सूचना का अधिकार अधिनियम 2005(RIGHT TO INFORMATION ACT 2005)के बारे में विस्तृत जानकारी
प्रिय पाठकों
neelgyansagar.in ब्लॉग की इस पोस्ट में मैं आपको सूचना के अधिकार के बारे में विस्तारपूर्वक व सरल शब्दों में बताऊँगा। सूचना का अधिकार एक मूलभूत व संवैधानिक अधिकार बन गया है जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ने विधिक(Legal)रूप से प्रभावी बनाया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का परिचय।Right To Information Act 2005-An Introroduction।
स्वच्छ, पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासन की संकल्पना, सुशासन की दृष्टि से साकार करने हेतु राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 व नियम 1996 में इस निमित्त कानूनी प्रावधान किया है। जो पंचायती राज नियम 1996 के नियम संख्या 321 से 328 में शामिल है। जवाबदेह व पारदर्शी शासन व्यवस्था का आदर्श पूरे देश में लागू करने की दृष्टि से 12 अक्टूबर 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया। जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा 31 अक्टूबर 2019 से संपूर्ण देश में एक कानून के रूप में लागू कर दिया गया है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जन सहभागिता सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है।इसके फलस्वरूप केंद्र सरकार,राज्य सरकार तथा सभी स्थानीय निकायों व राज्य अनुदान संबंधित संस्थाओं के कामकाज के बारे में जनहित संबंधी सूचना किसी भी नागरिक द्वारा निर्धारित शुल्क अदा कर प्राप्त की जा सकती है। इस अधिनियम के उपरांत आम नागरिकों को शासन व विकास संबंधी विषयों पर जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हुआ है। सूचनाओं तक पहुंच के कारण नीति-निर्माण प्रक्रिया को उजागर करने में मदद मिल रही है। जिससे भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास में नवजीवन का संचार हुआ है। यह अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 से पूरे देश में लागू किया गया है। 31 अक्टूबर 2019 से एक देश एक कानून के तहत संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के उद्देश्य क्या है?
- लोक प्राधिकारी के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाना और उत्तरदायित्व को बढ़ाना।
- लोक प्राधिकारीयों के नियंत्रण या उनके अधीन उपलब्ध सूचना तक आम लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करना।
- नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यवहारिक पद्धति स्थापित करना।
- एक केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोग का गठन करना।
- उनसे संबंधित या उनसे जुड़े विषयों का उपाय बंद करना।
- जनता के प्रति जवाबदेह प्रशासन की व्यवस्था करना।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना।
सूचना क्या है?(What is information?)
सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना से तात्पर्य ऐसी सामग्री से है जिसके अंतर्गत किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में धारित अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ईमेल,मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉग बुक, संविदा रिपोर्ट, कागज पत्र, नमूने, मॉडल और आंकड़े संबंधित सामग्री सम्मिलित हो। साथ ही किसी प्राइवेट निकाय से संबंधित ऐसी सूचना भी सम्मिलित है जिस तक विधि के अधीन किसी लोक प्राधिकारी की पहुंच हो सकती है।
सूचना के अधिकार में कौन से अधिकार सम्मिलित हैं?
- दस्तावेजों एवं अभिलेखों का निरीक्षण करना।
- दस्तावेजों एवं अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करना।
- सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना।
- फ्लॉपी डिस्क, टेप रिकॉर्ड, वीडियो कैसेट के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक रीति से प्रिंट आउट लेना।
लोक सूचना अधिकारी के कर्तव्य(Duties of Lok Suchana Adhikari)क्या है?
