HISTORIAN OF RAJPUTANA COLONEL JAMES TOD। राजपूताने का इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड

HISTORIAN OF RAJPUTANA COLONEL JAMES TOD। राजपूताने का इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड।

कर्नल जेम्स टॉड का जीवन परिचय

कर्नल जेम्स टॉड का जन्म 20 मार्च 1782 को इंग्लैंड में हुआ था। 1798 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में नियुक्त होकर वे भारत आए। 1800 ईसवी में वे देसी पैदल फौज की 14 वी रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट नियुक्त हुए। 1801 में कर्नल जेम्स टॉड ने दिल्ली के निकट एक नहर के सर्वेक्षण का काम किया तथा 1805 ईस्वी में दौलतराव सिंधिया के दरबार में एक सैनिक टुकड़ी में नियुक्त हुए। 1813 ईस्वी में टॉड को सिंधिया के दरबार में पोलिटिकल एजेंट का सहायक बनाया गया। जहां उन्होंने पिंडारीओ के दमन तथा अंतिम मराठा युद्ध में कंपनी की कूटनीतिक और सैनिक तयारियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

कर्नल जेम्स टॉड की उदयपुर में नियुक्ति

1817-18 ई में जब राजस्थान की राजपूत रियासतों ने अंग्रेजों के साथ संधियाँ करना प्रारंभ कर दिया था, उस समय तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स ने कर्नल टॉड को राजपूत राज्य में अपना राजनीतिक प्रतिनिधि बनाकर सर्वप्रथम उदयपुर में इन्हें नियुक्त किया। 1822 ईस्वी तक कर्नल टॉड पोलिटिकल एजेंट के रूप में इन राजपूत रियासतों में रहे।1817 से 1822 ईसवी के काल में कर्नल टॉड ने राजपूतों के संबंध में जानकारी एकत्रित की। टॉड को राजपूत शासकों से इतना अधिक लगाव हो गया था, कि उनके अधिकारियों को उनकी स्वामी भक्ति पर संदेह उत्पन्न होने लग गया था। 

1822 ईसवी में खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने कंपनी की सेवा से त्यागपत्र दे दिया। कर्नल टॉड के भारत निवास के 24 वर्षों में से 18 वर्ष राजपूताना में व्यतीत किए थे। 18 वर्षों में से अंतिम 5 वर्ष उन्होंने मेवाड़, मारवाड़, जैसलमेर, कोटा, बूंदी और सिरोही के राजपूत राज्यों में राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में उदयपुर में बिताये। उदयपुर में रहते हुए उन्होंने राजपूताने की विभिन्न रियासतों की यात्रा की थी। राजपूताना की अनोखी संस्कृति एवं यहां के निवासियों ने उन्हें बहुत अधिक प्रभावित किया था। विलियम जॉन्स व एशियाटिक सोसाइटी के शोध कार्यों एवं इतिहास, प्राचीन सभ्यताएं और प्रजाति शास्त्र से संबंधित ज्ञान ने कर्नल टॉड को प्रेरणा दी। 

इंग्लैंड लौट कर जेम्स टॉड ने अपने भारत निवास से संग्रहित सामग्री के आधार पर लिखना प्रारंभ किया। अपने जीवन के अंतिम दिनों में कर्नल जेम्स टॉड ने राजपूताने के इतिहास को लिखा।

कर्नल जेम्स टॉड द्वारा लिखित राजपूताने का इतिहास

कर्नल जेम्स टॉड ने राजपूताने के इतिहास को अपनी पुस्तक “एनल्स एंड एंटीक्विटीज आफ राजस्थान” एवं “ट्रेवल इन वेस्टर्न इंडिया” नामक ग्रंथो में लिख कर अमर कीर्ति को प्राप्त किया। टॉड द्वारा लिखित Anals and antiquities of Rajasthan राजपूतो के इतिहास का विश्वकोश है। इस ग्रंथ के प्रथम खंड में राजपूताने की भौगोलिक स्थिति, राजपूतों की वंशावली, सामंती व्यवस्था और मेवाड़ का इतिहास है। द्वितीय खंड में मारवाड़, बीकानेर, जैसलमेर, आमेर और हाडोती के राज्य का इतिहास है। ट्रैवल इन वेस्टर्न इंडिया टॉड के भ्रमण करते समय व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ राजपूती परंपराओं, अंधविश्वासों,आदिवासियों के जीवन, मंदिरों, मूर्तियो आदि का विस्तृत इतिहास है। 

