सेव है चमत्कारी गुणों का खजाना।(A True Story Of An Apple)

सेव है चमत्कारी गुणों का खजाना।

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सेव पोषक तत्व का अनूठा संगम है। सेव में कैलोरी कम होती है। इसमें सोडियम, संतृप्त वसा या कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल नहीं होता है। सेव में विटामिन सी और बीटा कैरोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें लेवोनॉयड और पॉलिफेनॉल्स प्रजाति के अनेक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसकी एंटी ऑक्सीडेंट समता 5900 टी ई होती है।   
                             सेव में पाए जाने वाले प्रमुख लेवोनॉयड्स-क्यूअरसेटिन,एपिकेटचीन,प्रोसायनिडिन B12 है। इसमें B- COMPLEX  विटामिन जैसे राइबोफ्लेविन, थायमिन, पायरिडोक्सिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। पोटेशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम खनिज तत्वों में भी यह फल प्रमुख है। सेव में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक नहीं होती है। 100 ग्राम से में 2-3 ग्राम ही फाइबर होता है। जिसमें 50% पेक्टिन होता है, लेकिन यह फाइबर सेव के अन्य पोषक तत्व के साथ मिलकर रक्त में फैक्ट्स और कोलेस्ट्रॉल की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। सेव की रक्त के फैट्स को कम करने की क्षमता फाइबर से भरपूर कई अन्य खाद्य पदार्थों से भी अधिक होती है। लेकिन हृदय रोग में पूरा फायदा लेने के लिए आपको सिर्फ पेक्टिन लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि पूरा सेव खाना पड़ेगा।
पूरा विश्व सेव को फलों का सरताज अर्थात किंग ऑफ फ्रूट्स मानता है। सेव सर्वव्याप्त, स्वास्थ्यप्रद और स्वादिष्ट फल होता है। यह रोज(Rosaceae)  परिवार का सदस्य है। इस परिवार के अन्य फल आडू,खुबानी, चेरी, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, रसबेरी, आलूबुखारा, बादाम आदि होते हैं।

सेव के चमत्कारी गुण

लोगों को अगर दूर रखना चाहते हो तो सेब का सेवन नियमित रूप से करें सेव में कई चमत्कारी गुण पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं:-
  • सेव को डायबिटीज डेंमेजर माना जाता है। सेब में मौजूद पॉलिफिनॉल्स कई स्तर पर शर्करा के पाचन और अवशोषण को प्रभावित करते है और रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बखूबी नियंत्रित रखने की कोशिश करते हैं।
  • सेव शर्करा के पाचन में गतिरोध पैदा करते हैं। सेव में मौजूद क्यूरसेटिन ओर अन्य लेवोनॉयड शर्करा को पचाने वाले एंजाइम अल्फा-एमाइलेज और अल्फा ग्लूकोसाईडेस को बाधित करते हैं। ये एंजाइम जटिल शर्करा का विघटन करके सरल कार्ब ग्लूकोज में परिवर्तित करते है। जब ये एंजाइम बाधित होते हैं तो स्वाभाविक है कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर नहीं बढ़ेगा।
  • सेब में मौजूद पॉलीफेनॉल आंत में ग्लूकोस के अवशोषण की गति को कम करते हैं, जिससे रक्त में ग्लूकोज धीरे-धीरे बढ़ती है।
  • सेव में जल घुलनशील पेक्टिन और पोलीफेनॉल्स का अनूठा मिश्रण इसे हृदय के लिए हितकारी बनाता है। नियमित सेब का सेवन करते रहने से कोलेस्ट्रॉल और बुरा एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होने लगता है। रक्त और रक्त वाहिका की आंतरिक सतह की कोशिका भित्ति में फैट्स का ऑक्सीडेशन कम होना कई ह्रदय रोगों से बचाव की मुख्य कड़ी है।
  • नियमित सेव खाने से शरीर में सीआरपी कम होता है और हृदय रोग का जोखिम कम रहता है। इस सर्वव्याप्त और स्वादिष्ट फल को प्रकृति ने हृदय हितेषी पोषक तत्वों से प्रचुर कर हमारे पास भेजा है। पोषक तत्वों का ऐसा विचित्र संगम बहुत कम देखने को मिलता है। शायद इसीलिए हमारे बुद्धिमान पूर्वज कहते आये है कि रोज एक सेब खाने से आप चिकित्सक से दूर रहेंगे।
  • सेब खाने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इसलिए सेव को कैंसर किलर भी माना जाता है।
  • अस्थमा के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है सेव का सेवन करना। क्योंकि सेव में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो अस्थमा के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • सेव अल्जाइमर और रेटिना के मैकुलर डिजनरेशन में भी गुणकारी माना गया है।
  • सेव में मौजूद फास्फोरस और लोहा  मस्तिष्क और शरीर की मांसपेशियों में शक्ति का नव संचार कर इन्हें सुदृढ बनाते हैं।

