सहकारिता विभाग ऋण से किसान का उत्थान।Development of Farmers by Co-Operative Loans।

सहकारिता विभाग ऋण से किसान का उत्थान।Development of Farmers by Co-Operative Loans।

Highlights:अल्पकालीन ऋण, मध्यकालीन ऋण व दीर्घकालिन ऋण क्या है?।Co-operative Loans।Structure of Cooperative Societies in Rajasthan।Short term,mid term and long term Crop Loans In Hindi।

सहकारिता विभाग ऋण से किसान का उत्थान।Development of Farmers by Co-Operative Loans।
सहकारिता विभाग

सहकारी आंदोलन की शुरुआत व संरचनात्मक ढांचा।Structure of Cooperative Societies in Rajasthan।

सहकारी आंदोलन प्रत्येक देश में उसके देशवासियों के अधिकाधिक समुदाय की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरी करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था।इंग्लैंड में उपभोक्ता भंडार, इटली में मजदूरों की ठेका समितियां, जर्मनी में ऋण व उपभोक्ता समितियां, कनाडा में क्रय-विक्रय समितियां एवं भारत में कृषि ऋणदात्री समितियों से सहकारी आंदोलन की शुरुआत हुई। 

भारत मुख्यता एक कृषि प्रधान देश है। अतः भारत में सहकारी आंदोलन कृषि संबंधी आवश्यक साधनों को जुटाने के उद्देश्य को लेकर शुरू हुआ।

भारत में सहकारी आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य किसानों को पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना रहा है, ताकि किसान को साहूकार के पास हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं रहे। भारतीय सहकारी आंदोलन मुख्य रूप से ऋण आंदोलन रहा है और आज भी है। हालांकि अब बदलाव का दौर शुरू हुआ है तथा समितियां विभिन्न व्यवसाय कर सहकारी आंदोलन को मजबूती दे रही है।

सहकारी पद्धति में ऋण का अपना एक संगठन है। इसके लिए प्रत्येक राज्य में एक शीर्ष सहकारी बैंक होता है। इस बैंक की मुख्य केंद्रीय सहकारी बैंक सदस्य होती है। सिर्फ बैंकों को नाबार्ड से ऋण मिलता है। यह फसली ऋण सरकार की जमानत के परिणाम स्वरूप मिलता है। अभी यह 4.50% ब्याज दर पर मिल रहा है। 

राजस्थान में सहकारिता विभाग में शीर्ष सहकारी बैंक के सदस्य केंद्रीय सहकारी बैंक होते हैं। राजस्थान में 29 केंद्रीय सहकारी बैंक जिला स्तर के सहकारी संगठन है।उन्हें अपेक्स बैंक जो कि राज्य का शीर्ष सहकारी बैंक है, से ऋण 4.70% की दर से मिलता है। केंद्रीय सहकारी बैंक के सदस्य प्राथमिक सहकारी समितियों, क्रय-विक्रय सहकारी समितियो, जिले की अन्य समितियां व व्यक्तिगत सदस्य होते है। यह बैंक प्राथमिक ऋणदात्री समितियों को ऋण देते है तथा इनसे 5% ब्याज दर लेते हैं।


प्राथमिक ऋणदात्री समितियां अपने सदस्यों के लिए केंद्रीय सहकारी बैंक से 5% ब्याज दर पर ऋण लेकर उन्हें उत्पादन कार्यों के लिए ऋण देती है, तथा सदस्य किसानों से 7% ब्याज दर लेती है।इस प्रकार सहकारी समितियों के सदस्यों को 7% ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है,लेकिन राजस्थान में सरकार की पहल के कारण 0% ब्याज दर पर किसानों को यह ऋण उपलब्ध होता है। सरकार किसानों के ब्याज के पेटे अनुदान देकर इसकी क्षतिपूर्ति राशि सहकारी बैंकों को देती है।


प्रत्येक व्यक्तिगत सदस्य, प्राथमिक सहकारी समिति व केंद्रीय सहकारी बैंक व अपेक्स बैंक को ऋण प्राप्त करने के लिए साख नीति है। यह नीति रजिस्ट्रार सहकारी समितियों द्वारा जारी की जाती है और साख सीमा के अंतर्गत ऋण मिलता है।


