kids poem in hindi-महापुरुषों के गीत (kids poem in hindi)
प्रिय पाठको मेरी इस पोस्ट में मैं आपके लिए शंकर सुल्तानपुरी द्वारा रचित महापुरुषों के गीत लेकर आ रहा हूं जो स्कूली बच्चों व कविता प्रेमियों को काफी पसंद आएंगे।
विद्यालय में मनाई जाने वाली जयंती व उत्सव में बच्चे kids poem in hindi पाठ कर सकेंगे। kids poem in hindi रचना शंकर सुल्तानपुरी की अभूतपूर्व रचना है इस रचना में उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर, मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,मिर्जा गालिब, मैक्सिम गोरकी, नट हैमसन, संत कबीर ,स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ ,आचार्य विनोबा भावे, जेम्स वाट आदि से संबंधित रचनाएं संकलित की है।kids poem in hindi रचनाओं के माध्यम से शंकर सुल्तानपुरी ने इन महापुरुषों के व्यक्तित्व का गुणगान किया है।
महापुरुषों के गीत-kids poem in hindi
खिलता है गुलाब कांटो में,
मोती चमके धूल में ।
धन्य-धन्य उनका जीवन है,
जो मुस्काते शूल में।
उनका नाम अमर हो जाता,
दुनिया उन्हें दुलारती।
उन पर अपना प्यार लुटा कर,
युग-युग चरण पखारती।।
दुख बाधाओं से लड़ना ही,
जीवन और जवानी है।
जो इनमें पल कर खिल जाता,
उसकी अमर कहानी है।
गुदड़ी में पलने वालों ने,
कौशल बड़े दिखाएं।
अपनी प्रतिभा,बल,साहस से,
वे महान कहलाए।।
ऐसे ही कुछ हीरे-मोती
मैंने यहां सजाए।
जिन की चमक दमक पर सारी,
दुनिया बली -बली जाए।
आओ तुम्हें दिखाऊं बच्चों,
कितने सुंदर- सुंदर।
बेशकीमती हीरे मोती,
एक से बढ़कर एक।।
संघर्षों में पलने वाले,
हैं ये हीरे ,मोती।
जिनके पोरुष, देश- प्रेम की,
घर- घर पूजा होती।।
भारत माता के यह बेटे,
महापुरुष कहलाते।
हम सब सादर शीश झुकाकर,
गीत इन्हीं के गाते।।
रविंद्र नाथ टैगोर(जन्म:6 मई 1861 ई)-kids poem in hindi
रवि बाबू की सुनी कहानी,
कहते उन्हें महाकवि ज्ञानी।
भारत के अनमोल रतन थे,
अपनी ही धरती के धन थे।।
सुख,वैभव में पला बचपना,
लेकिन वह सुख लगा न अपना।
घर में बहुत कड़ा था शासन,
नौकर का कठोर अनुशासन।।
घर के पिंजरे से ही देखा,
प्रकृति छटा का दृश्य अनोखा।
मन में उठती बहुत तरंगे,
तरह-तरह की अजब उमंगे।।
तभी काव्य के भाव जगे थे,
लिखने सुंदर गीत लगे थे।
उनको कवि बनना ही भाया,
इसीलिए यह पथ अपनाया।
गीत लिखे और लिखी कहानी,
दुनिया ने कीमत पहचानी।
जय सराहे उनके काम मिले,
उन्हें बेजोड़ इनाम।।
शांतिनिकेतन उनकी थाती,
हमें वहां की शिक्षा भाती।
हम सब उनको शीश झुकाते,
जन गण मंगल दायक आते।।
kids poem in hindi|
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला'(जन्म:बसंत पंचमी,1890)-kids poem in hindi
कविताओं की सुंदर माला,
सदा पिरोते रहे निराला।
सूर्यकांत है असली नाम,
किंतु निराला है सरनाम।।
बचपन में कुश्ती लड़ते थे,
