नई प्रौद्योगिकियों के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति का आगाज।Fourth Industrial Revolution starts with new Technologies।
(Highlights:कृत्रिम मेधा(Artificial intelligence), क्लाउड कंप्यूटिंग((Cloud Computing), ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी(Blockchain Technology), क्वांटम कंप्यूटिंग(Quantum Computing), एनएफटी(NFT)और मेटावर्स(METAVERSE)।)

कृत्रिम मेधा(Artificial intelligence), क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing), ब्लॉकचैन(Blockchain Technology)ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी(Blockchain technology), क्वांटम कंप्यूटिंग(Quantum Computing), एनएफटी(NFT)और मेटावर्स (Meta varse) के चमत्कारिक प्रयोग से नए विश्व में चौथी औद्योगिक क्रांति का आगाज हो चुका है।
नई-नई प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ ही अनेकों नई संभावनाएं भी हमारे सामने आ रही है। इस नए बदलाव से इतनी तेजी के साथ नए अवसर भी विकसित हो रहे हैं कि समूची प्रक्रिया को चौथी औद्योगिक क्रांति का नाम दिया जा सकता है।यह नई प्रौद्योगिकीया आधुनिक दौर में दैनिक जीवन का अभिन्न एवं अनिवार्य अंग बनती जा रही है। इनका विस्तार अत्यधिक व्यापक होने के साथ ही इनसे भविष्य की संभावनाओं में भी असीम वृद्धि हुई है।
नई प्रौद्योगिकियों से नए-नए समाधान मिलने से परंपरागत बैंकिंग, औषधि, कृषि और अन्य अनेक क्षेत्रों में जबरदस्त क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहे है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप मशीन लर्निंग, बिग डाटा और रोबोटिक्स का प्रयोग।
डिजिटल सेवाएं अपेक्षाकृत कम जटिल और अधिक प्रभावी है। इनसे प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और सेवाएं पहुंचाने की व्यवस्था करना सरल हो गया है। बैंकिंग और वित्त क्षेत्रों में ग्राहकों की जरूरतों को ठीक प्रकार से समझने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप मशीन लर्निंग, बिग डाटा और रोबोटिक्स का प्रयोग किया जा रहा है।
डिजिटल टेक्नोलॉजी से हमारा जीवन हर कदम पर आसान बनता जा रहा है। प्रशासन के कार्य को अधिक पारदर्शी बनाने और उनकी जवाबदेही तय करने, नागरिकों की इन डिजिटल सेवा की बढ़ती मांग पूरी करने और सरल तथा उच्च गुणवत्ता की सेवाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र इन डिजिटल सेवा को अपना रहे हैं। डिजिटल इंडिया मिशन और पेमेंट सिस्टम भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की नीव है। आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम की उन लोगों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ने में अहम भूमिका है, जो औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था में शामिल नहीं हो सके हैं।
एक अन्य उल्लेखनीय परिवर्तन सीधे लाभ हस्तांतरण अर्थात डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम के माध्यम से आया है। इस व्यवस्था के लागू होने से वित्तीय लीकेज रुक गया है, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत दिए जाने वाले लाभ अब सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगे हैं। आधार से डिजिटल समावेशन सुनिश्चित होता है जिससे सामाजिक सशक्तिकरण की व्यवस्था हो रही है।
एआई/मशीन लर्निंग, आईओटी, 5G, ऑटोमेटिड़ रियलिटी, बिग डाटा, नैनो टेक्नोलॉजी,एनएफटी (NFT) रोबोटिक्स और 3D प्रिंटिंग के आ जाने से समाज में बड़ा सामूहिक बदलाव आ रहा है और विभिन्न क्षेत्रों के कामकाज नीति निर्धारण और संचालन व्यवस्था भी तेजी से बदलती जा रही है।उद्योग 4.0 से प्रौद्योगिकि के युग का सूत्रपात होता दिख रहा है।जिससे हमारा अपने आसपास की दुनिया से व्यवहार पूरी तरह बदल जाएगा।
अमेरिका ने क्वांटम सूचना विज्ञान(Quantum information Science) के बारे में नया प्रारूप बनाया है एवं साथ ही क्वांटम-रोधक क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से साइबर,आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए क्वांटम कंप्यूटरों के खतरों को कम करने की भी बात कही है। एल साल्वाडोर दुनिया की पहली बिटकॉइन सिटी बनाने की कोशिश कर रहा है। जहां बिटकॉइन(Bitcoin) वैध मुद्रा बनाई हुई है।
उसका दावा है कि यह सिटी ज्वालामुखी पर्वत से भूतापीय बिजली प्राप्त करेगी। पानी, बिजली, कचरा प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर, परिवहन, रियल एस्टेट और शहरी योजना जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अवरोधक और प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में विभिन्न उन्नत प्रौद्योगिकीया पूरी तरह सक्षम है। नए दौर की प्रौद्योगिकीयों को अपनाने के कारण बेरोजगारी या रोजगार बदलने की आशंकाओं को देखते हुए प्रोफेशनल लोगों की कुशलता बढ़ाने या उनके कौशल विकास पर ध्यान देना होगा।
भारत में नई प्रौद्योगिकियों का विकास।
भारत भी क्वांटम कंप्यूटिंग क्षमता और चीप निर्माण कौशल के विकास में लगा हुआ है। भारत विश्व के सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बनाने वाले देशों में से है। यहां ड्रोन और रोबोटिक्स उद्योग भी जबरदस्त प्रगति कर रहे हैं और हमारा नया सेमीकंडक्टर कार्यक्रम भी अर्थव्यवस्था में खासी अहम भूमिका निभा रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तथा ऐसी कई प्रौद्योगिकीया ऐसे विश्लेषणात्मक सॉफ्टवेयर है जो हार्डवेयर का पूरा समर्थन करते हैं। भारत सॉफ्टवेयर ऐज ए सर्विस यानी कि सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों के मामले में विश्व के लगभग सभी देशों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बना है।
इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उससे संबंधित प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग से भारत की क्षमता में तेजी से विकास हुआ है।
डॉक्टरी शिक्षा में उपयोगी नई प्रौद्योगिकी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, 3D प्रिंटिंग, डाटा साइंस जैसी नए दौर की प्रौद्योगिकी चिकित्सा क्षेत्र की सभी विशेषज्ञताओ में ही नहीं बल्कि डायग्नोस्टिक्स (रोग निदान) और थेराप्यूटिक्स (उपचार) सहित डॉक्टरी शिक्षा देने के क्षेत्रों में भी उपयोगी भूमिका निभा सकती है।
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