- सूचना उपलब्ध कराने संबंधी आवेदन पत्र को प्राप्त करना।
- आवेदन पत्र हेतु निर्धारित शुल्क राशि संबंधित मद में सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 के क्रियान्वयन हेतु जमा करना।
- आवेदन पत्र में मांगी गई सूचना को 30 दिन के अंदर अधिनियम की अनुपालना में आवेदन प्रस्तुत करता को उपलब्ध कराना।
- उपलब्ध कराई जाने वाली सूचना पर फोटोप्रति/नकल व्यय का निर्धारित शुल्क प्राप्त करना।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त आवेदनों के निस्तारण का मासिक व क्रमिक विवरण तैयार करना।
- यदि वांछित सूचना दूसरे विभागों से संबंधित है, तो संबंधित आवेदन पत्रों को प्राप्ति से प्रत्येक दशा में 5 दिन के भीतर संबंधित विभागों को सूचना प्रदान करने हेतु आवेदन स्थानांतरित कर, आवेदक को भी इस आशय की सूचना देना।
इस अधिनियम के तहत लोक सूचना अधिकारी सूचना प्रदाता होता है। सहायक लोक सूचना अधिकारी नहीं। वह लोक सूचना अधिकारी का मातहत भी नहीं है। उसका कार्य नागरिक से प्राप्त सूचना के आवेदन पत्र व अपील उनकी प्राप्ति की दिनांक से 5 दिनों के भीतर लोक सूचना अधिकारी को प्रस्तुत कर देना मात्र है।
सूचना के अधिकार के अधिनियम 2005 के तहत सूचना प्राप्ति हेतु आवेदन कैसे करें?(What is the process of application for information in RTI?)
- इस अधिनियम की धारा 6 के अनुसार सूचना चाहने वाले आवेदक को लोक सूचना अधिकारी अथवा सहायक लोक सूचना अधिकारी को निर्धारित रुपए 10 के आवेदन शुल्क सहित हिंदी अथवा अंग्रेजी भाषा में साधारण कागज पर अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम ईमेल के माध्यम से लिखित आवेदन करना होगा।
- आवेदन शुल्क का भुगतान नकद, डिमांड ड्राफ्ट,भारतीय पोस्टल आर्डर या बैंकर चेक से किया जा सकता है।
- गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले आवेदकों द्वारा सूचना प्राप्त करने हेतु किसी भी प्रकार का शुल्क देय नहीं होगा।
- आवेदक को यह बताने की आवश्यकता नहीं होगी कि उसे कोई भी सूचना क्यों चाहिए।
- साथ ही आवेदक को अपना विस्तृत व्यक्तिगत विवरण देने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। किंतु आवेदक को अपने पत्र व्यवहार का डाक पता/फोन नंबर बताना होगा ताकि आवश्यकता पड़ने पर विभाग उससे संपर्क कर सकें।
सूचना के आवेदन पत्रों पर कार्रवाई अथवा निस्तारण कैसे होता है?
1.लोक सूचना अधिकारी अधिकतम 30 दिन के भीतर आवेदक को मांगी गई सूचना उपलब्ध करेंगे अथवा अधिनियम की धारा 8 व 9 में दिए गए आधारों पर आवेदन को अस्वीकृत कर देंगे।
2.यदि मांगी गई सूचना का संबंध किसी व्यक्ति के जीवन अथवा स्वतंत्रता से है तो मांगी गई सूचना 48 घंटे के भीतर प्रदान की जाएगी।
3. यदि मांगी गई सूचना पर कोई अतिरिक्त या अधिक शुल्क की देनदारी बनती है तो उसके बारे में आवेदक को सूचित किया जाएगा। इस सूचना को देने तथा शुल्क जमा कराने के बीच की अवधि को 30 दिन में शामिल नहीं किया जाएगा।
4. 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध कराने में विफल रहने की स्थिति में आवेदक को वांछित सूचना पूरी तरह से निशुल्क प्रदान की जाएगी।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना प्राप्त करने में लागत या खर्च क्या आता है?
राजस्थान सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार प्रदेश में सूचना की लागत निम्न प्रकार निर्धारित की गई है:-
- लिखित रूप में सूचना देने पर प्रत्येक पृष्ठ (A4) या (A3) आकार के पृष्ठ हेतु प्रति पृष्ठ रुपए दो लिया जाएगा तथा उससे अधिक बड़े आकार के कागज में सूचना लिखित या मुद्रित रूप में देने पर उस कागज का वास्तविक मूल्य लिया जाएगा।
- अभिलेखों के निरीक्षण के लिए प्रथम घंटा निशुल्क और तत्पश्चात प्रत्येक 15 मिनट के लिए या उसके आंशिक भाग के लिए 5 रु लिया जाएगा।
- सीडी में प्रदान की गई सूचना के लिए प्रतिसीडी ₹50 लिया जाएगा।
लोक सूचना अधिकारी कौन सी सूचनाएं देने के लिए बाध्य नहीं है?