कसरत से निज तन कसते थे।
गोरे -चिट्टे, बड़े रौबीले,
भोले -भाले और हठीले।।
दानी थे वह, मानी भी थे,
ज्ञानी थे, स्वाभिमानी भी थे।
देव तुल्य वे प्राणी भी थे,
पत्थर थे वह, पानी भी थे।।
उनका था सब काम निराला,
नाम निराला, धाम निराला।
सन्यासी सा जीवन पाला,
अजर -अमर हो गया निराला।।
कविताएं लिखते थे सुंदर,
भरते थे गागर में सागर।
हिंदी के सच्चे साधक थे,
काव्य -भाव के आराधक थे।।
कविताओं के कांटे बंधन,
छंद मुक्त थी,शैली नूतन।
नए विचार, नई परिभाषा,
मुखरित हुई मनुज की भाषा।।
मुंशी प्रेमचंद(जन्म:1880)-kids poem in hindi
था बचपन का नाम नवाब,
प्रेमचंद का मिला खिताब।
धनपतराय घरेलू नाम,
लमही में था उनका धाम।।
बचपन से ही मिली गरीबी,
अंत काल तक चली गरीबी।
लेकिन कभी ना हिम्मत हारे,
बने देश के उज्जवल तारे।।
किस्सा और कहानी पढ़कर,
कुछ अपनी ही पीड़ा गढ़ कर।
सोच समझकर कलम चलाई,
उनके निकट सफलता आई।।
सीधे-सादे गांधीवादी,
वेष और भूषा थी सादी।
हंसते तो धरती कंप जाती,
वे हंसकर जीने के आदी।।
लिखी गांव की बहुत कहानी,
उनकी पीड़ा ,उनकी वाणी।
जीवन के आदर्श बताएं,
नए पुराने रूप दिखाएं।।
पहले उर्दू में लिखते थे,
बड़े बड़े पोथे रचते थे।
उर्दू से हिंदी में आए,
उपन्यास सम्राट कहलाये।।
मैथिलीशरण गुप्त(जन्म:3 अगस्त,1886)-kids poem in hindi
दद्दा!तुम्हें प्रणाम,
उतारे हम बच्चे मिल आरती।
धन्य तुम्हारा जीवन,
तुमने गाई भारत -भारती।
राष्ट्रप्रेम के गीत तुम्हारे,
किसे नहीं है भाये।
सदा तुम्हारी कविताओं ने,
सुंदर भाव जगाये।।
भारत माता ऋणी तुम्हारी,
तुमने जिसे जगाया।
जिसकी करुणा से व्याकुल हो,
तुमने गीत गुंजाया।।
छोटी-छोटी कविताओं में,
भी वह आज भरा है।
मिली चेतना जन-जीवन को,
ऐसा जोश भरा है।।
कहने को तुम कवि थे,
लेकिन थे सच्चे युग-नेता।
सरल भाव से काव्य रचवाया,
थे ऐसे युग नेता।।
वह चिरगांव तुम्हारा मंदिर,
हम सब माथ नवाते।
धन्य धन्य तुम कविवर ज्ञानी ,
जय जय कार मनाते।।
मिर्जा गालिब (जन्म:27 दिसंबर 1797)-kids poem in hindi
उर्दू कविता के आंगन में,
जो विख्यात हुए हैं।
कठिन साधना के बलबूते,
जग प्रख्यात हुए हैं।।
मिर्जा गालिब वे कहलाते,
उन की अमर कहानी।
बड़े दुखों में जीवन पाला।
है यह कथा पुरानी।।
स्वाभिमान में उसी तरह थे,
जैसे हुए निराला।
अंत काल तक रहे पिरोते,
कविताओं की माला।।
राज महल का लोभ न भाया,
भायी नहीं गुलामी।
इज्जत उनकी बहुत बड़ी थी,
करते सभी सलामी।।
जो कुछ लिखा जिंदगी उसमें,
अब तक छलक रही है।
उनकी कविताओं की प्याली,
अब तक ढलक रही है।।
जन जीवन में उनकी कविता,
बहुदा गाई जाती।
उनके फक्कड़पन की बातें,
सुनी -सुनाई जाती।।
मक्सिम गोर्की ( सुप्रसिद्ध रूसी साहित्यकार, जन्म:1868)-kids poem in hindi
हुए गोरकी बहुत महान,
उनका अजर-अमर है नाम।
प्रेमचंद सा उनका जीवन,
