On what subject(s) are you an authority?
म्हारा विषय आऊर ज्ञान: एगो राजस्थानी, सिरोही जिल्ला के पालरी-एम गांव का निवासी के रूप में

नमस्कार सा! मैं एगो साधारण राजस्थानी माणस छूं, जो सिरोही जिल्ला के छोटा सा गांव पालरी-एम (Palri-M) का रहने वालो छूं। हमारा गांव अरावली की पहाड़ियों के बीच, प्रकृति की गोद में बसलो है, जहां ऊंच-नीच पहाड़, हरियाली, आऊर सुकून भरा जीवन मिले है। म्हारा जीवन आसपास के पर्यावरण, संस्कृति, आऊर ग्रामीण परंपराओं से भरलो है, आऊर इन्हीं विषयों पर मैं एगो “अथॉरिटी” (जानकार) की तरह बात कर सकूं।
1. राजस्थानी संस्कृति आऊर परंपरा
राजस्थानी संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन हर गांव-कस्बा का अपना अलग रंग-ढंग होता है। पालरी-एम गांव में भी हम लोग अपनी परंपराओं को जीवित राख्या है। यहां के लोकगीत, नाच (घूमर, गैर), त्यौहार (तीज,, गणगौर, दीपावली,होली), आऊर रीति-रिवाज बड़े ही अनोखे हैं। म्हैं बचपन से इन्हें देखत-समझत आयो हूं।
- लोकगीत आऊर संगीत: हमारे यहां मांड आऊर मांगणियार गीत गाये जाते हैं, जो प्रेम, वीरता, आऊर धर्म की कहाणियां सुनावै है।
- त्यौहार: दीपावली पर मान मनुहार , आऊर गणगौर में ईशर-पार्वती की पूजा होती है।
- विवाह रीति: यहां पीठी, जान, पाणिग्रहण जैसे रिवाज बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं।
2. ग्रामीण जीवन आऊर कृषि
पालरी-एम गांव में ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर हैं। हमारा इलाका पहाड़ी होण के कारण पानी की कमी रहती है, फिर भी लोग बारानी खेती (वर्षा आधारित) करते हैं।
- मुख्य फसलें: मक्का, बाजरा, गेहूं, आऊर चने की खेती होती है।
- पशुपालन: गांव में गाय, भैंस, बकरी पालन भी होता है। दूध, घी, छाछ हमारे दैनिक आहार का हिस्सा है।
- जल :: गर्मियों में कुएं सूख जाते हैं, किन्तु वर्षा ऋतु में पर्याप्त मेघ बरस जावे।।
3. स्थानीय भाषा आऊर बोली
म्हारी मातृभाषा मारवाड़ी (राजस्थानी) है, जो पालरी-एम आसपास के गांवों में बोली जाती है। इसमें कई अनोखे शब्द आऊर मुहावरे हैं, जो शहरी लोग नहीं समझ पाते। जैसे:
- “ढोक लागण” – भूख लगना
- “फट्टे होण” – थक जाना
- “झींगट मारण” – झगड़ा करना
4. पहाड़ी जीवन आऊर प्राकृतिक संसाधन
सिरोही जिला पहाड़ों से घिरो है, आऊर पालरी-एम भी अरावली की गोद में बसलो है। यहां के लोग पहाड़ों से जुड़े हुए हैं:
- जंगल: यहां खैर, आम, नीम, आऊर बबूल के पेड़ मिलते हैं।
- जानवर: लोमड़ी, नीलगाय, खरगोश, आऊर कभी-कभी तेंदुआ भी देखने को मिल जाता है।
- पानी के स्रोत: गांव में कुएं, बावड़ी, आऊर छोटे तालाब हैं, जो गर्मियों में सूख जाते हैं।
5. सामाजिक चुनौतियां
हालांकि गांव का जीवन सुकून भरो है, लेकिन कई समस्याएं भी हैं:
- शिक्षा की कमी: स्कूल दूर होण के कारण बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- रोजगार: युवा पलायन करके अहमदाबाद, उदयपुर जाते हैं।
- स्वास्थ्य सुविधाएं: डॉक्टर आऊर दवाई की कमी है।
6. म्हारा अनुभव: एगो स्थानीय के रूप में
मैंने अपने गांव में जीवन के हर पहलू को भोग्यो है—खेत में काम करण, पशु चराण, गांव की चौपाल पर बैठक में सामाजिक मुद्दों पर चर्चा, आऊर त्यौहारों में शामिल होण। म्हारा ज्ञान किताबी नहीं, बल्कि अनुभव आधारित है।
निष्कर्ष
मैं एगो साधारण ग्रामीण छूं, लेकिन म्हारे पास म्हारी संस्कृति, भाषा, पर्यावरण, आऊर सामाजिक जीवन का गहरो अनुभव है। अगर कोई राजस्थान के ग्रामीण जीवन, सिरोही की पहाड़ी संस्कृति, या मारवाड़ी भाषा के बारे में जानना चाहे, तो मैं उनका मार्गदर्शन कर सकूं।
जय राजस्थान! जय म्हारो पालरी-एम!