यह स्थान बाड़मेर-मुनाबाव रेल मार्ग पर स्थित जसाई रेलवे स्टेशन से करीबन 6 किलोमीटर,बाड़मेर नगर से 25 किलोमीटर और राजस्थान के खजुराहो कहलाने वाले किराडू से 18 किलोमीटर दूर पहाड़ियों की गोद में बसा जूना प्राचीन समय में जूना बाहड़मेर, बाहड़मेरु, बाहडगिरी,बाप्पडाऊ आदि नामों से विख्यात नगर रहा है।
प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer.
प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजस्थान का पश्चिमी सीमावर्ती रेगिस्तानी बाड़मेर जिला ऐतिहासिक एवं पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल रहा है। इस जिले में प्राचीन ऐतिहासिक अवशेष रूप में अनेकों इतिहास प्रसिद्ध स्थल आज भी अपने पुराने वैभव को संजोए हुए हैं।जूना किला बाड़मेर भी ऐसा ही एक स्थल है,जो आज भी पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल बना हुआ है।
बाड़मेर नगर के संस्थापक कौन थे?
प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer जूना बाहड़मेर या बाड़मेर नगर की स्थापना परमार शासक धरणी वराह या धरणीधर राजा के पुत्र बाहड़ बागभट्ट ने विक्रमी संवत 1059 के पश्चात की थी।
राजस्थान के प्राचीन भाट साहित्य के अनुसार 11 वीं शताब्दी के आसपास इस क्षेत्र पर ब्राह्मण शासक बप्पड का आधिपत्य था और उसने अपने नाम पर इस नगर का नामकरण बाप्पडाऊ रखा। बप्पड ब्राह्मण के वंशजों से 12वीं शताब्दी में परमार धरणी वराह के वंशज बाहड़-चाहड़ ने इसे अपने अधीन लेकर इसका नाम बाहड़मेर अथवा बाहडमेरु रख दिया।
जूना बाहड़मेर का इतिहास।History Of Old Barmer।
बाड़मेर की प्राचीनता के संबंध में कई महत्वपूर्ण उल्लेख मिलते हैं। कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार विक्रमी संबंध 1082 (ई.सन 1027) में महमूद गजनवी ने गुजरात जाते समय परमारो के इस दुर्ग का भी विध्वंस किया था।
कर्नल टॉड के अनुसार विक्रमी संवत 1235 (ई. सन 1178) में चौहानों से संघर्ष करते हुए शहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी ने मुल्तान से लोदर्वा, देवका,किराडू एवं प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer. पर आक्रमण किया था। जूना के दुर्ग एवं जैन मंदिरों को तोड़ा गया, जूना बाड़मेर के वर्तमान खंडहरो के रूप में विद्यमान जैन मंदिरों में आज भी विक्रमी संवत 1352 का एक, विक्रमी समन 1356 के दो एवं विक्रमी संवत 1693 का एक शिलालेख मौजूद है।
उपरोक्त तीनों शिलालेखों के आधार पर इतिहासकार इस क्षेत्र के इतिहास को बताते हैं। यह क्षेत्र उस समय के प्रसिद्ध जैन मंदिरों के लिए विख्यात था।यहां के खंडहरों में आज भी पुरातत्व एवं शिल्प कला कृतियों की दृष्टि से आदिनाथ भगवान का जैन मंदिर अपने प्राचीन वैभव को लिए खड़ा है। इस मंदिर के मंडप का अग्रभाग गिर चुका है,किंतु सभा एवं श्रृंगार मंडप के अनेकों स्तम्भ आज भी विद्यमान है।
इस स्थल के कई स्थानों पर प्राचीन शिलालेख आज भी उस युग की गाथा का वर्णन करते हैं।खंभों के नीचे के भाग पर कुछ सुंदर प्रतिमाएं बनी हुई है।मंदिर के ऊपरी गोलाकार गुंबज के आंतरिक भाग की शिल्प कला अत्यंत ही सूक्ष्म एवं सुंदर है।इन गुम्बदों के पास पाषाणों में देवी लक्ष्मी,देवी सरस्वती और अन्य देवी-देवताओं की अत्यंत ही मन-मोहिनी एवं सुंदर प्रतिमाए बनी हुई है जो उस काल के अद्भुत वास्तु कला को दर्शाते हैं।
मध्यकाल में लगभग 10वीं -11वीं शताब्दी में प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer. की स्थापना की गई थी। यह नगर चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। जूना किले में जाने का केवल एक ही मार्ग है इसलिए सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण स्थल था।
जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध जूना बाहड़मेर।
इस पहाड़ी पर मौजूद पत्थरों के रूप में खड़े अवशेष चीख़-चीख़ कर उस काल के शिल्पीओ की दास्तान को बयान करते हैं और बताते हैं की अद्भुत शिल्प कलाकृति वाला एक विशाल मंदिर यहां पर मौजूद था। इन अवशेषों में मंदिर का प्रवेश द्वार,श्रृंगार चौकी,रंग -मंडप,सभा मंडप,परिक्रमा पथ, मंदिर के चारों और बनी प्राचीरे और नीचे उतरने एवं चढ़ने के लिए पहाड़ी के दोनों तरफ पाषाणों की पगडंडी आज भी तितर-बितर अवस्था में विद्यमान है।
विक्रमी संवत 17 वीं शताब्दी तक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जूना किला बाड़मेर। Famous Historic Tourist Place Juna Kila Barmer बाहड़मेर के नाम से जाना जाता रहा। मुगल शासक औरंगजेब के समय सन 1744 ईसवी के लगभग यहां पर वीर राठौड़ दुर्गादास का निवास भी रहा था। मारवाड़ के राठौड़ दुर्गादास ने औरंगजेब के पौत्र अकबर के पुत्र और पुत्री बुलंद अख्तर और सफिया यूनिसा को इसी जूना के दुर्ग में सुरक्षित रखा था।
जूना का प्राचीन दुर्ग परमारो और चौहानों की देन है।ऐतिहासिक घटना चक्र के बीच इस पर छोटे-बड़े आक्रमण होते रहे, जिसके कारण इसका पतन आरंभ हो गया और धीरे-धीरे यहां के लोग आसपास के स्थानों पर जाकर बसने लगे। विक्रमी संवत 1640 तक इस नगर के आबाद होने के कारण वर्तमान जूना ही बाहड़मेर कहलाता था। विक्रमी संवत 1608 में रावत भीमाजी ने स्वतंत्र रूप से बाड़मेर बसाया जो आजकल राजस्थान प्रदेश का जिला मुख्यालय एवं भारत-पाक सीमा पर बसा एक सीमांत जिला है।
Jodhpur to Barmer train
पर्यटक जो ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण में रुचि रखते हैं। उनके लिए यह स्थान काफी अच्छा घूमने के लिए रहेगा।बाड़मेर पहुंचने के लिए जोधपुर से सीधा ट्रेन पकड़ कर भी इस जगह पर पहुंचा जा सकता है।जोधपुर टू बाड़मेर ट्रेन संचालित है। साथ ही सड़क मार्ग से भी यह स्थल जोधपुर से जुड़ा हुआ है।
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