर्थयात्रा, विरासत, वन्य जीवन और समुद्र तट पर्यटन जैसे विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य अधिक आगंतुकों को आकर्षित करने और अधिक सुखद यात्रा अनुभव बनाने के लिए चयनित स्थलों पर बुनियादी ढांचे और पर्यटन सुविधाओं का विकास करना है।
स्वदेश दर्शन योजना पर्यटन मंत्रालय की “विशिष्ट विषयों के आसपास पर्यटक सर्किटों का एकीकृत विकास” नामक बड़ी योजना का एक हिस्सा है।
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