How to earn money from fruit and vegetable conservation?। फल एवं सब्जी संरक्षण से धन कैसे कमाए?।

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हमारे देश में फल व सब्जियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है,किंतु यह विडंबना है की फलों और सब्जियों का अधिक उत्पादन होने पर भी अधिकांश फल और सब्जियां मौसम विशेष में ही पैदा होती है। उस मौसम में उन चीजों से बाजार पूरा भर जाता है, इसलिए उन दिनों में काफी सस्ती बिकती है। एक अनुमान के अनुसार उचित संरक्षण के अभाव में फलों के कुल उत्पादन का 33% भाग नष्ट हो जाता है। जिसका वार्षिक मूल्य लगभग 15 सौ करोड रुपए है। 

जिन स्थानों पर कोई विशेष फल या सब्जी अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है, यदि उन स्थानों पर फलों को सुरक्षित किया जाए तो किसानों व बागवानों को उनके माल का सही मूल्य मिलेगा और लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।इतना ही नहीं इस प्रकार हम 12 महीने ताजे फल व सब्जियां भोजन में सम्मिलित कर सकते हैं। इससे किसानों की आमदनी तो बढ़ती ही है, साथ ही उनकी उपज लंबे समय तक चलती है। इसके अलावा उसके खराब होने का डर नहीं रहता। 

how to earn money-फूड प्रोसेसिंग यूनिट।Food Processing Unit।

खास बात यह है कि फूड प्रोसेसिंग का काम शुरू करने के लिए सरकार हर तरीके से किसानों की मदद भी करती है। इसके लिए हर जिले में प्रोसेसिंग विभाग होता है,जो बकायदा लोगों को ट्रेनिंग देता है। साथ ही वह विभाग बहुत कम कीमत पर आपके सामान का अचार, चटनी,सास और मुरब्बा बना कर भी देता है।इसके अलावा प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए बैंक कर्जा भी देते हैं। इसके बावजूद लोगों का रुझान इस तरफ बहुत कम है और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी वह विकास नहीं हो रहा है जो होना चाहिए। 

 
इसलिए प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की योजना के तहत तकनीकी, सिविल कार्य, प्लांट और मशीनरी पर होने वाले खर्च का 25 फ़ीसदी या ज्यादा से ज्यादा ₹50 लाख तक मदद के तौर पर दिए जाते हैं। सभी दाल मिल इकाइयां, ड्रायर व डस्ट कंट्रोल सिस्टम की कुल कीमत की 50 फीसदी तक मदद हासिल कर सकती है। वर्तमान समय को देखते हुए व्यक्ति अपनी आमदनी बढ़ाने व धन कमाने के लिए फल व सब्जियों के संरक्षण की इकाइयां खोल सकते हैं।

बैकवर्ड लिंकेज योजना क्या है?।What is Backward Linkage Scheme?।

बैकवर्ड लिंकेज योजना में कोई भी प्रोसेसिंग यूनिट अगर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग द्वारा कच्चा माल किसानों से खरीदती है, तो यूनिट द्वारा की गई कुल खरीद का 10 फ़ीसदी जिसकी अधिकतम सीमा ₹10 लाख सालाना होगी। सरकार द्वारा मदद के तौर पर यूनिट को मिल सकता है।यह सहूलियत 3 साल तक हासिल की जा सकती है।

फारवर्ड इंटीग्रेशन योजना क्या है?।What is Forward Integration Scheme?।

फारवर्ड इंटीग्रेशन योजना के तहत प्रसंस्करण उत्पाद की मांग तय करने के लिए किए जाने वाले सर्वे, टेस्ट, मार्केटिंग व ब्रांड प्रमोशन के लिए किए गए कुल खर्च का 50 फ़ीसदी जिसकी सीमा ₹50 लाख है सरकार से मदद के तौर पर हासिल किया जा सकता है।
खाद्य प्रसंस्करण व ट्रेनिंग यूनिट द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग व महिलाओं को खास सुविधा दी जाती है।केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान, एनजीओ व कॉपरेटिव संस्थान की मदद से इन्हें विशेष ट्रेनिंग प्रदान करवाई जाती है।

how to earn money-इंटीग्रेटेड कोल्ड चैन स्कीम(Integrated Cold Chain Scheme) में क्या फायदा मिलता है?।

इस योजना में प्लांट, मशीनरी व तकनीकी कार्यों की कीमत का 25 फ़ीसदी जिसकी सीमा ₹75 लाख है मदद के तौर पर दी जाती है।

how to earn money-पैकेजिंग सेंटर।Packaging centre।

इसमें प्लांट,मशीनरी व तकनीकी सिविल कार्यों की कीमत का 25 फ़ीसदी सामान्य इलाकों में तथा 33.33 फ़ीसदी दूरदराज, पहाड़ी व पिछड़े इलाकों में जिसकी सीमा 2 करोड रुपए है। मदद के तौर पर दी जाती है।

how to earn money-फ़ूड पार्क योजना।Food Park scheme।

सामान्य प्रसंस्करण के लिए जैसे कोल्ड स्टोरेज, फूड टेस्टिंग व एनालिसिस प्रयोगशाला, एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट व सामान्य प्रसंस्करण सहूलियत वगैरह के लिए फूड पार्क बनाने के लिए कुल लागत का 25 फ़ीसदी जिसकी सीमा 4 करोड रुपए हैं, मदद के तौर पर मुहैया कराई जाती है।

फल संरक्षण के संबंध में सरकारी कानून क्या है?।What is Government Law for fruit conservation?।