रहे जन्म से पीड़ित, निर्धन।।
नानी के संग बीता बचपन,
रही सदा नाना से अनबन।
खाने का भी नहीं ठिकाना,
सदा सताया करता नाना।।
बूढ़ी नानी कमा ना पाती,
उसे पेट भर खिला ना पाती।
पढ़ने में कुछ मजा न आता,
स्कूली शासन न सुहाता।।
एक दिवस नानी से बोला,
दुखी एलेक्सी, प्यारा- भोला।
बैठ कमा कर लाऊंगा मैं,
तुमको स्वयं खिलाऊंगा मैं।।
चुन कर तांबे, सिक्के लाता,
नानी को देता,जो पाता।
हुई कुसंगत,चोरी भी की,
उसने सीनाजोरी भी की।।
लेकिन जीवन सहसा बदला,
मिटा अचानक कोहरा गंदला।
नानी चली गई जब ऊपर,
हुई जिंदगी उसकी दूभर।।
आया कठिन परीक्षा काल,
जब नाना ने दिया निकाल।
अपने बल पर किया भरोसा,
नहीं हार कर ह्रदय मसोसा।।
कठिन लड़ाई उसने ठानी,
पड़ी हार संकट को खानी।
अनुभव ने जो कुछ सीखलाया,
वही कलम में ढलकर आया।।
आज अमर है उसका नाम,
उस की गाथा,उसका काम।
मां उसकी मशहूर किताब,
मिला रूस का उच्च खिताब।।
नट हैमसन(नार्वे के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, जन्म:1859)-kids poem in hindi
एक कलम का और सिपाही,
जिस की कथा बड़ी दुखदाई।
पीछे हटा न हिम्मत हारा,
चमका उसका भाग्य सितारा।।
काला अक्षर भैंस बराबर,
बहुत उसे लगता था दुख कर।
उसने सोचा पढू- लिखूंगा,
मैं कुछ अच्छे काम करूंगा।।
था पड़ोस में कब्रिस्तान,
लंबा चौड़ा और वीरान।
जाकर वही बैठता अक्सर,
रटता था भाषा के अक्षर।।
वह गढ़ता था वही कहानी,
पागल सनकी सा-मनमानी।
धीरे-धीरे लिखना आया,
उसने एक नया पथ पाया।।
भूख प्यास से व्याकुल होकर,
दिन काटे भूखा ही सोकर।
एक दिवस जब भूख न मानी,
गया ढूंढने दाना-पानी।।
मिली कहीं से सूखी हड्डी,
दांतो ने की शुरू कबड्डी।
एक किरंच फस गई अचानक,
पीड़ा होने लगी भयानक।।
दुख से लगा बहुत पछताने,
जोर-जोर से वह चिल्लाने।
तू सचमुच भगवान नहीं है,
तुझ में कुछ ईमान नहीं है।।
तेरा स्वर्ग देख मैं पाऊं,
तो मैं उसमें आग लगाऊं।
सहसा किरंच छिटक कर आयीं,
पीड़ा से मिल गई विदाई।।
आगे बहुत-बहुत दुख आये,
लेकिन कोई ठहर न पाए।
उसने झेला बड़ी शान से,
अंत समय तक लड़ा आन से।
बना कलम का सच्चा साथी,
उसके ग्रंथ समय की थाती।
पाया आदर और सम्मान,
अमर हो गया उसका नाम।।
संत कबीर-kids poem in hindi
नहीं पुजारी नहीं फकीर,
बच्चों ये है संत कबीर।
अजर अमर युग-युग से बानी,
इनकी है अनमोल कहानी।।
मिली न मां की प्यारी गोद,
बचपन का सुखमय आमोद।
पले जुलाहे के घर आकर,
कपड़े बुनते ध्यान लगाकर।।
लेकिन उनको था यह ध्यान,
कैसे बढे हमारा ज्ञान।
देखा नहीं कभी स्कूल,
फिर भी खिला ज्ञान का फूल।।
अनुभव की पुस्तक को पढ़कर,
बड़े चाव से आगे बढ़कर।
संतों की संगत में आए,
सार तत्व जीवन में पाए।।
देखा जग में गहरी खाई,
भाई का दुश्मन है भाई।
मोह,लोभ, तृष्णा में बंदी,
है समाज की धारा गंदी।।
तन उजले है, मन है काले,
मंदिर ,मस्जिद के मतवाले।
