हिंदू, तिब्बती, जैन व बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है भगवान शिव का निवास कैलाश मानसरोवर । HINDU, TIBBATI, JAIN AND BODH DHARM KA PRASIDH TIRTH STHAL KAILASH MANSAROVAR IN HINDI

हिंदू, तिब्बती, जैन व बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है भगवान शिव का निवास कैलाश मानसरोवर । HINDU,TIBBATI, JAIN AND BODH DHARM KA PRASIDH TIRTH STHAL KAILASH MANSAROVAR IN HINDI

कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का निवास स्थान बताया जाता है। यही कारण है, कि प्रकृति ने अपने हाथों से इस स्थल को सजाया और संवारा है। इसे एक सिद्ध तीर्थ की उपाधि प्राप्त है। यह पवित्र स्थान समुद्र तल से लगभग 5600 मीटर से भी अधिक ऊंचे तिब्बत क्षेत्र में है। सन 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान चीन ने इस पर अधिकार कर लिया था, तब से यह चीन के अधिकार क्षेत्र में ही है।

1981 से भारतीय तीर्थ यात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा के द्वार भारत सरकार ने प्रयास कर खुलवाए थे। कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए यात्रियों को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। वहां जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। उन नियमों का पालन करना होता है। यात्री स्वास्थ्य की दृष्टि से मजबूत होना चाहिए।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के मुख्य मार्ग कौन-कौन से हैं?

कैलाश यात्रा के लिए मुख्यतः तीन मार्ग है- पहला कश्मीर से लद्दाख होकर जाता है।दूसरा नेपाल से होकर मुक्तिनाथ(डरमा दर्रे) से जाने वाला तथा तीसरा गंगोत्री से जाने वाला मार्ग है। यह सभी कठिन और निर्जन मार्ग है। इन सभी रास्तों के लिए बर्फीले प्रदेश में से होकर जाना पड़ता है, इसलिए यह मार्ग साधारण तीर्थ यात्रियों के लिए ठीक नहीं है।
इन रास्तों के अलावा भी कैलाश जाने के लिए तीन रास्ते अन्य भी है। यह कुछ सुविधाजनक है।अधिकतर यात्री इन्हीं रास्तों से कैलाश मानसरोवर जाते हैं। पहला रास्ता- टनकपुर,पिथौरागढ़, तवाघाट, कालापानी, नाविडाँग, लिपुलेख, तकलाकोट और मानसरोवर होता हुआ कैलाश पर्वत तक पहुंचता है।इस रास्ते में टनकपुर तक रेलगाड़ीया जाती है। टनकपुर से पिथौरागढ़ तक बसों की पर्याप्त व्यवस्था है। पिथौरागढ़ से आगे पैदल ही लिपू दर्रे से होकर कैलाश तक पहुंचा जा सकता है। वैसे दिल्ली से बस द्वारा चंपावती तथा धारचूला होते हुए सीधे भी तवाघाट पहुंचा जा सकता है।
दूसरा रास्ता काठगोदाम से है। यहां तक रेल सुविधा उपलब्ध है। यहाँ से कपकोट (अल्मोड़ा),ऊटा,जयंती,कूंगरी विगरी पर्वतों की घाटियाँ पार करके है। काठगोदाम से कपकोट तक बस सुविधा उपलब्ध है। आगे का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है।
तीसरा रास्ता ऋषिकेश व जोशीमठ होकर जाता है। जोशीमठ तक बसें जाती है। फिर नीति घाटी पार करके कैलाश पर्वत की पैदल यात्रा की जा सकती है।

कैलाश मानसरोवर यात्रियों के लिए विशेष खानपान संबंधी ध्यान रखने योग्य बातें

क्योंकि यह एक पहाड़ी इलाका है,अतः मैदानी इलाकों से आने वाले यात्रियों को तिब्बत में प्रवेश करते ही खानपान में कठिनाई होने लगती है। तिब्बत में दाल, चावल,आटा आदि काफी महंगी है। वहां ठहरने के लिए तंबुओं में रहना सस्ता पड़ता है।
कैलाश यात्रा करने वाले यात्री को ध्यान रखकर अपने साथ में पर्याप्त खानपान का सामान, दियासलाई, मोमबत्ती, टोर्च, चाय, डब्बे का दूध, छोटी-मोटी आवश्यक दवाएं,धूप का चश्मा आदि अपने पास जरूर रखना चाहिए।