फल खाद्य पदार्थ है। इसका संरक्षण करते समय कुछ विशेष सावधानी बरतनी जरूरी होती हैं। फल संरक्षण द्वारा बनी वस्तुएं खाने के काम में आती है। अतः इन्हें बनाने में लापरवाही बरतने से इन वस्तुओं का प्रयोग करने वालों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। यहां तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है।इसलिए सरकार ने सन 1955 में फलों के संरक्षण संबंधी कानून बनाया है। जिसे “फ्रूट प्रोडक्ट आर्डर 1955” के नाम से जाना जाता है। 
 
फल संरक्षण का कार्य करने वाले हर व्यक्ति को इस आर्डर (नियम) का पालन अनिवार्य रूप से करना होता है। यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि फल और सब्जी संरक्षण संबंधी कार्य शुरू करने से पहले उक्त कानून के तहत लाइसेंस लेना होता है। लाइसेंस लेने के लिए गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर, फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड, डिपार्टमेंट आफ फूड, जामनगर हाउस, नई दिल्ली-11 को प्रार्थना पत्र भेजना होता है।

how to earn money-एफ.पी.ओ. लाइसेंस(Food Processing Unit License) कैसे बनाते हैं?

इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने के लिए फूड प्रोसेसिंग ऑर्डर-1955 यानी एफ.पी.ओ. के तहत भवन, कुल सालाना उत्पादन और लाइसेंस फीस के मद्देनजर यूनिट का स्टेटस चेक करवाना होता है।यूनिट स्टेटस तय होने के बाद एफपीओ लाइसेंस के लिए एक फॉर्म केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय,उद्योग भवन,नई दिल्ली की नजदीकी एफपीओ शाखा से हासिल कर जमा करना होता है। 

दस्तावेज पूरे होने पर अफसर मौके पर जाकर प्रोसेसिंग यूनिट की बिल्डिंग का मुआयना करते हैं, तब जाकर लाइसेंस जारी किया जाता है।इस लाइसेंस को हर साल अक्टूबर-नवंबर में नवीनीकरण के लिए लाइसेंस फीस के साथ फिर वही प्रार्थना पत्र देना पड़ता है।

लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य शर्तें:-

  • फल क्षेत्र बहुत ही साफ और स्वच्छ रहना चाहिए। 
  • आस-पास कोई नाला, तालाब या कूड़ाघर नहीं होना चाहिए। 
  • फैक्ट्री पक्की ईंटों की बनी होनी चाहिए।
  • फैक्ट्री के दरवाजे, खिड़कियां जालीदार होनी चाहिए। 
  • फूड प्रोसेसिंग यूनिट में जरूरी रोशनी व हवा होनी चाहिए। 
  • यूनिट की भीतरी दीवारों पर ऑयल पेंट होना चाहिए ताकि गंदा होने पर उन्हें धोया जा सके। 
  • फर्श पक्का होना चाहिए और दरवाजों में मक्खी रोकने के लिए जाली लगी होनी चाहिए।
  • दरवाजों के खुद बंद होने के लिए उनमें डोर लॉक लगा होना चाहिए। 
  • रोजाना कम से कम 1000 लीटर पीने का साफ पानी उपलब्ध रहना चाहिए। 
  • गंदे पानी व दूसरी बेकार चीजों के निकालने के लिए पूरा इंतजाम होना चाहिए।

वार्षिक उत्पादन के आधार पर फल संरक्षण कारखानों का वर्गीकरण।

भारत में कानून के अंतर्गत फलों के उत्पाद बनाने के कारखानों का वर्गीकरण वार्षिक उत्पादन के आधार पर किया गया है। इस नियम के अंतर्गत यह भी व्याख्या है कि किस वर्ग के कारखाना में कच्चा माल रखने, फल के उत्पाद बनाने तथा तैयार माल रखने के लिए कम से कम कितनी कितनी जगह होना अनिवार्य है। इन कारखानों में सबसे छोटा घरेलू कारखाना माना गया है।


इस वर्ग में वह कारखाने आते हैं जिनमें 1 वर्ष में 10 मिट्रिक टन से अधिक फलों के उत्पाद तैयार नहीं किए जाते हैं। इस कारखाने में कम से कम 8-10 वर्ग मीटर स्थान कच्चा माल रखने, 25 वर्ग मीटर स्थान माल तैयार करने तथा 10 से 15 वर्ग मीटर स्थान तैयार माल रखने के लिए अनिवार्य रूप से होना चाहिए।


फल संरक्षण आरंभ करने के इच्छुक व्यक्तियों को चाहिए कि कारखाने के भवन आदि का निर्माण करने से पूर्व लाइसेंस देने वाले अधिकारी को प्रस्तावित कारखाने के स्थान का मुआयना करवा दे। तथा बिल्डिंग किस प्रकार से बनानी है इस संबंध में सारी बातें समझ ले। जहां तक मशीनें व उपकरण खरीदने का प्रश्न है ऑर्डर में यह भी प्रावधान है कि कम से कम कौन से उपकरण कितनी संख्या में होने चाहिए तथा कौन सी मशीन का होना अनिवार्य है। यह उपकरण न होने पर लाइसेंस नहीं मिलेगा। 


इसके अतिरिक्त इस कार्य के लिए व्यक्ति की भी जरूरत है जो रसायन विज्ञान में स्नातक हो तथा जिसने फल संरक्षण में किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से कम से कम 3 मास का डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स किया हो।

 

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