INDIAN ECONOMY FEATURES AND PROBLEMS।भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषताएँ एवं समस्याएँ।

INDIAN ECONOMY FEATURES AND PROBLEMS।भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषताएँ एवं समस्याएँ।

INDIAN ECONOMY FEATURES AND PROBLEMS।भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषताएँ एवं समस्याएँ।
INDIAN ECONOMY FEATURES AND PROBLEMS।भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषताएँ एवं समस्याएँ।

अर्थशास्त्र (ECONOMICS)

अर्थशास्त्र (Economics) सामाजिक विज्ञान (Social science) की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत वस्तुओ के उत्पादन के साथ-साथ वितरण,विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है।

अर्थव्यवस्था(ECONOMY)

अर्थव्यवस्था (Economy),अर्थशास्त्र का व्यावहारिक पक्ष है।अर्थव्यवस्था में किसी देश या क्षेत्र विशेष में होने वाली सभी आर्थिक क्रियाओं की प्रकृति एवं प्रगति के स्तर को दर्शाया जाता है।जब हम किसी देश को उसकी समस्त आर्थिक क्रियाओं के सन्दर्भ में देखते है तो उसे अर्थव्यवस्था कहते है।

एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक (Father Of Economics) कहा जाता है।एडम स्मिथ के अनुसार “अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।” एडम स्मिथ की पुस्तक ‘वेल्थ ऑफ़ नेशन(Wealth Of Nation)’ से अर्थशास्त्र को मान्यता प्राप्त हुई थी इसलिए इनको अर्थशास्त्र का जनक कहते हैं।

आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत उत्पादन, उपभोग, विनिमय, वितरण बचत एवं निवेश शामिल होते हैं।समाज द्वारा दुर्लभ संसाधनों का सर्वोच्च उपयोग कैसे किया जाए अर्थशास्त्र इसका अध्ययन करता है।

अर्थशास्त्र की शाखाएं(Branches Of Economics)

1.व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics): जब अर्थव्यवस्था का व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के आधार पर अध्ययन किया जाता है,तो उसे व्यष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं। इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था की छोटी इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।जैसे- उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत,उत्पादन व्यवहार सिद्धांत,कीमत सिद्धांत इत्यादि।

2.समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics):समष्टि अर्थशास्त्र में समस्त आर्थिक क्रियो का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है| जैसे राष्ट्रीय आय, उत्पादन राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति इत्यादि।

जे.एम.केन्स को आधुनिक अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है। जे. एम.किन्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट’ में प्रतिपादित सिद्धांतों से 1930 की वैश्विक मंदी जिसे तीसा की मंदी भी कहते हैं,को दूर किया था। इसीलिए इन्हें आधुनिक अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है।

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र(Scope Of Economy)

अध्ययन की दृष्टि से संपूर्ण अर्थव्यवस्था को क्षेत्रो में विभाजित कर पढ़ा जाता है। सामान्यतः संपूर्ण अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों का लेखांकन करने के लिए अर्थव्यवस्था को क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है।

1.प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)

इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया जाता है|

कृषि व संबंधित क्षेत्र, वन एवं वानिकी क्षेत्र, मत्स्य पालन, खनन एवं उत्खनन क्षेत्र|इस प्रकार इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन का लेखांकन किया जाता है।

2.द्वितीयक क्षेत्र(Secondary Sector)

इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता है:-

निर्माण-जहां किसी स्थाई परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता हो।जैसे- भवन।

विनिर्माण- जहां किसी वस्तु का उत्पादन किया जाता हो। जैसे- कपड़ा,ब्रेड, मशीन इत्यादि।विद्युत,गैस एवं जलापूर्ति से संबंधित कार्य भी इसी में आते हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत मुख्यतः अर्थव्यवस्था की विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन का लेखांकन किया जाता है।

3.तृतीयक(Tertiary Sector) या सेवा क्षेत्र

यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को अपनी उपयोगी सेवाएं प्रदान करता है। इसके अंतर्गत परिवहन, बैंकिंग,बीमा, भंडारण, व्यापार तथा सामुदायिक सेवाएं व संचार इत्यादि आते हैं।

4.चतुष्क क्षेत्र(Quaternary Sector)

अर्थव्यवस्था के इस क्षेत्र में बौद्धिक गतिविधियों को शामिल किया जाता है।जैसे- शिक्षा,खोज एवं अनुसंधान से संबंधित गतिविधियों को चतुष्क क्षेत्र में रखा जाता है।म्युचुअल फंड प्रबंधन, पोर्टफोलियो प्रबंधन,कर प्रबंधन सांख्यिकीयविद,सॉफ्टवेयर डेवलपर,शोध इत्यादि इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

5.पंचक क्षेत्र(Quinary Sector)

उच्च किस्म की सेवाएं जैसे- किसी अर्थव्यवस्था के सभी शीर्ष निर्णय से जुड़ी गतिविधियां,देश के सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र से जुड़े निर्णय करने वाली सेवाओं को इस क्षेत्र में रखा गया है। गोल्डन कलर जॉब-PM, CEO, CM etc.

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी-The अर्थव्यवस्था के 100 Important Question Answer Awards: The Best, Worst, and Weirdest Things We’ve Seen

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