ढूंढ रहे हैं बाहर ईश्वर,
शुद्ध नहीं है उनका अंतर।।
दुनिया पूज रही है पत्थर,
घर में लोग रहे भूखों मर।
ढोंग और पाखंड बढ़ रहा,
मानवता का नाम मिट रहा।।
तब कबीर ने यह व्रत ठाना,
है समाज को राह दिखाना।
गूंज उठी तब उनकी वाणी,
जागो हे भारत के प्राणी।।
ईश्वर अंतर में बसता है,
मिले उसे, जो मन कसता है।
मानवता है सच्ची पूजा ,
इससे बड़ा धर्म नहीं दूजा।।
छुआछूत का भेद न मानो,
मानव को मानव सम जानो।
रहो निष्कपट, करो भलाई,
जीवन सफल तभी है भाई।।
स्वामी विवेकानंद( जन्म :12 फरवरी 1863)-kids poem in hindi
भारत की पावन माटी में,
तपसी, ज्ञानी, संत।
एक उन्हीं में उज्जवल तारा,
हुए विवेकानंद।।
योग और अध्यात्म ज्ञान से,
भारत को महकाया।
जो सोए थे उन्हें जगा कर,
नूतन पंत दिखाया।।
अजर अमर है उनकी वाणी,
पग-पग डोल रही है ।
और देश के जनजीवन में,
अमृत घोल रही है ।।
माता-पिता स्वयं ज्ञानी थे,
ज्ञान धर्म व्रत पाला।
इसीलिए जन्मा उनके घर,
बालक प्रतिभा वाला।।
था नरेंद्र, बचपन में नटखट,
मनमानी अति चंचल।
जब तब उनमें ज्योति जगाया,
करता मां का आंचल।।
जगा ज्ञान,वैराग्य हृदय में,
खिले भाव दर्शन के।
बड़े-बड़े वेदों, ग्रंथों से,
जीवन का दर्शन अपनाया।।
वक्ता,ज्ञानी और महात्मा,
बनकर फिर सरनाम हुए वह।
सारी दुनिया में यश पाया,
ऐसे अद्भुत राम हुए वह।
वेदांती निष्काम हुए वह ।।
भाषण में वह चमत्कार था,
सारी दुनिया हुई निछावर।
जन सेवा ही महा कर्म था,
इसीलिए हो गए उजागर।।
संत विवेकानंद अमर तुम,
अमर तुम्हारी पावन वाणी।
तुम्हें सदा ही शीश नवाये गा,
भारत का प्राणी- प्राणी।।
स्वामी रामतीर्थ (जन्म: 22 अक्टूबर 1873)-kids poem in hindi
स्वामी रामतीर्थ की झांकी,
आओ तुम्हें दिखाएं।
दर्शन गूढ़ विषय है लेकिन,
थोड़े में समझाएं।।
पंचनदी के एक गांव में,
उदित हुआ यह तारा।
अपनी प्रतिभा से जो चमका,
बनकर प्रखर सितारा।।
विद्वानों ने तभी कहा था,
यह गुणवान बनेगा।
अपनी प्रतिभा बल, क्षमता से,
जग में नाम करेगा।।
था गरीब लेकिन व्रतधारी,
युवक हिम्मत वाला।
अंधकार में चमका सहसा,
बन कर अमर उजाला।।
पढ़ लिखकर विद्वान हुआ तो,
उसे ना माया भायी।
सतत साधना की इच्छा से,
उसने कुटी बनाई।।
आत्मज्ञान में डूब डूब कर,
उसने थाह लगाई।
दर्शन के कुछ तत्व निकाले,
ऊंची पदवी पाई।।
वेद और वेदांत सभी का,
हमको सार बताया।
गीता ,लोकतंत्र ,दर्शन का,
भेद हमें समझाया।।
उनके दर्शन में मानव,
जीवन के सार अनोखे।
देते हैं संदेश अमर वे,
हितकर सभी जनों को।।
धर्म ज्ञान का स्रोत जगाकर,
दर्शन नया बनाया।
सोते हुए देश को आगे,
बढ़कर स्वयं जगाया।।
उनकी महिमा अजर अमर है,
हम सब शीश झुकाते।
उनके उपदेशों को सुनकर,
मस्तक सभी नवाते।।
आचार्य विनोब भावे (महान सर्वोदयी संत)-kids poem in hindi
गांधी जैसा एक महात्मा,
हम सब उनको माने।
कौन भला वह सन्यासी है?
