सऊदी अरब चला उदारता की राह।
क्या कारण है कि सऊदी अरब अब उदार बन रहा है?
सऊदी अरब द्वारा अपनाए गए कुछ प्रमुख सुधार इस प्रकार हैं:
- विदेशी पर्यटन और निवेश की अनुमति दी गई।
- महिलाओं को उनके पूर्ण कानूनी अधिकार दिए गए।
- मनोरंजन की अनुमति दी गई। (संगीत कार्यक्रम, सिनेमा, अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन, आदि)।
- अब हिज़ाब अनिवार्य नहीं है।
- पुरुषों और महिलाओं के बीच समान वेतन लागू किया गया।
- पुलिस के लिये धार्मिक पाबंदियों को समाप्त कर दिया गया।
- महिलाओं को सरकारी और निजी क्षेत्र (राजदूत, सीईओ, प्रवक्ता और यहां तक कि सेना में भी) में उच्च पदों पर नियुक्त किया गया।
- तेल को छोड़कर अन्य साधनों से राजस्व में वृद्धि की गई। (विनिर्माण, अप्रयुक्त खनिज संपदा, पर्यटन, आदि पर ध्यान केंद्रित करना)।
- नवीनीकरण ऊर्जा में भारी निवेश किया है।
ये सऊदी के लिए उत्साहजनक समय है, खासकर महिलाओं के लिए। और इन कठोर परिवर्तनों के बारे में जो अनोखी बात है, वह है सऊदी युवाओं की प्रेरक शक्ति।
सऊदी ने विजन 2030 की घोषणा कब की थी?
साल 2016 में क्राउन प्रिंस ने विज़न 2030 से पर्दा हटाया था. इस विज़न के तहत कई तरह के सुधार शुरू किए गए. उन्होंने सऊदी को और अधिक खुला बनाया. क्राउन प्रिंस ने सिनेमा और कंसर्ट से पाबंदी हटाई.
यहाँ तक कि हिप-हॉप कलाकारों को भी बुलाया गया. महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार मिला और उनके लिबास को लेकर भी उदारता दिखाई गई. क्राउन प्रिंस ने प्रतिक्रियावादी मौलवियों की भूमिका सीमित की. धार्मिक पुलिस को ख़त्म किया. इसके साथ ही एमबीएस ने इसराइल से संबंध ठीक करने की गुंजाइश भी तलाशी.
दुनिया में कुछ ही देश ऐसे होंगे, जिन्होंने सऊदी अरब की तरह कुछ ही सालों में अपनी रीति और नीति में बड़ा बदलाव किया होगा। चंद सालों में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश के सांस्कृतिक मूल्यों से लेकर अर्थव्यवस्था तक में बड़ी तब्दीली की है। अब वह राष्ट्रवाद को भी नए ढंग से परिभाषित करने में जुटे हैं।
इस्लाम से ज्यादा इन दिनों वह सऊदी राष्ट्रवाद, इतिहास और शाही परिवार को दुनिया के सामने नए ढंग से पेश करने की कोशिश में हैं। बीते सप्ताह ही सऊदी अरब ने एक अलग ही होलिडे मनाया था। यह छुट्टी थी, सऊदी अरब के स्थापना दिवस की। एक राष्ट्र के तौर पर सऊदी अरब की स्थापना 1727 में मानी जाती है।
अल-सऊद परिवार ने दरियाह अमीरात पर 1727 में कब्जा किया था। इसके बाद साम्राज्य का गठन किया गया था और उसके तहत आने वाले हिस्से को सऊदी अरब के तौर पर पहचान मिली। इसके अलावा इस्लामिक धर्मगुरु मुहम्मद इब्न अब्दुल वहाब की शिक्षाओं का भी यहां असर दिखता है।
उसके चलते ही यहां से इस्लाम की वहाबी शाखा का उदय हुआ। दुनिया भर में इस्लाम की लीडरशिप करने की वजह भी यही मानी जाती है कि सऊदी अरब में ही मक्का और मदीना हैं। इसके अलावा वहाबी मत की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। हालांकि अब यह देश क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और उनके पिता किंग सलमान की लीडरशिप में बदलता जा रहा है।कट्टर इस्लाम को छोड़ पकड़ी उदारता की राह
मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी अरब में 2017 में क्राउन प्रिंस बनाया गया था। तब से अब तक काफी बदलाव आए हैं। महिलाओं को कई तरह की छूट दी गई हैं। अब वे ड्राइविंग कर सकती हैं, बाहर निकल सकती हैं और मनोरंजन के इवेंट्स में शामिल हो सकती हैं।
इसके अलावा इस्लाम के उदय से भी पहले की सऊदी विरासत का भी संरक्षण करने के प्रयास किए गए हैं। इस तरह सऊदी अरब पहले के मुकाबले उदार, बाजार के लिए खुला और नए धंधों के लिहाज से तैयार नजर आता है। सऊदी अरब अब इस्लाम के साथ ही राष्ट्रवाद को भी मजबूत करता दिख रहा है।
क्या गैर-धार्मिक पर्यटन पर भी है सऊदी अरब का फोकस?
नए सऊदी अरब के निर्माण की मोहम्मद बिन सलमान की पॉलिसी को इस बात से समझा जा सकता है कि उनका फोकस गैर-तेल आधारित इकॉनमी बनाने पर है। इसके लिए टूरिज्म और एंटरटेनमेंट पर फोकस किया जा रहा है। फिलहाल सऊदी अरब में धार्मिक टूरिज्म का ही स्कोप है, लेकिन अब उसकी कोशिश गैर-धार्मिक पर्यटकों को भी आकर्षित करने पर है।