What are you most worried about for the future?

What are you most worried about for the future?

Credit – Meta AI

“भविष्य की चिंता तो हर किसे रहती है, म्हारे लिए सबसे बड़ी फिक्र ई है कि ‘पुराणी रीत-रिवाज वाली बातें, नई पीढ़ी की भूलैं में खो जावे’। जैसै कि राजस्थानी कहावत है – ‘जड़ां री जाण, पांवां री पहिचाण’ (जड़ों की पहचान, पैरों की पहचान होनी चाहिए)। अगर हम अपनी भाषा, संस्कृति, और परंपराओं को भूल गए, तो फिर हमारी पहचान क्या रह जावेगी?

दूसरी फिक्र ई है कि ‘पानी री कमी और बढ़दे तापमान सूं हमारो राजस्थान और सूखा न हो जावे’। जैसै कि बुजुर्ग कहैं हैं – ‘बिन पाणी, बिन जीवन’। अगर पानी नी रहस्यो, तो हर चीज बेकार हो जावेगी।

आखिरी गम ई है कि ‘आजकल के भागदौड़ भरा जीवन में इंसानियत न खो जावे’। जैसै कि राजस्थानी कहैं हैं – ‘घड़ा भरपै पाणी, मन भरपै प्रेम’ (घड़ा पानी से भरता है, मन प्रेम से)। अगर मन से इंसानियत और स्नेह खत्म हो गया, तो फिर दुनिया कैसी रह जावेगी?”

सारांश: म्हारी सबसे बड़ी चिंता ई है कि हमारी संस्कृति, प्राकृतिक संसाधन, और इंसानी रिश्ते भविष्य में नष्ट न हो जावें। “जो बीत गया सो बात गई, जो आगे आए सो संभाल लेजो!”

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