भारत सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए निर्धारित योग्यता:-

  1. तीर्थयात्री भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  2. उसके पास चालू वर्ष के 01 सितंबर को कम से कम 6 महीने की शेष वैधता अवधि वाला भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए।
  3. उसकी आयु चालू वर्ष की 01 जनवरी को कम से कम 18 और अधिक से अधिक 70 वर्ष होनी चाहिए।
  4. उसका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या उससे कम होना चाहिए।
  5. धार्मिक प्रयोजनार्थ यात्रा करने के लिए उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सा की दृष्टि से उपयुक्त होना चाहिए।
  6. विदेशी नागरिक आवेदन करने के पात्र नहीं हैं; अतः ओसीआई कार्डधारी पात्र नहीं हैं।
शर्तेँ- आवेदक यात्रा के लिए आवेदन करने से पूर्व निम्नलिखित शर्तों को ध्यानपूर्वक नोट करेः
  • अधूरे आवेदनों को रद्द किया जा सकता है और उन्हें कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ में शामिल नहीं किया जाएगा।
  • आवेदन में गलत अथवा असत्य सूचना यात्रा के दौरान तथा यात्रा के किसी भी चरण में अयोग्यता का आधार होगी।
  • यह आवेदक की जिम्मेदारी है, कि वह नाम की वर्तनी, जन्मतिथि इत्यादि सहित हर तरह से पूर्ण और सही सूचना दे।
  • आवेदक को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दमा, हृदय रोग, मिरगी इत्यादि रोगों से पीड़ित नहीं होना चाहिए।
  • चुने गए आवेदकों को उच्च तुंगता सहनशीलता जाँच के लिए दिल्ली में दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट और आईटीबीपी बेस अस्पताल द्वारा आयोजित विशिष्ट चिकित्सा जाँच करानी होगी और उसमें सफल होना होगा।
  • किसी भी यात्री को किसी भी चरण में उच्च तुंगता सहनशीलता जाँच चिकित्सा की दृष्टि से अनुपयुक्त पाये जाने पर यात्रा जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • किसी भी यात्री को यात्रा के किसी भी चरण में चिकित्सा और/अथवा अन्य आधार पर अयोग्य पाये जाने पर उसकी पुष्टि धनराशि और पहले किये गये अन्य भुगतान जब्त कर लिए जाएंगे।
  • यदि कोई चयनित यात्री निर्धारित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार अपने समूह में शामिल नहीं हो पाता है तब भी यात्रा जत्थे निर्धारित तारीखों को ही रवाना होंगे।
  • पहली बार जाने वाले आवेदकों को उन आवेदकों की अपेक्षा वरीयता दी जाएगी, जो इस मंत्रालय द्वारा पिछले किसी भी वर्ष आयोजित की गई यात्रा में जा चुके हैं।
  • उन आवेदकों के मामले में स्थगन होगा, जो इस मंत्रालय द्वारा आयोजित इस यात्रा में पिछले वर्षों में 4 बार से भी अधिक जा चुके हैं। इस मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी का निर्णय अंतिम होगा और इस बारे में किसी भी अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • जिन आवेदकों पर ऐसा कोई कानूनी अथवा प्रशासकीय प्रतिबंध लगा हुआ है। जो उस व्यक्ति को विदेश यात्रा से वंचित करता है। वह इस यात्रा के लिए आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे।

क्योंकि कैलाश मानसरोवर तिब्बत क्षेत्र में स्थित है, जो कि चीन के अंदर आता है। अतः सीमा पर चीनी सैनिक हर यात्री की तलाशी लेते हैं।

कैलाश मानसरोवर का सौंदर्य

सुंदरता की दृष्टि से शिव के इस धाम को अति सुंदर माना जाता है। यहां पर पठारी भाग में दो बड़े-बड़े कुंड है। जिन्हें राक्षस ताल और मानसरोवर ताल के नाम से जाना जाता है। राक्षस ताल काफी लंबा है और कहा जाता है कि रावण ने यहीं पर भगवान शंकर की तपस्या की थी। मानसरोवर का जल बहुत साफ है। यह लगभग 35 किलोमीटर के घेरे में फैला हुआ है। इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह अंडाकार है।यहाँ वृक्ष, फल, फूल आदि नहीं है। इस सरोवर में कमल भी नहीं है, हां हंस यहां काफी मात्रा में है। सरयू और ब्रह्मपुत्र नदीयाँ इसी सरोवर से निकलती है।
इस मानसरोवर ताल से 30 किलोमीटर की दूरी पर कैलाश पर्वत स्थित है, और लगभग यहीं से हमको कैलाश के दर्शन होने लग जाते हैं। कैलाश का आकार शिवलिंग की तरह है। दूर से देखने पर यह 16 पंखुड़ियों वाले कमल के जैसा दिखाई पड़ता है। कैलाश का जल गौरीकुंड में गिरता है। यह हमेशा बर्फ से ढका रहता है।

कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा

कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले यात्री कैलाश पर्वत की परिक्रमा जरूर करते हैं। यह परिक्रमा पथ लगभग 50 किलोमीटर लंबा है। जिसे पूरा करने में ढाई से 3 दिन का समय लगता है। यह परिक्रमा पथ समुद्र तल से 5700 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां बहुत ही सुख और शांति का अनुभव होता है।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले यात्रियों के चयन की प्रक्रिया क्या है?

कैलाश यात्रियों के चयन की प्रक्रिया

  • निष्पक्ष कंप्यूटरीकृत प्रणाली के माध्यम से ड्रा : विदेश मंत्रालय द्वारा एक निष्पक्ष कंप्यूटर-जनित, यादृच्छिक, लिंगानुपातिक चयन प्रक्रिया के माध्यम से यात्रियों का चयन किया जाएगा, और उनको विभिन्न मार्ग एवं बैच आबंटित किए जाएंगे। आवेदन के स्तर पर एक ही बैच में दो व्यक्तियों का दल एक साथ यात्रा करने का विकल्प दे सकते हैं। प्रत्येक आवेदक की पात्रता शर्तों के अधीन जहाँ तक संभव होगा, ऐसे अनुरोध को समायोजित करने का प्रयास किया जाएगा। प्रत्येक आवेदक को ऑन-लाईन आवेदन पूरा करना चाहिए
  • सूचना: कंप्यूटरीकृत ड्रा के पश्चात चुने गए आवेदकों को उनके पंजीकृत ई-मेल आई डी/मोबाईल नं. पर स्वचालित संदेश के माध्यम से सूचित किया जाएगा। हेल्पलाईन नं. 011-24300655 के माध्यम से भी अद्यतन स्थिति जानी जा सकती है।
शर्तें
  • कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के माध्यम से यात्रियों को एक बार आबंटित मार्ग एवं बैच में सामान्य तौर पर परिवर्तन नहीं किया जाएगा। तथापि, यदि परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है, तो चयनित यात्री परिवर्तन का औचित्य प्रदान करते हुए बैच में परिवर्तन हेतु अनुरोध कर सकते हैं। यह परिवर्तन खाली स्थान उपलब्ध होने पर ही किया जा सकेगा। इस मामले में मंत्रालय का निर्णय ही अंतिम होगा।
  • कंप्यूटरीकृत ड्रा के पश्चात्, चुने गए प्रत्येक आवेदक को कट-ऑफ तिथि से पूर्व कुमांऊ मण्डल विकास निगम (KMVN) अथवा सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) द्वारा निर्धारित बैंक खाते में ‘ यात्रियों हेतु शुल्क एवं व्यय ‘ में उल्लिखित अप्रतिदेय पुष्टिकरण राशि जमा कराकर अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी होगी।
  • यदि कट-ऑफ तिथि तक KMVN/STDC के खाते में राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे यात्रियों को स्वतः ही चयन सूची से हटाकर बैच की प्रतीक्षा सूची में डाल दिया जाएगा तथा उपर्युक्त पैरा 3 में किए गए उल्लेख के अनुसार अन्य यात्रियों के अनुरोध पर विचार किया जाएगा।
  • किसी बैच के लिए संपुष्ट किए गए यात्रियों को यात्रा के लिए दिल्ली पहुँचने से पहले बैच में अपनी भागीदारी की पुनः पुष्टि करना अपेक्षित होगा। पुनः पुष्टिकरण वेबसाईट पर ऑनलाईन करना होगा। ऐसा नहीं किए जाने के परिणामस्वरूप उनका नाम बैच की सूची से काट भी दिया जा सकता है।
  • संपुष्ट किए गए यात्रियों को बैच के लिए निर्धारित यात्रा-कार्यक्रम के अनुसार नियत तारीख और समय पर DHLI में रिपोर्ट करना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने के परिणामस्वरूप उनका नाम उस बैच से काट दिया जाएगा। प्रत्येक बैच के सभी यात्रियों के लिए एक साथ यात्रा करना तथा वापस लौटना अनिवार्य है।
  • पंजीकृत/प्रतीक्षा सूचीबद्ध यात्री भी यात्रा छोड़ देने वाले (ड्रॉप आउट) यात्री के स्थान पर बैच में शामिल किए जाने हेतु DHLI में रिपोर्ट कर सकते हैं। इसमें नाम शामिल किया जाना पूर्णतया ड्रॉप आउट से उत्पन्न खाली स्थान की उपलब्धता के अधीन है।
  • चयन के बाद महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज : चुने गए एवं संपुष्ट किए गए यात्रियों को यात्रा के लिए दिल्ली आते समय निम्नलिखित दस्तावेजों को अपने साथ अनिवार्य रूप से लाना होगा।
  1. भारतीय पासपोर्ट, जो वर्तमान वर्ष के 1 सितंबर को कम से कम छः (6) महीने के लिए वैध हो।
  2. फोटो : रंगीन, पासपोर्ट साईज (6 प्रतियां)
  3. क्षतिपूर्ति बांड 100 रुपए या स्थानीय स्तर पर लागू राशि के गैर-न्यायिक स्टांप पेपर पर तथा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित।
  4. वचन पत्र, आपात स्थिति में हेलिकॉप्टर द्वारा निकासी हेतु।
  5. सहमति पत्र, चीनी क्षेत्र में हुई मृत्यु की स्थिति में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार हेतु।
यदि उपर्युक्त पैरा में वर्णित किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत नहीं किया जाता है या वे वर्तमान वर्ष की अपेक्षाओं के अनुरूप न हों अथवा उनमें कोई अन्य कमी पाई जाती है, तो यात्री को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में मंत्रालय का निर्णय ही अंतिम होगा और इस संदर्भ में किसी भी प्रकार के अभ्यावेदन पर कोई विचार नहीं किया जाएगा।

