काष्ठ कला का प्रसिद्ध स्थल चित्तौरगढ़ का बसी गांव।A famous place of wooden art Basi Chittorgarh।
A famous place of wooden art Basi Chittorgarh. |
राजस्थान का नाम विश्व पटल पर इसकी अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर व कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां की ग्रामीण संस्कृति अपने में विविध रंगों को संजोए हुए हैं और यहां के कलाकार देश-विदेश में अपनी ख्याति आदिकाल से फैलाते रहे हैं एवं वर्तमान में भी यह सफर अनवरत जारी है। इसी संदर्भ में आज हम लोग काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ के बसी गांव के बारे में जानेंगे।
चित्तौड़गढ़ जिले के बस्सी गांव की काष्ठ कला प्रसिद्ध है।यहां वर्षों से काष्ठ निर्मित विविध-रूपा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का जो प्रयत्न किया गया है वह अतुल्य है। काष्ठ कला रूपों में कठपुतली, चोपड़े, माणक स्तंभ, तोरण, बाजोट, वेवाण, मुखोटे,खांडे, झूले-हिंडोले आदि के साथ सर्वाधिक चर्चित कावड़ है।
नए प्रयोग करते हुए विविध महापुरुषों,राष्ट्र नायको तथा लोक देवताओं पर 100 से अधिक काष्ठ कलाए बनाई गई है। सबसे छोटी माचिस के आकार की कावड़ से लेकर सबसे बड़ी 8 फीट ऊंची, 20 फीट लंबी तथा 3.50 क्विंटल वजनी कावड़ भी बनाई गई है, जो उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के संग्रहालय में दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
चित्तौड़गढ़ जिले का यह बस्सी गांव लकड़ी की कलाकृतियों के लिए अत्यंत ही प्रसिद्ध है, यहां पर बच्चों के खिलौने भी बनाए जाते हैं जो बहुत ही सुंदर और लोकप्रिय होते हैं।
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