ग्राम पंचायत :सरंचना ,दायित्व व शक्तिया (Gram panchayat :structure and functions In Hindi।)
“हमें इन हजारो-लाखो लोगो की,जिनका ह्रदय सोने का है,जिन्हें देश से प्रेम है,जो सिखना चाहते है और यह इच्छा रखते है की कोई उनका नेतृत्व करे,उन्हें सही तालीम देनी चाहिए |केवल थोड़े से बुद्धिमान और निष्ठावान कार्यकर्ताओ की जरुरत है|वे मिल जाए तो सारे राष्ट्र को विवेकपूर्ण काम करने के लिए संगठित किया जा सकता है तथा भीड़ की अराजकता की जगह सही प्रजातंत्र का विकास किया जा सकता है|”
पंचायतीराज(Gram panchayat) व्यवस्था -एक नजर में :
भारत में 73 वे संविधान संसोधन अधिनियम 1992 के भारतीय राजपत्र में प्रकाशन के बाद 24 अप्रेल,1993 से यह देश में प्रभावी हुआ है|यह संसोधन पंचायतीराज संस्थाओ के त्रिस्तरीय ढांचे को संवेधानिक मान्यता प्रदान करता है |भारत में प्रतिवर्ष 24 अप्रेल को राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के रूप में मनाया जाता है|
संविधान में भाग IX के रूप में पंचायत से सम्बंधित अध्याय को जोड़कर संविधान के अनुच्छेद -243(डी) में पंचायत को परिभाषित किया गया है|एवं पंचायत को ग्रामीण अंचल की स्व -शासन की संस्था के रूप में माना गया है|इसी संसोधन की धारा 243(जी) में पंचायतो की शक्तियां ,अधिकार एवं दायित्व को बताया गया है|
पंचायत ग्रामीण स्तर की एसी सरकार है जो ग्रामीणों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखती है|पंचायतीराज सामूहिक निर्णय की अवधारणा पर आधारित है |
ग्राम पंचायत(Gram panchayat) में वार्ड का महत्त्व
वार्ड क्या है?
किसी भी Gram panchayat का सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र वार्ड कहलाता है| ये वार्ड मिलकर ग्राम पंचायत(Gram panchayat) निर्वाचन क्षेत्र का निर्माण होता है|
वार्ड पंच क्या होता है?
प्रत्येक वार्ड से एक जन प्रतिनिधि चुना जाता है जो वार्ड पंच कहलाता है|जिसका चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा किया जाता है|
वार्ड सभा क्या है?
पंचायतीराज अधिनियम में गाँव स्तर पर विकास योजना बनाने में जनता की भागीदारी बढाने के लिए वार्ड सभा का प्रावधान किया गया है| वास्तव में वार्ड सभा पंचायतीराज प्रणाली की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई होती है|
Gram panchayat महत्वपूर्ण बिंदु :
प्रत्येक वार्ड में एक वार्ड सभा होती है|जिसके सदस्य वार्ड के सभी बालिग व्यक्ति होते है |
- वार्ड सभा की वर्ष में कम से कम दो बैठके होती है|प्रत्येक छमाही में एक बैठक |
- छमाही बैठक के अलावा यदि वार्ड सभा के 10% से अधिक सदस्य वार्ड सभा बुलाने की लिखित मांग करे, तो 15 दिन के भीतर बैठक बुलाना अनिवार्य होगा|
- वार्ड सभा बैठक में कोरम पूरा होना जरुरी होता है | कोरम पूरा होने के लिए 10%सदस्यों की उपस्थिति जरुरी होती है|
- वार्ड सभा की बैठक की अध्यक्षता वार्ड पंच द्वारा की जाती है|
सम्बंधित पंचायत समिति के विकास अधिकारी या उनके द्वारा नामित व्यक्ति वार्ड सभा की बैठकों में भाग लेकर ,बैठक की कार्यवाही का विवरण लिखने ,वार्ड सभा के उपस्थित सदस्यों को पढ़कर सुनाने एवं उनकी सहमती के बाद हस्ताक्षर करने के लिए जिम्मेदार होगा|
ग्राम सभा के कार्य:
