राजस्थान में विधानसभा का उद्भव एवं विकास।(1913 से वर्तमान तक)।Rajasthan Vidhan Sabha development journey In Hindi।
विधानसभा भवन राजस्थान |
बीकानेर राज्य(Bikaner State)-Rajasthan Vidhan Sabha
बीकानेर राजस्थान (राजपूताना) का पहला रियासती राज्य था, जिसमें महाराजा गंगा सिंह ने सर्वप्रथम जन प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) की स्थापना में अग्रणी कदम उठाया था। राजपूताना के इस प्रथम विधानमंडल (जनप्रतिनिधि सभा) का उद्घाटन 10 नवंबर, 1913 को हुआ। जन प्रतिनिधि सभा द्वारा नवंबर,1913 से मार्च, 1947 तक 116 सरकारी विधेयक पारित किए गए जिन्होंने कानून का रूप लिया।
बांसवाड़ा राज्य (Banswara State)-Rajasthan Vidhan Sabha
बांसवाड़ा राजपूताना का दूसरा राज्य था।जहां के शासक ने 3 फरवरी, 1939 ईस्वी को राज्य परिषद के गठन की घोषणा करने का कदम उठाया था। रियासती राज्य का दीवान उक्त परिषद का पदेन अध्यक्ष होता था। वर्ष 1939 से 1946 तक परिषद का कुल छ: बार अधिवेशन आहूत किया गया। इसमें मात्र 12 दिवस कार्य हुआ।
जोधपुर राज्य(Jodhpur State)-Rajasthan Vidhan Sabha
जोधपुर रियासत में महाराजा उम्मेद सिंह ने एक प्रतिनिधि परामर्शदात्री सभा के गठन की घोषणा की और 1 अप्रैल, 1941 को इसके लिए संविधान स्वीकृत किया गया। सभा का शुभारंभ 15 फरवरी, 1942 को हुआ। यद्यपि सभा को कोई वित्तीय और विधायी अधिकार प्राप्त नहीं थे तथापि सभा को जन महत्व के विषयों जैसे- शिक्षा, जन स्वास्थ्य, कस्टम, सहकार एवं स्वायत्त शासन से संबंधित कार्यों पर चर्चा करने की शक्ति प्राप्त थी।
उक्त विधानसभा में 52 निर्वाचित सदस्य तथा कुछ मनोनीत तथा पदेन सदस्य थे।वर्ष 1944 में महाराजा द्वारा गवर्नमेंट ऑफ जोधपुर एक्ट पारित किया गया। जोधपुर की प्रतिनिधि परामर्श दात्री सभा की वर्ष 1942 से 1945 के मध्य 10 बैठकें हुई और 64 दिवस कार्य हुआ। मार्च 1947 में सभा के चुनाव संपन्न हुए फरवरी 1947 में सभा के कार्यकाल को घटाकर 4 से 3 वर्ष में परिवर्तित किया गया और मनोनीत उपाध्यक्ष के स्थान पर निर्वाचित उपाध्यक्ष का प्रावधान किया गया।
बूंदी रियासत (Bundi State)-Rajasthan Vidhan Sabha
डूंगरपुर रियासत(Dungarpur State)-Rajasthan Vidhan Sabha
डूंगरपुर में वर्ष 1918 ईस्वी में महारावल ने एक राज शासन सभा का गठन किया जो दीवानी मामलों में रियासत के उच्च न्यायालय तथा आपराधिक मामलों में सत्र न्यायालय की शक्तियां रखती थी। इस राज्य शासन सभा में कुछ सरदार, अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक सम्मिलित थे। वर्ष 1936 में महारावल द्वारा उक्त सभा को विधायी कार्य सौंपा गया। परिणाम स्वरुप यह एक विशिष्ट विधानसभा के रूप में संचालित होने लगी।
जयपुर रियासत(Jaipur State)-Rajasthan Vidhan Sabha
जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वितीय ने 1 जून, 1944 को कॉन्स्टिट्यूशन एक्ट, द गवर्नमेंट ऑफ जयपुर एक्ट, 1944 पारित किया। इस अधिनियम में एक द्विसदनीय विधायिका का प्रावधान था। जिसमें एक प्रतिनिधि सभा तथा दूसरा सदन विधान परिषद था। उक्त दोनों सदनों के लिए 10 तथा 15 मई,1945 को निर्वाचन हुए जिसमें राज्य प्रजामंडल को बहुमत प्राप्त हुआ। उक्त विधायिका का उद्घाटन महाराजा द्वारा 5 सितंबर 1945 को किया गया।
1 मार्च, 1948 को संवैधानिक सुधारों की घोषणा के साथ जयपुर राज्य में पूर्ण जनप्रतिनिधि सरकार का गठन हो गया और जयपुर राज्य विधान मंडल(Rajasthan Vidhan Sabha) ने वास्तविक स्वरूप को प्राप्त किया।
भरतपुर राज्य (Bharatpur State)-Rajasthan Vidhan Sabha
भरतपुर के महाराजा किशन सिंह ने 27 मार्च, 1927 को शासन समिति के गठन की मंशा जाहिर की और सितंबर, 1927 में शासन समिति अधिनियम प्रभावी हुआ लेकिन किन्ही कारणों से समिति अस्तित्व में नहीं आ सकी। वर्ष 1942 में भरतपुर राज्य प्रजा परिषद में सत्याग्रह के फलस्वरुप 1 अक्टूबर, 1942 को भरतपुर राज्य प्रतिनिधि सभा का गठन हुआ। यह सभा 50 सदस्यों की थी, जिसके 37 सदस्य निर्वाचित तथा 13 मनोनीत होते थे। सितंबर, 1943 में समिति (सभा) के चुनाव संपन्न हुए। भरतपुर राज्य प्रतिनिधि सभा (शासन समिति) को शासन पर विधेयकों पर चर्चा करने तथा प्रस्ताव पारित करने की शक्तियां प्रदत्त थी और समिति का कार्यकाल 3 वर्ष का था।
उदयपुर (मेवाड़) रियासत (Udaipur State)-Rajasthan Vidhan Sabha
श्री कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी ने मई, 1947 में मेवाड़ रियासत का संविधान तैयार किया। जिसे महाराजा द्वारा यथारूप 27 मई, 1947 को अनुमोदित (पारित) किया गया। इसमें वयस्क मताधिकार द्वारा निर्वाचित विधायिका का प्रावधान था। मेवाड़ विधायिका में 56 सदस्य थे।जिसमें 51 निर्वाचित तथा 5 मनोनीत होते थे। मनोनीत सदस्यों में सभा का अध्यक्ष, रियासत का प्रधानमंत्री तथा तीन मंत्री होते थे।
प्रथम निर्वाचन 4 अप्रैल 1948 को हुआ इस दौरान ही मेवाड़ राज्य प्रजामंडल द्वारा इसके बायकॉट की घोषणा की गई और मेवाड़ के मुंशी संविधान का अस्तित्व भी समाप्त हो गया।
टोंक रियासत(Tonk State)-Rajasthan Vidhan Sabha
टोंक रियासत के लिए 25 सदस्यीय (12 निर्वाचित एवं 13 मनोनीत) मजलिस-ए-आम का गठन 3 फरवरी,1941 को हुआ। राज्य काउंसिल के उपाध्यक्ष उक्त मजलिस के पदेन सभापति होते थे। मजलिस-ए-आम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के सदस्यों का निर्वाचन पंचायतों के सरपंचों द्वारा, जबकि नगरीय क्षेत्रों से नगरपालिका के सदस्यों द्वारा निर्वाचन किया जाता था।
वर्ष 1941 से 1945 के मध्य मजलिस के मात्र 2 एकदिवसीय सत्र हुए। इनमें केवल एक कानून पारित हुआ। तत्कालीन राजस्थान में आजादी से पूर्व केवल बांसवाड़ा, बीकानेर,जयपुर और मारवाड़ में ही विधानमंडल कर्मशील थे।लेकिन इन विधान मंडलों में समरूपता नहीं थी।यह एक प्रकार के सलाहकार मंडल थे। जिनमें अधिकतर जागीरदार तथा पूंजीपति ही सदस्य होते थे। जनसामान्य का प्रतिनिधित्व नगण्य होता था।
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