देश में राजस्थान ने ऐसा पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया जिसने विद्यालयों में शनिवार को नो बैग डे घोषित किया था। इस अनूठे नवाचार को लेकर मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की सोच को दूसरे प्रदेशों में भी सराहा गया है। राजस्थान को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसे अपनाया है।
नो बैग डे राजस्थान।NO BAG DAY RAJASTHAN IN HINDI.
राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अपने दूसरे बजट में सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को नो बैग डे घोषित किया था ताकि स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई का बोझ कुछ हद तक कम किया जा सके।साथ ही उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
वैसे भी पिछले कई वर्ष से अनेक शिक्षाशास्त्री,मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री दोहरा रहे हैं कि हमारी शिक्षा परीक्षा प्रणाली बहुत ही मशीनी होती जा रही है। अंक केंद्रित मूल्यांकन पद्धति ने बच्चों को गहरे दबाव व अवसाद में डाल दिया है।जिसकी वजह से उनकी सहजता नष्ट हो रही है। वे बेहद चिड़चिड़ा और अवसाद ग्रस्त होते जा रहे हैं। इन सब प्रमुख कारणों को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में यह नवाचार किया है।
इसके पीछे मुख्यमंत्री की सोच थी कि स्कूलों में छात्र-छात्राओं को दूसरी गतिविधियों में भी पारंगत किया जाए। शनिवार को नो बैग डे पर संस्था प्रधान एवं स्टाफ का यह कार्य रहेगा कि विद्यालय समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सह-शैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सके। नो बैग डे पर पूरे विद्यालय को विभिन्न सदनों में बैठकर सदन वार प्रतियोगिता करवाई जाएगी।
इसके साथ ही देश भक्ति गीत, संगीत, क्विज, निबंध प्रतियोगिता, आशुभाषण,काव्य पाठ और नृत्य एवं गायन इत्यादि गतिविधियां भी करवाई जाएगी। खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए खो-खो, शतरंज, बैडमिंटन ,वॉलीबॉल ,बास्केटबॉल और कबड्डी प्रतियोगिता करवाई जाएगी।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण करने के लिए योगाभ्यास भी विद्यार्थियों को करवाया जाए। कक्षा में कक्षा अध्यापकों और विषय अध्यापकों द्वारा मौखिक गतिविधियां जैसे कविताएं, कहानियां, स्पेलिंग पूछना तथा पहेलियां बुझाना जैसी गतिविधियां करवाई जाए।
विद्यार्थियों में मेहनत और काम करने की भावना पैदा करने के लिए नो बैग डे पर उनसे श्रमदान भी करवाया जाए। उस दिन वृद्ध आश्रम में सेवा कार्य करवाया जाए। इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक एवं महान वैज्ञानिकों पर आधारित फिल्में बालकों को दिखाकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। प्रदेश के करीब 65000 सरकारी स्कूलों में सप्ताह में 1 दिन नो बैग डे घोषित करने के पीछे राज्य सरकार की मंशा विद्यार्थी के व्यक्तित्व के हर पहलू को विकसित कर उसका चारित्रिक निर्माण करना है।
यह सर्वविदित है कि शिक्षा सदैव चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है, जो हर समाज के लिए बेहद जरूरी है।चाहे वह आर्थिक रूप से अमीर तबका हो, गरीब वर्ग हो या फिर मध्यमवर्ग हो।शिक्षा हर जाति और धर्म के विकास का अभिन्न अंग है।यानी कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के प्रत्येक पहलू को विकसित करके बालक का चारित्रिक निर्माण करना है। इसके द्वारा व्यक्ति की जन्मजात शक्तियों का विकास किया जाता है। राज्य सरकार के इस नवाचार से छात्रों के ज्ञान कौशल में अभिवृद्धि होगी।इस नवाचार से प्रदेश और समाज की अपेक्षा के अनुरूप उनके आचार व्यवहार में परिवर्तन किया जाएगा।
यह बात भी सही है कि शिक्षा का अर्थ केवल किताबी तथ्यों को रट लेना और परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो जाना कतई नहीं है। न ही शिक्षा का उद्देश्य कुछ किताबें पढ़कर सरकारी नौकरी पा लेना है। सच तो यह है कि शिक्षा किसी भी बालक के बीज रूप को पहचान कर उसमें वृक्ष बनने की समस्त संभावनाओं को अभीप्रेरित करने का सात्विक कर्म है। शिक्षा की इसी शास्त्रीय अवधारणा को साकार करने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में नो बैग डे के रूप में नई रचनात्मक पहल की है।