द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन।

द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन।

द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन।
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन।


द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया है। मध्य प्रदेश के निरसिंहपुर में उनका निधन हुआ। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपने आश्रम में दोपहर 3 बजे के करीब अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया था। 2 सितंबर 1924 में उनका जन्म हुआ था। वह द्वारका और ज्योतिर्मठ पीछ के शंकराचार्य थे।

HIGHLIGHTS

  • 👉शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन।
  • 👉मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में ली अंतिम सांस।
  • 👉99 साल की उम्र में शंकराचार्य का निधन।

हिन्दू धर्म के सर्वोच्च पीठाधीश्वर, 3 शंकराचार्यों में से एक स्वामी स्वरूपानंद  सरस्वती जी ब्रह्मलीन हुए, दिवंगत पुण्य आत्मा को श्रद्धांजलि , ईश्वर उन्हें अपने चरणों मे स्थान दें 🙏 #स्वरूपानंद_सरस्वती_जी

 

हिन्दू धर्म के सर्वोच्च पीठाधीश्वर, 3 शंकराचार्यों में से एक स्वामी स्वरूपानंद  सरस्वती जी ब्रह्मलीन हुए, दिवंगत पुण्य आत्मा को श्रद्धांजलि , ईश्वर उन्हें अपने चरणों मे स्थान दें 🙏

#स्वरूपानंद_सरस्वती_जी द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन।

शंकराचार्य


Swami Swaroopanand Saraswati:
 मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। उन्होंने लगभग 99 वर्ष की आयु में

 देह त्यागी है। झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में स्वामी स्वरूपानंद का निधन हुआ है। कल झोतेश्वर परमहंसी आश्रम में अंतिम संस्कार हो सकता है। स्वामी स्वरुपानंद द्वारकापीठ और शारदापीठ के शंकराचार्य थे।परम् पूज्य द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोक गमन का दुखद समाचार हृदय विदारक है।सनातन धर्म और अध्यात्म जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।ईश्वर पूज्य महाराज श्री की दिव्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें एवं महाराज श्री के समस्त शोक संतप्त अनुयायियों को इस दुःखद घड़ी में धैर्य एवं संबल प्रदान करें।शंकराचार्य



स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रीय रहे थे।देश की आजादी के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद ने अंग्रेजों का भी सामना किया था। उनका बचपन का नाम पोथीराम था। उन्होंने काशी में करपात्री महाराज से धर्म की शिक्षा ली थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय वह भी आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्हें दो बार जेल भी जाना प ड़ा। साल 1989 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। जानकारी के मुताबिक वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 98 साल पूरे कर चुके थे और उन्होंने 99वें साल में प्रवेश किया था वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। हाल ही में 3 सितंबर को उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। वह द्वारका की शारदा पीठ और ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य थे।

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