आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?।What is Artificial intelligence (AI)?।
पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के चर्चे हो रहे हैं।भविष्य में यह बहुत बड़ी तकनीक की ताकत बनेगी और हमारी जिंदगी के साथ घुल मिल जाएगी। यह न सिर्फ दुनिया में अभूतपूर्व किस्म के बदलाव ला सकती है, बल्कि हमारे रहने, काम करने, पढ़ने-लिखने, यात्रा करने, कारोबार करने,उद्योग चलाने, इलाज करवाने, यात्रा करने जैसे तमाम तौर-तरीके बदल सकती है। माना जाता है कि इसकी वजह से दुनिया में उतना ही बड़ा बदलाव आने वाला है,जितना कि बिजली के आने से आया था।सोचिए आज कौन सा काम है जिसमें किसी न किसी रूप में बिजली की भूमिका नहीं है?
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Credit-pexlab |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) की बदौलत मशीनें बहुत ताकतवर तथा बुद्धिमान हो जाएगी और इंसान की क्षमता से होड़ लेने लगेगी। यह सुनना जहां रोमांचित करता है, वही यह सवाल भी पैदा करता है कि फिर इंसान का क्या होगा? आखिर यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या जिसने दुनिया भर में इतनी सुर्खियां बना दी है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) का मतलब मशीनों या प्रौद्योगिकी के भीतर इंसानों जैसी ही सीखने, विश्लेषण करने, सोचने, किसी बात को समझने, समस्याओं का समाधान करने,निर्णय लेने आदि की क्षमता पैदा हो जाने से है।ये ऐसी क्षमताएं है जो इंसान के पास तो है लेकिन दुनिया के किसी दूसरे प्राणी के पास नहीं है।अगर किसी प्राणी के पास इनमें से एकाध क्षमता है भी तो वह बेहद सूक्ष्म स्तर पर है। लेकिन अब प्रौद्योगिकी ने इतनी तरक्की कर ली है, कि बेजान मशीनों के भीतर इन से मिलती-जुलती क्षमताएं आ गई है।
हमारी इंद्रियां जो काम करती है उनमें से कई काम अब मशीनें भी करने लगी है। वे देख सकती है,सुन सकती है,बोल सकती है चल-फिर सकती है,यहां तक कि स्पर्श को भी महसूस कर सकती है। उन्नत शोध और विकास के अलावा ऐसे कई कारण हैं जिनकी बदौलत यह क्षमता पैदा हो रही है। जैसे बड़ी मात्रा में डाटा का उपलब्ध होना, उसका विश्लेषण करने की काबिलियत पैदा होना, कंप्यूटरों की क्षमता का बहुत अधिक बढ़ जाना, क्लाउड कंप्यूटिंग का विकास, इंटरनेट कनेक्टिविटी आदि।
आप आजकल मशीन अनुवाद, ध्वनि से टेक्स्ट में परिवर्तित करने जैसी सुविधाओं का प्रयोग करने लगे होंगे।यह सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत आप तक पहुंची है।लेकिन समझिए कि यह तो अभी शुरूआत है। बात बहुत आगे तक जाएगी।
कृत्रिम मेधा (
Artificial intelligence) और यंत्र अधिगम यानी मशीन लर्निंग जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी कहा जाता है
प्रौद्योगिकियों एवं मानवीय बुद्धिमता की सहायता करने और सामाजिक आर्थिक समस्याओं से निपटने के प्रचुर अवसर भी मुहैया कराती है।
History of artificial intelligence
Artificial intelligence (एआई) कंप्यूटर सिस्टम द्वारा मानव खुफिया प्रक्रियाओं का अनुकरण है। इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर के विकास और “मशीन लर्निंग” की अवधारणा के साथ एआई का इतिहास 20वीं सदी के मध्य तक चला। एआई के इतिहास में कुछ प्रमुख मील के पत्थर यहां दिए गए हैं:
1950: एलन ट्यूरिंग ने “ट्यूरिंग टेस्ट” का प्रस्ताव दिया, यह निर्धारित करने के लिए एक विधि है कि क्या कोई मशीन बुद्धिमान व्यवहार को मानव के समान, या अप्रभेद्य प्रदर्शित कर सकती है।
1951: मार्विन मिंस्की और डीन एडमंड्स ने पहला न्यूरल नेटवर्क कंप्यूटर बनाया, जिसे SNARC (स्टोचैस्टिक न्यूरल एनालॉग रीइन्फोर्समेंट कैलकुलेटर) कहा जाता है।
1956: जॉन मैक्कार्थी, मार्विन मिंस्की, नथानिएल रोचेस्टर और क्लाउड शैनन ने डार्टमाउथ सम्मेलन का आयोजन किया, जिसे एआई का जन्मस्थान माना जाता है। सम्मेलन में, उन्होंने “थिंकिंग मशीन” के निर्माण का प्रस्ताव रखा और क्षेत्र के लिए एक शोध एजेंडा की रूपरेखा तैयार की।
1965: जोसेफ वीज़ेनबाम ने एलिज़ा विकसित किया, एक कार्यक्रम जो एक मनोचिकित्सक के साथ बातचीत का अनुकरण करता है।
1969: स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI) ने शकी बनाया, एक मोबाइल रोबोट जो अपने परिवेश को देख सकता है और एल्गोरिदम का उपयोग करके घूम सकता है।
1973: पहली एआई सर्दी शुरू होती है, उच्च उम्मीदों और निराशाजनक परिणामों के कारण एआई अनुसंधान में धन की कमी और रुचि की अवधि।1986: दूसरी एआई सर्दी शुरू हुई, जो एआई के क्षेत्र में अति-वादे और कम-वितरण के कारण हुई।1997: आईबीएम के डीप ब्लू ने विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्परोव को हराया।
2011: आईबीएम के वॉटसन ने जॉपार्डी को हराया! चैंपियन केन जेनिंग्स और ब्रैड रटर।
2016: गूगल के अल्फा गो ने बोर्ड गेम गो में विश्व चैंपियन ली सेडॉल को हराया।
आज, एआई अनुसंधान और विकास का एक सक्रिय क्षेत्र है, जिसमें प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, कंप्यूटर दृष्टि, रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणाली जैसे क्षेत्रों में अनुप्रयोग हैं।
कृत्रिम मेधा (Artificial intelligence) और मशीन लर्निंग से उद्योग 4.0 में प्रवेश।
उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों के एक ऐसे युग की शुरुआत करने के लिए तैयार है जो हमारे आसपास की दुनिया के साथ परस्पर प्रभाव के तरीके को पूरी तरह से बदल देगा। कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इंटेलिजेंस -आईए/मशीन लर्निंग/इंटरनेट ऑफ थिंग्स/5जी/ऑगमेंटेड रियलिटी/बिग डाटा/नैनोटेक्नोलॉजी/रोबोटिक्स और 3D प्रिंटिंग विभिन्न उद्योगों में परिचालन,कार्यात्मक और कार्य नैतिक परिदृश्य को बदल रहे हैं।
भारत में निजी तथा सार्वजनिक दोनों उद्यम और केंद्र तथा राज्य सरकारें विनिर्माण से लेकर सेवाओं तक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के लिए निवेश कर रही है।इसी क्रम में राजस्थान सरकार ने जोधपुर में राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल यूनिवर्सिटी निर्माण की शुरुआत कर दी है।भारत में अधिकांश उद्यम पूंजी निधियां अब बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं तथा बीमा क्षेत्र, स्वास्थ्य सेवाओं, ई-कॉमर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और अक्षय ऊर्जा स्टार्टअप की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस परियोजनाओं में हो रहा है।
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