73वें संविधान संशोधन के मूल तत्व एवं ग्राम स्वराज की संकल्पना
महात्मा गांधी के मुख्यतः दो सपने थे पहला देश की आजादी और दूसरा ग्राम स्वराज। पहला सपना 15 अगस्त 1947 को पूरा हो गया लेकिन दूसरा सपना बहुत देर बाद पूरा हुआ, जब देश के संविधान में 73 वा व 74 वा संशोधन किया गया और 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई। महात्मा गांधी जी ने सपना देखा था कि सब मिलजुल कर रहे ।कहीं भी अशांति ना हो। हर एक गांव और गांव वासी आत्मनिर्भर हो। सब समान हो। गैर बराबरी ना हो।जाति और धर्म का भेदभाव ना हो। किसी का भी दमन ना हो। उनमें अमन शांति हो। किसी पर भी अन्याय न हो। हर किसी को आजादी का अनुभव हो।गांव अर्थव्यवस्था के केंद्र बने। कृषि और इससे जुड़े काम मजबूत हो।गांव के उद्योग धंधे मजबूत हो। गांव के लोगों के हुनर को पहचान मिले। और रोजगार के लिए उन्हें शहरों की ओर नहीं भागना पड़े। महात्मा गांधी जी का सपना था कि गांव का विकास गांव के ही चुने हुए लोग करें। हर गांव एक गणराज्य बने। इसी सपने को उन्होंने देखा था ।
महात्मा गांधी जी के अनुसार ग्राम स्वराज से तात्पर्य है कि प्रत्येक गांव एक आत्म कुशल स्वायत्त इकाई हो जहां एक गरिमामय जीवन के लिए सभी प्रणालियां और सुविधाएं उपलब्ध हो। ग्राम स्वराज स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर प्रयास के साथ स्वशासन का भी प्रतीक है। ग्राम स्वराज्य या ग्राम स्वशासन विकेंद्रीकृत, मानव केंद्रित और गैर शोषक प्रक्रिया है जो कि एक साधारण ग्राम अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में काम करता है। अपने पंचायती राज के अंदर यह संकल्प दोहराया जाता है की ई ग्राम स्वराज की स्थापना हेतु लगातार प्रयासों से हम पूर्ण स्वराज के गांधी जी के सपनों को साकार करने में सार्थक योगदान देकर भारत देश की सच्ची और पूर्ण आजादी सुनिश्चित करने की दिशा में अग्रसर होंगे।
73वें संविधान संशोधन के मूल तत्व क्या है?(Fundamentals of 73rd Constitutional Amendment)
स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़े व तंत्र मजबूत करने हेतु लाए गए इस संविधान संशोधन के मूल तत्व निम्न प्रकार है:
- ग्राम सभा को गांव की लोकसभा के रूप में संवैधानिक मान्यता जो कि विकेंद्रित स्वशासन एवं विकास नियोजन की बुनियादी इकाई है।
- त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था समान रूप से देश के सभी राज्यों में लागू- जिनकी आबादी 20 लाख से अधिक है।( ग्राम पंचायत ,मध्यवर्ती पंचायत या पंचायत समिति व जिला पंचायत या जिला परिषद)
- न्यूनतम एक तिहाई सीटों पर महिला आरक्षण -सदस्य एवं अध्यक्ष पदों हेतु । वर्ष 2010 से महिला आरक्षण को राजस्थान एवं देश के 19 प्रमुख राज्य में 50% सीटों तक बढ़ाया जा चुका है।
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति हेतु उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था । राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु भी अनुपातिक आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है।
- राज्य निर्वाचन आयोग का गठन – प्रत्यक्ष नियमित व सुचारू स्थानीय सरकारों की चुनाव व्यवस्था सुनिश्चित कराने हेतु।
- हर राज्य में, प्रत्येक 5 वर्ष हेतु राज्य वित्त आयोग का गठन- जो पंचायती राज संस्थाओं को सुपुर्द किए जा चुके दायित्व के अनुरूप उनकी वित्तीय एवं मानव संसाधन संबंधी स्थिति सुदृढ़ करने की अनुशंसा राज्य सरकार को करें।
- प्रत्येक जिले में ‘जिला आयोजना समिति’ के गठन को संवैधानिक मान्यता।( 74वां संविधान संशोधन के तहत लागू)
- संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में दर्ज 29 विषयों पर राज्य सरकार ने पंचायतों को शक्तियां व अधिकार हस्तांतरित करने हेतु अधिकृत। स्थानांतरित विषयों पर विकास योजना बनाने व क्रियान्वयन का दायित्व पंचायती राज संस्थाओं को दिया हुआ है।
पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वार्षिक प्रतिवेदन 2019-20 के अनुसार भारत में 2,76,718 पंचायती राज संस्थाएं कार्यरत है। इनमें 2,69,347 ग्राम पंचायत है। 6717 पंचायत समितियां तथा 654 जिला परिषद है। आज भारत में लगभग 30.45 लाख निर्वाचित जनप्रतिनिधि तथा 13.79 लाख निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तरों के प्रतिनिधित्व करते है। देश की ग्राम पंचायत राष्ट्रीय औसत जनसंख्या 3416 है। यह शासन व्यवस्था के विकेंद्रीकरण का मानव इतिहास में सबसे बड़ा प्रयोग है। आइए हम सब मिलकर पूरे मनोयोग से इस विकेंद्रित स्वशासन के ऐतिहासिक प्रयोग को सफल व सार्थक बनाने में अपने कर्तव्य का पालन करें।
संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में सम्मिलित विषय कौन से हैं?(What are the subjects included in the Eleventh Schedule of the Constitution)
- कृषि जिसके अंतर्गत कृषि विस्तार भी है
- भूमि विकास,भूमि सुधार का कार्यान्वयन, चकबंदी व भू- संरक्षण
- लघु सिंचाई,जल प्रबंध और जल ग्रहण विकास
- पशुपालन, दुग्ध उद्योग और कुकुट पालन
- मत्स्य पालन
- सामाजिक वानिकी और फार्म वानिकी
- लघु वन उत्पाद
- लघु उद्योग जिसके अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी है
- खादी,ग्राम और कुटीर उद्योग
- ग्रामीण आवास
- पेयजल
- ईंधन और चारा
- सड़के, पुलिया ,पुल , नौकायन फेरी, जल मार्ग तथा संचार के अन्य साधन
- ग्रामीण विद्युतीकरण जिसके अंतर्गत विद्युत का वितरण भी है
- गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- शिक्षा जिसके अंतर्गत प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय भी है
- तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसायिक शिक्षा
- प्रौढ़ शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा
- पुस्तकालय
- सांस्कृतिक क्रियाकलाप
- बाजार और मेले
- स्वास्थ्य और स्वच्छता जिसके अंतर्गत अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और औषधालय भी है
- परिवार कल्याण
- महिला और बाल विकास
- समाज कल्याण जिसके अंतर्गत दिव्यांग और मानसिक रूप से व्यक्तियों का कल्याण भी है
- वंचित वर्गों का विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली
- सामुदायिक परिसंपत्तियों का संधारण
पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित उपरोक्त जानकारी सभी के लिए उपयोगी होगी।यह जानकारी यूपीएससी ,आरपीएससी एवं अन्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं तथा राज्य भर्ती बोर्ड से होने वाली परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को पंचायती राज से संबंधित टॉपिक के पूछे जाने वाले प्रश्नों को आसानी से समझने में मददगार साबित होगा।