कैलाश मानसरोवर यात्रा पर अनुमानित खर्च कितना होता है?

कैलाश मानसरोवर यात्रा का अनुमानित खर्च लगभग डेढ़ लाख रुपए तक होता है। जिसमें चीनी वीजा एवं यात्रियों के आने-जाने का समस्त प्रबंध शामिल होता है।
भगवान शिव का निवास कैलाश मानसरोवर

कैलाश मानसरोवर की यात्रा हिंदू धर्म के लोगों के मध्य तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही साथ यह तिब्बती,जैन व बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी इतनी ही महत्वपूर्ण है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, कैलाश पर्वत को भगवान् शिव का निवास स्थान माना जाता है। मगर आज तक कोई भी मनुष्य कैलाश मानसरोवर  पर्वत पर चढ़ नहीं सका है।
एक विदेशी ने पहली पहली  बार ” गूगल अर्थ “ द्वारा कैलाश पर्वत का विडियो बनाया है, जिसमें बहुत ही अविश्वसनीय और विचित्र दृश्य देखने को मिलें हैं और उसका विवरण सुन कर आप विस्मयपूर्वक रह जाएंगे।
विडियो में बताया गया है कि विश्व में अभी तक किसी को भी नहीं पता था कि कैलाश पर्वत पर पत्थर की मूर्तियाँ बनी हुई हैं ,जो 250 फुट ऊंची हैं…. जी हाँ , 250 फुट ऊंची, यह बहुत ही विस्मय और आश्चर्य की बात है कि वह इतनी ऊंची मूर्तियाँ किसने और कैसे बनाई होंगी जब कि कैलाश मानसरोवर पर्वत करोड़ों साल पुराना है।
बड़े आश्चर्य की बात है कि भगवान् शिव के निवास स्थान,  कैलाश पर्वत के अविश्वसनीय तथ्यों के बारे आज तक किसी को पता ही नहीं चला। मनुष्य तो यही कह सकता है कि भोले नाथ की लीला अपरम्पार है।

1 thought on “हिंदू, तिब्बती, जैन व बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है भगवान शिव का निवास कैलाश मानसरोवर । HINDU, TIBBATI, JAIN AND BODH DHARM KA PRASIDH TIRTH STHAL KAILASH MANSAROVAR IN HINDI”

Leave a Comment