एक विदेशी होते हुए भी उसने राजपूती समाज के विषय में विस्तृत विवरण दिया है। कर्नल टॉड का मानना है कि “राजस्थान में कोई छोटा सा राज्य भी ऐसा नहीं है, जिसमें थर्मोपोली जैसी रणभूमि न हो और शायद ही कोई ऐसा नगर मिले जहां लियोनार्डो जैसा वीर पुरुष पैदा न हुआ हो” यह कहकर कर्नल टॉड ने यूरोप के निवासियों को आश्चर्यचकित कर दिया। 

टॉड का कार्य महत्वपूर्ण होते हुए भी दोष युक्त है, उसने राजपूत जाति के विषय में पूर्ण विवरण नही दिया। यह वैज्ञानिक पद्धति द्वारा लिखा ग्रंथ नहीं है। टॉड को राजस्थान के इतिहास से संबंधित ज्यादा सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाई तथा वह संस्कृत, प्राकृत, अरबी, फारसी भाषाओं का जानकार भी नहीं था। फिर भी जेम्स टॉड ने अपने ग्रंथ द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि संस्कृत, डिंगल, पिंगल, प्राकृत, हिंदी और राजस्थानी में ऐतिहासिक सामग्री का अभाव नहीं है। टॉड ने विदेशी लेखकों के इस विचार पर करारी चोट की है की भारतीयों में इतिहास लेखन की प्रवृत्ति ही नहीं है और न भारतीय साहित्य में कोई इतिहास जैसी वस्तु विद्यमान है। टॉड ने बड़ी लगन के साथ यहां के प्राचीन ग्रंथों का सूक्ष्म निरीक्षण करके उनका मूल्यांकन किया और इस पूर्वाग्रह को अमान्य करते हुए, यह घोषणा की, कि भारत के इतिहास में लेखन की ऐसी प्रमाणिक और अत्यधिक मात्रा काफी मात्रा में मौजूद है,जितनी उन्नतशील होने का दम भरने वाले देशों में भी उस काल की ऐतिहासिक साहित्य में नहीं पाई जाती है।

टॉड ने राजपूताने के इतिहास को विश्व के सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

राजस्थान के इतिहास का पिता कर्नल जेम्स टॉड

कर्नल जेम्स टॉड ने एनल्स एंड एंटीक्विटीज आफ राजस्थान और ट्रैवल इन वेस्टर्न इंडिया नामक ग्रंथ लिखे थे। एनल्स दो भागों में विभाजित है। इसके प्रथम भाग का प्रकाशन 1829 ईसवी में और द्वितीय भाग का प्रकाशन 1832 ईसवी में हुआ। एनल्स को सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। कर्नल जेम्स टॉड के ग्रंथ एनल्स के आधार पर ही इन्हें राजस्थान के इतिहास का पिता कहा जाता है।

17 नवंबर 1835 ईस्वी में कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यु हुई।उनकी मृत्यु के उपरांत उनके दूसरे ग्रंथ ट्रैवल्स इन वेस्टर्न इंडिया का प्रकाशन 1839  ईस्वी में हुआ।

राजपूताना को राजस्थान सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड ने कहा

राजपूताने की विभिन्न रियासतों को एक साथ मिलाकर समस्त राजपूताना को राजस्थान शब्द सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड ने दिया था। कर्नल टॉड ने अपनी पुस्तक एनल्स एंड एंटीक्विटीज आफ राजस्थान में 1829 के अंदर सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग इस प्रदेश के लिए किया

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