बतलाओ तो जाने।।
घूम रहा था गांव गांव में,
बस यह मंत्र गुंजाते।
भूमि दान दो, भूमि दान दो,
ऊंचे स्वर में गाते।।
बचपन से ही उसके मन में,
भाव भरे थे ऐसे।
जनसेवा के काम करूंगा,
आगे कैसे- कैसे।।
गीता ज्ञान ग्रंथ पढ़ डालें,
उनके उज्जवल तत्व निकाले।
बापू को जाना, पहचाना,
अपनाया उनका ही बाना।।
लिखे ग्रंथ,अति पावन, सुंदर,
भाव भरे जनता के हितकर।
भूमि दान का यज्ञ रचाया,
एक नया ही पंथ बनाया।।
भूमिहीन को भूमि दिलाई,
महासंत की पदवी पाई।
पैदल पैदल चले विनोबा,
करते हैं जनता की सेवा।।
जेम्स वाट (जन्म:1739)-kids poem in hindi
आओ बच्चों तुम्हें बताएं,
किसने रेल बनाई।
अपनी सूझबूझ से किसने,
गाड़ी यहां चलाई।।
जेम्स वाट नन्हा सा बालक,
था गरीब नादान।
पढ़ना लिखना उसे ना भाता,
था कुछ कुछ शैतान।।
बैठे हुए रसोई घर में,
उसने देखा खेल।
गर्म केटली के ढक्कन को,
भांप रही है ठेल।।
ढक्कन कभी उछलता ऊपर,
फिर नीचे आ जाता।
और उबलते पानी के संग,
रह रह कर टकराता।।
तभी अचानक उसकी चाची,
वहां झपट कर आई।
जेम्स बड़ा शैतान निकम्मा,
उसने डांट बताई।।
उसने उधर न कान दिया कुछ,
ध्यान ना अपना तोड़ा।
उसके मन में दौड़ रहा था,
अब विचार का घोड़ा।।
खेल खेल में उसने जाना,
भाप बड़ी बलशाली।
बड़ी-बड़ी चीजों को खींचे,
ऐसी ताकत वाली।।
बचपन की है खोज कर गई,
उसकी अमर कहानी।
सोचो तो कितनी हितकर थी,
उसकी वह शैतानी।।
भांप शक्ति से चालित इंजन,
उसने स्वयं बनाया।
भाप शक्ति कितनी उपयोगी,
दुनिया को दिखलाया।।
आगे चलकर इसी ढंग पर,
बनी गाड़ियां भारी।
आने जाने के सब साधन,
मोटर कारे लारी।।
आज रेल पर दूर-दूर तक,
हम सब आते जाते।
भारी भरकम सामानों को,
लाते और ले जाते।।
जेम्स वाट को भूल ना सकते,
जिसने रेल चलाई।
जिसने बड़ी मुसीबत सहकर,
अमर सफलता पाई।।
विद्यालय में बच्चों को kids poem in hindi कविताएं कंठस्थ करवाएं एवं प्रार्थना सभा में आगे बुलवाकर कविता पाठ करवाएं। जिससे बच्चों में कविता में रुचि उत्पन्न होगी एवं झिझक भी दूर होगी।
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