World Consumar Day(विश्व उपभोक्ता दिवस)

 विश्व उपभोक्ता दिवस (World Consumar Day)-15 March

World Consumer Rights Day 2022 Theme: “Fair Digital Finance”.


विश्व उपभोक्ता दिवस का इतिहास क्या है?

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से प्रेरित था, जिन्होंने 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को एक विशेष संदेश भेजा था, जिसमें उन्होंने औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित किया था। ऐसा करने वाले वे पहले विश्व के नेता थे। उपभोक्ता आंदोलन ने पहली बार 1983 में उस तारीख को चिह्नित किया और अब हर साल महत्वपूर्ण मुद्दों और अभियानों पर कार्रवाई करने के लिए दिन का उपयोग करता है।

उपभोक्ता किसे कहते हैं?

किसी वस्तु अथवा सेवा का मूल्य चुका कर उपयोग करने वाला या सरल शब्दों में कहे तो वस्तु या सेवा का अंतिम खरीददार जिसका उद्देश्य विक्रय करना ना हो उपभोक्ता कहलाता है।

विश्व उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व उपभोक्ता दिवस प्रतिवर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है।क्योंकि 15 मार्च ही वह तारीख थी, जिस दिन सर्वप्रथम उपभोक्ताओं के अधिकारों से संबंधित संबोधन अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा दिया गया था।

कोई भी व्यक्ति किसी माल अथवा सेवा का उपयोग करता है वह उपभोक्ता बन जाता है।और वह उचित मूल्य पर अच्छी किस्म का माल या सेवा चाहता है।फिर भी किसी कारण से सही मात्रा या किस्म की वस्तु उसे प्राप्त नहीं होती। मुक्त अर्थव्यवस्था के दौर में उपभोक्ता बाजार का लगातार विस्तार हो रहा है और नए -नए उत्पाद बाजार में आ रहे हैं। उपभोक्ताओं को सही वस्तु के चुनाव व स्पर्धात्मक मूल्य के साथ उत्पाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करवाने का अधिकार है। इस वातावरण में उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।इन सभी समस्याओं से बचने के लिए उपभोक्ता को शोषण के विरुद्ध संरक्षण चाहिए।

उपभोक्ता के अधिकार क्या है?

उपभोक्ता संरक्षण कानूनों में उपभोक्ताओं को निम्नलिखित अधिकार दिए गए है-
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।
  • जीवन और संपत्ति के लिए परीसंकटमय माल तथा सेवाओं के विपणन के विरुद्ध संरक्षण का अधिकार।
  • अनुचित व्यापारिक व्यवहार या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध पारितोषिक प्राप्त करने का अधिकार।
  • माल अथवा सेवा जैसी स्थिति हो उसे अच्छी क्वालिटी, सही मात्रा, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार। जिससे अनुचित व्यापारिक व्यवहार से उपभोक्ता को संरक्षण दिया जा सके।
  • प्रतिस्पर्धी मूल्य पर विभिन्न किस्मों का माल और सेवाएं सुलभ कराने का आश्वासन दिए जाने का अधिकार।
  • सुने जाने का और यह आश्वासन दिए जाने का अधिकार कि उपभोक्ता के हितों पर समुचित पीठों में समेत रूप से विचार किया जाएगा।


एक उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने के लिए उपरोक्त अधिकार प्राप्त है। यह सभी अधिकार देकर के उपभोक्ता को संरक्षण दिया गया है,क्योंकि एक व्यापारी सदैव अपने लाभ के बारे में ही सोचता है।
और कई बार वह जाने- अनजाने अनुचित लाभ कमाना चाहता है। अनुचित लाभ उठाने के बहुत से कारण होते हैं जो निम्न प्रकार है-
  • किसी वस्तु का एक ही दुकान पर मिलना।
  • वस्तु की मांग अधिक व पूर्ति कम होना।
  • बिना भाव पूछे वस्तु का ले लेना।
  • आपातकालीन खरीद जैसे दवाइयां।
  • वस्तु का माप तोल कम करना।
  • उधार खरीद जैसे- राशन, कपड़ा, फल,सब्जी।
  •  विलासिता की वस्तुओं या साधन।
  • भ्रामक विज्ञापन द्वारा।

इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ही एक उपभोक्ता को संरक्षण दिया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता को उस माल तथा सेवा के विपणन के विरुद्ध संरक्षण दिए जाने का अधिकार होता है, जो जीवन एवं संपत्ति के लिए नुकसानदायक (हानिकारक) हो। सरकार और उसके अधिकारियों का दायित्व है कि वे खतरनाक माल को बाजार में आने से रोके। उपभोक्ता को इस अधिनियम द्वारा आश्वासन दिया गया है ,यदि ऐसे माल का शिकार वह बन गया है जिससे उसका शारीरिक व आर्थिक नुकसान हुआ है। तो उसे इस अधिनियम के तहत गठित न्यायालय से शीघ्र एवं प्रभावी उपचार मिलेगा।

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उपभोक्ता के कर्तव्य क्या होते हैं?