अतः उपर्युक्त सहकारी ऋण संगठन के ढांचे से यह स्पष्ट है कि रुपया नाबार्ड से आता है,यदि निश्चित समय पर यह रुपया नहीं चुकाया जाता है और रकम समय पर नहीं चुकाने का कोई खास कारण नहीं होता है, तो ऋण नहीं मिलता है।

अतः यह रुपए का आदान-प्रदान जारी रखने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्तिगत सदस्य समय पर समिति का ऋण, समिति केंद्रीय सहकारी बैंक का व केंद्रीय सहकारी बैंक शीर्ष बैंक का ऋण चुकाए।

 

राजस्थान में सहकारिता की शुरुआत Origin of Co-operatives in Rajasthan।सहकारिता विभाग|

राजस्थान में सबसे पहले वर्ष 1950 में अजमेर में सहकारिता की शुरुआत हुई। आजादी के समय राज्य में 2669 सहकारी समितियां कार्यरत थी और केवल 1% ग्रामीण परिवार ही सहकारिता के दायरे में थे।आज राज्य में 35000 से अधिक विभिन्न सहकारी समितियां है, जिनके 1 करोड़ से अधिक सदस्य हो गए हैं और यह प्रदेश के आर्थिक विकास में अपनी हिस्सेदारी निभा रही है।
राजस्थान में किसानों से संबंधित प्रमुख सहकारी गतिविधियों में फसल की तात्कालिक जरूरत के लिए अल्पकालीन फसली सहकारी ऋण का वितरण, कृषि के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 5 से 15 साल की अवधि के लिए कृषि ऋण, विपणन सहकारी समितियों के माध्यम से काश्तकारों को कृषि आदानो का वितरण, कृषि जिंसों की समर्थन मूल्य पर खरीद,कृषि उत्पादों का विपणन सहित अन्य संचालित की जा रही है।

राजस्थान में सहकारिता विभाग में इन गतिविधियों के संचालन के लिए राजस्थान राज्य सहकारी बैंक, राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक जैसी सहकारी संस्था के सदस्य, सहकारी संस्थाओं को ऋण सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराकर किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में अपना योगदान दे रही है।

सहकारी ऋण समय एवं उद्देश्य की दृष्टि से तीन प्रकार के होते हैं:- अल्पकालीन ऋण, मध्यकालीन ऋण एवं दीर्घकालीन ऋण।

सहकारिता विभाग अल्पकालीन ऋण क्या होते हैं?।What is Short term Crop Loans In Hindi?।

राजस्थान में सहकारिता विभाग में राज्य सहकारी बैंक की स्थापना 14 अक्टूबर 1953 को हुई। ग्रामीण एवं कृषक समुदाय को अल्पकालीन कृषि ऋण, गैर कृषि ऋण, रोजगार उन्मुख योजनाओं हेतु ऋण उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किया गया है। बैंक 29 केंद्रीय सहकारी बैंकों एवं 6700 से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, गुणात्मक एवं नैतिक मूल्यों के साथ काश्तकारों को सेवाएं दे रहा है। 


राजस्थान में सहकारिता विभाग में राज्य सहकारी बैंक अल्पकालीन फसली ऋण किसानों को वितरित हेतु उपलब्ध कराता है। अल्पकालिक फसली ऋण वितरण कार्यक्रम को एकरूपी, पारदर्शी एवं सुव्यवस्थित बनाने के दृष्टिकोण से किसानों को फसली ऋण आधार आधारित अभी प्रमाणन के पश्चात डिजिटल मेंबरशिप रजिस्टर के माध्यम से किए जाने हेतु ‘सहकारी फसली ऋण ऑनलाइन पंजीयन एवं वितरण योजना, 2019’  माह जुलाई 2019 में प्रारंभ कर योजना अंतर्गत निरंतर ऋण वितरण किया जा रहा है।


राजस्थान में सहकारिता विभाग में अल्पकालीन सहकारी फसली ऋण (Short term co-operative crop loan) के लिए किसान को ग्राम सेवा सहकारी समिति का सदस्य होना आवश्यक है। किसान की पात्रता के आधार पर उसे अधिकतम डेढ़ लाख रुपए का फसली ऋण 0% ब्याज पर उपलब्ध कराया जाता है।