ग्रामसभा पंचायती राज प्रणाली की आधारशिला है ।यह ग्राम स्वराज की मूल इकाई है। प्रत्येक Gram panchayat स्तर पर ग्राम सभा होगी, जिसमें Gram panchayat क्षेत्र के समस्त गांव या गांव के समूह के संबंधित मतदाता सदस्य होंगे ,जो ग्राम सभा में भाग ले सकते हैं।
राजस्थान में वर्ष में ग्राम सभा की न्यूनतम 4 बैठकर करना आवश्यक है ।इसके अलावा ग्राम सभा के 10% सदस्य लिखित नोटिस देकर 15 दिन के भीतर ग्राम सभा आयोजित करा सकते हैं।
ग्राम सभा की पहली बैठक में पिछले साल का लेखा -जोखा,प्रशासनिक रिपोर्ट ,चालू वर्ष के विकास कार्यों की जानकारी, कार्यक्रमों के प्रस्ताव, वार्ड से आने वाले प्रस्तावों पर विचार किया जाना चाहिए। यह बैठक वित्तीय वर्ष के पहले 3 महीनों में होनी जरूरी है ।यानी अप्रैल से जून माह के बीच में इन बैठकों को आयोजित करवाना है।
ग्राम सभा की एक बैठक साल के अंतिम 3 माह में होगी यानी जनवरी से मार्च माह के बीच में। वर्ष भर के कार्य का प्रगति विवरण पेश होगा। व अगले साल की योजनाओं के प्रस्ताव पर जानकारी तथा पास हुए प्रस्तावों की खुली चर्चा समीक्षा ।व अगले वर्ष के प्रस्तावित कार्यक्रम व ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान (जीपीडीपी) पेश किए जाएंगे ।Gram panchayat द्वारा लगाए जाने वाले प्रस्तावित करो पर भी खुला विचार-विमर्श होगा।
ग्राम सभा की अध्यक्षता
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम सभा की अध्यक्षता सरपंच करते हैं ।सरपंच की अनुपस्थिति में उप सरपंच ग्राम सभा की अध्यक्षता करेंगे ।अगर उपसरपंच भी गैर हाजिर हो तो ग्राम सभा द्वारा बहुमत से चुना गया हाजिर व्यक्ति ग्राम सभा की अध्यक्षता करेगा।
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम सभा के कार्य
- वार्ड सभा द्वारा भेजी गई योजनाओं, कार्यक्रमों का अनुमोदन करना, उपेक्षित वर्गों को वरीयता देते हुए योजनाओं, कार्यो को क्रियान्वयन के लिए पंचायत को सौपना।
- गरीबी रेखा से नीचे के लोगों तथा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से लाभ लेने योग्य व्यक्तियों की पहचान करना। गलत,अपात्र चयनित व्यक्तियों का नाम बीपीएल सूची से निरस्त कराना।
- वार्ड सभा में क्षेत्र में किए गए विकास कार्य के खर्चों का सही ढंग से उपयोग होने का सामाजिक अंकेक्षण कराना एवं वार्ड सभा से प्रमाण पत्र प्राप्त करना।
- कमजोर वर्गों को आवंटित भूखंडों के बारे में सामाजिक ऑडिट कराना ।व आबादी भूमि के लिए विकास की योजना बनाना व स्वीकृत करवाना।
- Gram panchayat द्वारा किसी भी योजना व विकास कार्य में किए गए खर्च के बारे में पंच एवं सरपंच से स्पष्टीकरण मांगना।
- सामाजिक क्षेत्र की संस्थाओं तथा सरकारी एवं पंचायत के कर्मचारियों पर नियंत्रण तथा कार्य की निगरानी रखना। एवं सतत विकास लक्ष्यों का समावेश स्थानीय जरूरतों के अनुसार ग्राम पंचायत विकास प्लान में हो यह सुनिश्चित करना।
- जल व्यवस्था, सफाई व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था ,शिक्षा व्यवस्था एवं इसी प्रकार की अन्य ग्रामीण व्यवस्थाओं की निगरानी करना व उनसे समन्वय बनाकर लोगों को अधिक से अधिक लाभान्वित करना।
ग्राम पंचायत (Gram panchayat)के प्रमुख कार्य एवं शक्तियां
ग्राम पंचायत(Gram panchayat) के साधारण कार्य:
- पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजनाएं जीपीडीपी – ग्राम पंचायत विकास प्लान तैयार करना। इस संबंध में वार्ड पंच देखें की पंचायत की वार्षिक योजनाओं में उनके वार्ड से संबंधित विकास जरूरतों को भी शामिल कर योजना बनाई गई है या नहीं।
- प्रतिवर्ष हर ग्राम पंचायत के वार्ड पंच व सरपंच यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र की आबादी, स्त्री -पुरुष अनुपात ,साक्षरता ,स्कूलों में नामांकन की स्थिति, टीकाकरण प्रगति, मातृ – शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता ,पेयजल सुविधा ,शौचालय सुविधाएं ,विवाह के समय आयु ,जन्म-मृत्यू ,विवाह पंजीकरण, जमीनों का नामांतरण, बीपीएल परिवारों की सूची ,बेरोजगारी की स्थिति ,कुपोषित माताओं /बच्चों की स्थिति ,सामाजिक सुरक्षा योजना में पात्र लाभार्थियों की स्थिति ,राशन कार्ड व मतदाता सूचियां आदि प्रतिवर्ष सांख्यिकी सूचना अपडेट करवानी है।
पेयजल ,गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम व प्रारंभिक शिक्षा ,मिड-डे मील एवं साक्षरता कार्यक्रमों की निगरानी के कार्य:
- यह देखें कि आपके वार्ड में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है कि नहीं। यदि नहीं, तो केंद्र सरकार समर्थित हर घर नल 2024 तक संबंधी ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना अंतर्गत प्राथमिकता से यह कमी दूर करवाएं ।और पेयजल पाइपलाइन हर घर नल सन 2024 तक लक्ष्य हैतू कुँओं,जलाशयो और तालाबों का निर्माण, मरम्मत और रखरखाव आदि कार्य करवाएं।
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम चला रहा है ।इसमें अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करवाएं ।एवं एक और योजना केंद्र सरकार समर्थित है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत यह भी सभी पंचायतों में लागू है इसमें भी अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिलवाए एवं ग्रामीण क्षेत्रों में परिसंपत्तियों का निर्माण करवाये।
- ग्रामीणों को व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के माध्यम से भी लाभान्वित करें।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं समग्र शिक्षा अभियान के तहत बालक को और विशेषकर बालिकाओं का स्कूल प्रवेश उपस्थिति एवं ठहराव तथा गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने के सतत प्रयास करें। यह सुनिश्चित करें कि 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल जावे ।यह मुद्दा आपके गांव के विकास के आधार है।
- मिड डे मील कार्यक्रम के तहत सभी प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है उसकी गुणवत्ता व मात्रा का समय-समय पर ध्यान रखें व Gram panchayat इसकी निगरानी रखें। साथ ही यह भी देखें कि भोजन उतने बच्चों के लिए ही है जितने वास्तव में उपस्थित है।
Best
THANKS
सर आपके द्वारा लिखा गया लेख विद्यार्थियों एवम् समान्य जन की समझ तथा ज्ञान में गुणात्मक वृद्धि करता है जिस तरह आपने स्थानीय स्वशासन की विधायी इत्यादि शक्तियो को समझाया है
उसी प्रकार केंद्र एवम् राज्य की विधायिका और कार्यपालिका के बारे में लिखे सर ताकि हम तीनो सरकारी का समग्र विस्लेषण एक ही मंच पर प्राप्त हो सके
🙏 धन्यवाद् सरजी🙏
आपका प्रिय पाठक
XYZ
Thanks
Thanks