सांपों का देवता जाहिरपीर गोगाजी(Saanpo ka devta Jahirpir lokdevta Gogaji)

सांपों का देवता जाहिरपीर गोगाजी

गोगा जी का जन्म स्थान

नागवंशी चौहान गोगा जी का जन्म ददरेवा चुरु मैं विक्रम संवत 1003 में हुआ था। इनके पिता का नाम जेवर सिंह व माता का नाम बाछल था। गोगाजी को मारवाड़ के पंच प्रमुख पीरों में माना जाता है। मारवाड़ के लोग लोक देवता गोगाजी को सांपों का देवताजाहिरपीर के रूप में पूजते हैं।

गोगाजी की घोड़ी का नाम क्या था?

गोगा जी ने गायों की रक्षा करने के लिए अपने मौसेरे भाइयों अरजन- सर्जन व उनके साथी मुस्लिमों के विरुद्ध युद्ध में वीरगति को प्राप्त किया था। इनकी पत्नी का नाम मेनल था तथा इनकी प्रसिद्ध घोड़ी का नाम नीली घोड़ी था।

गोगाजी का मेला कब भरता है? एवं इनका समाधि स्थल कहां स्थित है?

गोगाजी का समाधि स्थल गोगामेडी, नोहर (हनुमानगढ़) में स्थित है। जहां पर भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगा जी की स्मृति में प्रतिवर्ष विशाल मेले का आयोजन होता है।

गोगामेडी की बनावट मकबरानुमा है एवं उसके दरवाजे पर बिस्मिल्लाह अंकित है। गोगाजी के थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते हैं। लोक देवता गोगाजी का प्रतीक चिन्ह सांप होता है। गोगामेडी का वर्तमान स्वरूप बीकानेर महाराजा गंगा सिंह जी की देन माना जाता है। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता गोगाजी के प्रमुख पूजा स्थल ददरेवा (शीर्षमेडी), गोगा मेडी (धुरमेडी) और गोगाजी की ओल्डी जालौर आदि है।

गोगा राखड़ी क्या होती है?

गोगाजी के नाम की राखी जिसे किसान 9 गांठो में हल और हाली के बांधकर वर्षा ऋतु में प्रथम बार हल चलाते हैं, गोगा राखड़ी कहा जाता है।

शेखावाटी का गोगा नृत्य पूरे राज्य में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। लोक देवता गोगा जी की पूजा अश्वारोही योद्धा के रूप में की जाती है।



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