- सूचना जिसके प्रकटन से भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को करने का उद्दीपन होता हो।
- सूचना जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय की अवमानना होती हो।
- सूचना जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान मंडल के विशेषाधिकार का हनन होता हो।
- ऐसी सूचना जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है।जिसके प्रकटन से किसी व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है। जब तक कि सक्षम अधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोकहित का समर्थन होता है।
- किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोकहीत का समर्थन होता है।
- किसी विदेशी सरकार से विश्वास में प्राप्त सूचना।
- ऐसी सूचना जिसके प्रकट करने पर किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डाला जाता हो या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गई किसी सूचना या सहायता के स्त्रोत की पहचान करेगा।
- सूचना जिससे अपराधियों के अन्वेषण पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन आती हो।
- मंत्रिमंडल के कागजात जिसमें मंत्रीपरिषद, सचिव और अन्य अधिकारियों के विचार विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हो, परंतु यह कि मंत्रिपरिषद के विनिश्चय, उनके कारण तथा वह सामग्री जिसके आधार पर विनिश्चय किए गए थे। विनिश्चय किए जाने और विषय के पूरा या समाप्त होने के बाद जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे, परंतु यह और कि वे विषय जो इस धारा में विनिर्दिष्ट छूटो के अंतर्गत आते हैं,प्रकट नहीं किए जाएंगे।
- सूचना जो व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है, जिसका प्रकटन किसी लोक क्रियाकलाप के या हित से संबंध नहीं रखता है या जिससे व्यक्ति की एकांतता का अनावश्यक अतिक्रमण होता हो,जब तक कि यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित में न्यायोचित है, परंतु ऐसी सूचना के लिए जिसको यथास्थिति, संसद या किसी राज्य विधानमंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है,किसी व्यक्ति को इनकार किया जा सकेगा।
सूचना के अधिकार की अनुपालना न करने पर जुर्माना कैसे लगता है?
परिवादो की जांच के बाद निष्पादन तथा अपील में दिए गए निर्णय के अंतर्गत सूचना आयोग को शास्तियाँ अधिरोपित करने की शक्तियां प्राप्त है। अपील का निर्णय करते समय यदि संबंधित सूचना आयोग की यह धारणा बनती है कि लोक सूचना अधिकारी ने बिना समुचित कारण:-
- सूचना आवेदन लेने से मना कर दिया है।
- निर्धारित समयावधि में सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है।
- सूचना आवेदन को असदभावना पूर्वक अस्वीकार कर दिया गया है।
- जानबूझकर अशुद्ध, अधूरी या भ्रामक सूचना उपलब्ध कराई गई है।
- सूचना आवेदन की विषय वस्तु को नष्ट कर दिया गया है।
- सूचना उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की बाधा डाली है तो वह उस पर आवेदन प्राप्ति से सूचना उपलब्ध कराने तक रूपए 250 प्रतिदिन की दर से शास्ति अधिरोपित कर सकता है जो अधिकतम रुपए 25000 तक हो सकती है।
- शास्ति अधिरोपित करने से पूर्व आयोग राज्य लोक सूचना अधिकारी को सुनवाई का उपयुक्त अवसर प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त राज्य लोक सूचना अधिकारी पर यह साबित करने का भार होगा, कि उसने सूचना उपलब्ध कराने के लिए विवेक एवं परिश्रम से कार्य किया था।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग का पता क्या है?
मुख्य सूचना आयुक्त,
राजस्थान राज्य सूचना आयोग
ओटीएस-एमएनआईटी चौराहा, झालाना लिंक रोड,
जयपुर- 302017 दूरभाष संख्या- 0141-2719137/2708821 फैक्स-0141-271 9136
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