उपभोक्ता को संरक्षण देने के लिए अधिकार दिए हैं तो साथ-साथ उसके लिए कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए गए है। जो निम्न प्रकार है-
  • माल खरीदते समय उपभोक्ता को बिल अवश्य लेना है।
  • वस्तु पर छपा मूल्य व कंपनी को अवश्य देखना है।
  • यदि बाजार में किसी वस्तु की कमी है तो उसका कम से कम उपयोग करें।वस्तु का संग्रहण नहीं करें। आवश्यक नहीं हो तो वस्तु का उपयोग भी ना करें।
  • वस्तु की कीमत अवश्य पूछे ।कम से कम दो-तीन  दुकानों से पूछे। इसमें शर्म ना करें। हो सके तो मूल्य कम करवाने की कोशिश भी करें।
  • जिस दुकान से वह माल खरीदें उसके काटे, बाट नाप-तोल विभाग से प्रमाणित हो।
  • उपकरण खरीदते समय आई एस आई व खाद्य सामग्री करते समय एगमार्क का ध्यान रखें।
  • उपभोक्ता का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य होगा कि वह खरीदे गए माल का समय पर भुगतान करेगा। यदि माल साख पर खरीदा जाता है तो भुगतान की जो समय सीमा निश्चित कि  होगी उस पर भुगतान करना होगा। अन्यथा अगली बार माल की कीमत अधिक भी चुकानी पड़ सकती है। एवं उसको मिलने वाली सुविधाओं में कटौती भी की जा सकती है।

भारत में उन उपभोक्ताओं को संरक्षण देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बना हुआ है।उपभोक्ता के विभि‍न्न हितों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाता है, वहीं हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस भी मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य उभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हितों के लि‍ए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधि‍नियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 कब लागू हुआ?

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लोकसभा में 30 जुलाई, 2019 को एवं राज्यसभा में 6 अगस्त, 2019 को पारित हुआ। जिसे 20 जुलाई 2020 से पूरे भारत में एक साथ लागू कर दिया गया है।

उपभोक्ता सेवाओं में कमी की शिकायत कहां और कैसे करें?

उपभोक्ता का यह कर्तव्य है कि वह शिकायत दर्ज करने से पहले विक्रेता या कंपनी को उसकी वस्तु या सेवा में कमी के बारे में एक नोटिस के माध्यम से सूचित करें। यदि कंपनी या विक्रेता अपने उत्पाद या सेवा को ठीक करने के लिए तैयार हो जाता है।तब मामला वहीं पर खत्म हो जाता है। किंतु,यदि नोटिस देने के बावजूद भी विक्रेता या कंपनी उपभोक्ता की समस्या का समाधान नहीं करती है तब उपभोक्ता द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
          राजस्थान में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने उपभोक्ता निदेशालय बनाया हुआ है। जिसका कार्यालय जयपुर में है। आम उपभोक्ता अपनी शिकायत प्रबंधक राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन जयपुर के नाम से सादा कागज पर कार्यालय में उपस्थित होकर या ऑनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य माध्यमों से भी शिकायत दर्ज करा कर समाधान पाया जा सकता है। जो निम्न प्रकार है:
  1. राजस्थान सरकार की उपभोक्ता हेल्पलाइन का टोल फ्री नंबर 1800 180 6030 है इस पर कोई भी उपभोक्ता फोन कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।
  2. हेल्पलाइन का व्हाट्सएप नंबर 7230 0 860 30 है इस पर उपभोक्ता अपनी शिकायत भेज कर मामले को दर्ज करवा सकता है।
  3. उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट www.consumeradvice.in अथवा उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराने के लिए,निशुल्क विधिक सहायता हेतु इस क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ जैसे कंजूमर एक्शन एंड नेटवर्क सोसायटी इत्यादि में भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।
  4. ई दाखिल पोर्टल पर https://edaakhil.nic.in वेबसाइट पर जाकर उपभोक्ता स्वयं अपनी शिकायत को पंजीकृत करा सकता है। इसमें शिकायत दर्ज होने पर आपकी शिकायत राज्य आयोग एवं संबंधित जिला आयोग में ऑनलाइन दर्ज हो जाती है। एवं फीस का भुगतान भी ऑनलाइन हीं हो जाता है। इससे उपभोक्ता के समय व धन की बचत होती है। इसके माध्यम से आयोग ऑनलाइन ही शिकायतों को स्वीकार या अस्वीकार करने संबंधी निर्णय कर सकता है। यदि परिवादी किसी अन्य आयोग से संबंधित हो तो उसे संबंधित आयोग में भेजा जा सकता है। यह सेवा राजस्थान राज्य में 28 जनवरी 2022 से ई दाखिल पोर्टल के नाम से शुरू की गई है।


उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार वाद दायर हेतु आर्थिक अधिकार क्षेत्र:
उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में ₹50 लाख तक के मामले जिला उपभोक्ता आयोग में, 50 लाख से अधिक किंतु 2 करोड रुपए तक के प्रकरण राज्य उपभोक्ता आयोग में तथा 2 करोड़ से अधिक के मामलों में वाद राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग दिल्ली में दायर करने का प्रावधान किया गया है।

उपभोक्ता आयोग का दायरा क्या है?

उपभोक्ता आयोग के दायरे में केंद्र एवं राज्य सरकार के विभाग जैसे-रेलवे, वायु परिवहन सेवा, सड़क परिवहन, पर्यटन, विदेश घुमाने के लिए सभी तरह की एजेंसी एवं सभी तरह के निजी और सार्वजनिक बैंक, बीमा, आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े अन्य विभाग जैसे चिकित्सा, बिजली, टेलीफोन, पानी, आवासन मंडल, जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम, सभी बिल्डर्स, रियल एस्टेट, निजी एवं सरकारी अस्पताल,वित्तीय कंपनियां सभी तरह की दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट एवं शॉपिंग मॉल आते हैं।

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