इस ऋण की अवधि खरीफ फसल के लिए अप्रैल से अगस्त माह तक तथा रबी फसल के लिए सिर्फ सितंबर से मार्च माह तक के लिए होती है।इसमें किसानों को खरीफ फसल के लिए ऋण चुकारा 31 मार्च को करना होता है। जबकि रबी फसल के लिए आगामी वित्तीय वर्ष की 30 जून तक ऋण चुकाना होता है। देय तिथि के बाद में ऋण चुकाने वाले काश्तकारों को ब्याज का भुगतान करना होता है।

 

राजस्थान में सहकारिता विभाग में मध्यकालीन कृषि ऋण क्या है?।What is Mid term crop loans In Hindi?।

राजस्थान में सहकारिता विभाग में मध्यकालीन कृषि निवेश अंतर्गत सहकारी बैंकों द्वारा कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए कृषि ऋण उपलब्ध करवाए जाते हैं। वर्तमान में मुख्यत: सहकार किसान कल्याण योजना अंतर्गत इस प्रकार के ऋण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इस योजना में अधिकतम ₹10 लाख तक का ऋण किसानों को दिया जा रहा है, जो 11% ब्याज दर पर उपलब्ध होता है। 

 

सहकारी बैंकों से मध्यकालीन कृषि ऋण (Mid term agricultural loans) किसानों को कृषि यंत्रीकरण, सिंचाई साधन,बागवानी विकास, डेयरी विकास, सौर ऊर्जा पंप,ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, व्हाइट हाउस, ड्रिप सिंचाई संयत्रों हेतु वित्त पोषण, सारा संग्रहालय एवं भंडारण एवं कृषि उपज के विरुद्ध काश्तकार को रहन ऋण के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं

पैक्स/लैंपस के माध्यम से असिंचित भूमि होने की स्थिति में ₹50000 तक तथा सिंचित भूमि होने की स्थिति में ₹100000 तक का ऋण दिया जाता है।

दीर्घकालीन कृषि ऋण क्या है?।What is Long term crop Loans In Hindi?।

राजस्थान में सहकारिता विभाग में किसानों को दीर्घकालीन कृषि ऋण (Long term agricultural loans) राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के माध्यम से प्राथमिक भूमि विकास बैंकों द्वारा दिया जाता है। राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक की स्थापना 26 मार्च, 1957 को हुई। जिला/तहसील स्तर पर 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक कार्यरत है।

प्राथमिक बैंकों द्वारा उनकी शाखाओं के माध्यम से राज्य के किसानो एवं लघु उद्यमियों को वर्तमान में 10% ब्याज दर पर दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

इस प्रकार के ऋण राजस्थान में सहकारिता विभाग में लघु सिंचाई कृषि यंत्रीकरण एवं कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए दिए जाते हैं। किसान लघु सिंचाई के कार्यों को जैसे  नवकूप/नलकूप,कूप गहरा, पंपसेट,फव्वारा/ड्रिप सिंचाई, विद्युतीकरण, नाली निर्माण, डिग्गी/होज निर्माण इत्यादि के लिए भूमि विकास बैंकों से ऋण ले सकते हैं।

इसी प्रकार कृषि यंत्र, ट्रेक्टर, कृषि यंत्र,थ्रेशर, कम्बाईन, हार्वेस्टर इत्यादि तथा कृषि संबंधी गतिविधियां जैसे-डेयरी,भूमि सुधार, भूमि समतलीकरण, कृषि भूमि क्रय, अनाज/प्याज गोदाम निर्माण, ग्रीन हाउस, कृषि कार्य हेतु, सोलर प्लांट, कृषि योग्य भूमि की तारबंदी, बाउंड्री वॉल, पशुपालन, वर्मी कंपोस्ट, भेड़, बकरी, मुर्गी पालन,बैलगाड़ी के लिए भी इस प्रकार के कृषि ऋण राजस्थान में सहकारिता विभाग में भूमि विकास बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं।

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