सेव की उत्पत्ति कैस्पियन सागर और ब्लैक सागर के बीच घने उपवन में हुई है आज यह स्थान कजाकिस्तान में आता है। लेकिन अब सेव की पैदावार पूरे विश्व में होती है। विश्व में सेव की अनेक प्रजातियां पाई जाती है । चीन, अमेरिका, तुर्की, पोलैंड और इटली इसके प्रमुख उत्पादक देश है।

सेव के भारत आगमन की कहानी(A True Story Of An Apple)

आज पूरी दुनिया कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेव की दीवानी है। किन्तु क्या आप जानते हैं? भारत में सेव का इतिहास मात्र 100 वर्ष पुराना ही है। भारत में सेव को लाने का श्रेय सैमुअल इवान स्टोक्स नामक अमेरिकी(American) को जाता है। उन्हें भारत में सेव क्रांति का अग्रदूत भी माना जाता है। इनके पिता बहुत बड़े उद्योगपति थे और स्टोक्स एन्ड पेरिस मशीन कंपनी के मालिक थे। लेकिन स्टॉक्स को अपने पिता के व्यवसाय में रुचि नहीं थी। 
वह क्रिस्चियन सन्यासी बनकर मानवता की सेवा करना चाहते थे। तभी उनकी मुलाकात डॉक्टर मार्कस चार्ल्सटन से हुई,जो भारत में कुष्ठ रोग के मरीजों पर कार्य कर रहे थे। इस तरह वे अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध 26 फरवरी 1904 को कुष्ठ रोगियों की देखभाल करने के मकसद से डॉक्टर चार्ल्सटन के साथ भारत आ गए। भारत में यह शिमला के पास सपाटू नामक स्थान पर कुष्ठ रोगियों की सेवा करने लगे। उन्हें शिमला की खूबसूरत वादियों से प्यार हो गया और यहीं बस गए। इन्हीं वादियों मे शिमला से 82 किलोमीटर दूर एक कस्बे कोटगढ़ की सुंदर पहाड़ी पर बेंजामिन नामक महिला  से इनका 1912 में विवाह हुआ। 
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पता ही नहीं चला कि एक अमेरिकन युवा देखते-देखते कब हिंदुस्तानी बन गया। सैमुअल ने भारत को आजादी दिलाने के लिए भी अंग्रेजों से कई पंगे लिए। जिसके लिए अंग्रेजों ने उन्हें 2 वर्ष के लिए लाहौर जेल में बंद भी किया था।

उन दिनों अमेरिका में सेब की पैदावार अत्यधिक होती थी। सैमुअल को लगा कि कोटगढ़ की जलवायु सेव की खेती के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। सेमुअल को विश्वास था कि पहाड़ों की समृद्धि बागवानी में ही है। इसलिए सन 1919 में उन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के मकसद से अमेरिका से सेब के पौधे लाकर अपने 200 एकड़ के बाग में लगाए। 1925 में जब सेव की पहली पैदावार बाजार में बिकने पहुंची तो लोग खरीदने के लिए टूट पड़े। इसके बाद तो बस पूरे इलाके के किसान सेव की खेती में जुट गए। आज हिमाचल प्रदेश भारत का सेव राज्य कहलाता है। इस इलाके में आज भी उन्हें जॉनी एप्पल सीड ऑफ हिमालय के नाम से जाना जाता है।

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