संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस 24 अक्टूबर।UNITED NATIONS DAY 24 OCTOBER।

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संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस 24 अक्टूबर।The United Nations Day 24 October।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता की कहानी।Story of The United Nations success।

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस 24 अक्टूबर।UNITED NATIONS DAY 24 OCTOBER।
संयुक्त राष्ट्र संघ

Credit-पिक्सेल


संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है।

इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुँचाना, सतत् विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून का भली-भाँति कार्यान्वयन करना शामिल है।

मूल रूप से मानव लोभ, लालच,अहंकार से भरा धन राजपाट व देश की सीमा रेखा आगे बढ़ाने के चक्कर में एक दूसरे से युद्ध करता आया है, व अभी भी करता रहता है। युद्ध में हारने वाला तो हारता ही है मगर जीतने वाला भी हारे हुए के समान ही होता है। छोटे से जमीन के टुकड़े या थोड़े से अहंकार के लिए संपूर्ण मानव जाति को खतरे में डाल देता है या नष्ट करने की सोच लेता है। मानव की हमेशा एक सोच रही है कि मुझे चाहे कोई लाभ हो न हो पड़ोसी को जरूर नुकसान होना चाहिए, बर्बाद होना चाहिए। 

हमेशा से हर देश अपनी विशाल सेना व आधुनिक खतरनाक हथियार तैयार करता रहता है और दूसरे देश से लड़ाई के समय उसका इस्तेमाल भी करता है व ज्यादा से ज्यादा जन हानि पहुंचाता है। अलग-अलग समय में अनेकों युद्ध हुए।

स्विजरलैंड के जिनेवा नामक स्थान पर राष्ट्र संघ की स्थापना

सन 1914 में युद्ध छिड़ा जिसने विश्वयुद्ध का रूप ले लिया। सभी देश ब्रिटेन, फ्रांस,अमेरिका, इटली,रूस आदि देश इस युद्ध की आग में जले। इस युद्ध के परिणाम हम प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम के रूप में पढ़ते हैं।भारत में उस समय अंग्रेजों का राज था। भारतीय सेना विदेशों में जाकर अंग्रेजो की तरफ से लड़ी।यह प्रथम विश्वयुद्ध 1918 तक चला। इस युद्ध में अंग्रेजो की जीत हुई तथा अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने युद्ध की समाप्ति के लिए एक संस्था बनाने का प्रयास किया। फलस्वरुप स्विजरलैंड के जिनेवा नामक स्थान पर राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। जिसका नाम लीग ऑफ नेशंस रखा गया।

अमेरिका ने इसकी स्थापना की और स्वयं ही इस संस्था से संबंध विच्छेद कर लिया। इसके अलावा इटली ने अफ्रीकी राष्ट्रों पर आक्रमण करके राष्ट्र संघ की कब्र खोद दी। इस कार्य में हिटलर ने भी मुसोलिनी का साथ दिया। जिसके परिणाम स्वरूप दूसरा विश्वयुद्ध 1939 ईस्वी में भड़क उठा। यही युद्ध अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नामक नगरो पर परमाणु बम फैककर समाप्ति की तरफ बढ़ाया।इसके कारण पूरे विश्व में त्राहि-त्राहि मच गई। इन बमों से त्रस्त होकर जापान ने हथियार डाल दिए। विश्व के बड़े-बड़े 5 राष्ट्रों ने शांति की स्थापना के लिए पुनः प्रयास आरंभ किया और परिणाम स्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।

अमेरिका, इंग्लैंड एवं रूस के अध्यक्षों- रुजवेल्ट, चर्चिल व स्टालिन ने शांति प्रयास आरंभ किया था। जिसके परिणाम स्वरूप 24 अप्रैल 1945 को राष्ट्र संघ के स्थान पर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी। इसके अधिकारों और कर्तव्यों की सीमा अधिक विस्तृत रखी गई। संयुक्त राष्ट्र संघ केवल पश्चिमी देशों की समस्याओं के लिए नहीं बना अपितु इसमें विश्व के सभी राष्ट्र सदस्य बन सकते हैं।संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए लिखा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का वातावरण संसार में बनाए रखा जाए। राष्ट्रों में मैत्री, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग दिया जाए।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत क्या है?

संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत बनाए गए थे।इनमें मुख्य है:-

  1. सदस्य राष्ट्रों की सार्वभौमिक शक्ति और समानता की स्थिति बनाए रखना। 
  2. शांति, सुरक्षा और न्याय को क्षति न पहुंचने देने के लिए सदस्य राष्ट्रों में सद्भावना का वातावरण उत्पन्न करना। 
  3. सदस्य राष्ट्रों को किसी अन्य राष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 
  4. किसी राष्ट्र को धमकी देना भी संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के विरुद्ध माना जाएगा।
  5. राष्ट्र संघ के द्वारा किसी देश के विरुद्ध कार्रवाई करने पर सदस्य राष्ट्र को सहयोग देना आवश्यक है। 
  6. शांति रक्षा के लिए ही किसी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में दखल दिया जाएगा।
  7. जो देश सदस्य नहीं है वे चार्टर के अनुसार आचरण करेंगे।

इन सिद्धांतों के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई परिषदों की स्थापना भी कर रखी है जिनके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संघ सारा कार्य करता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न परिषदे।

1. महासभा:- इस सभा में समस्त सदस्य भाग लेते हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारों और कर्तव्यों पर विचार करती है।

2. सुरक्षा परिषद:-इस परिषद में 15 सदस्य होते हैं।जिनमें पांच स्थाई है शेष नौ देश क्रमशः सदस्य बनते रहते हैं।अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस तथा चीन स्थाई सदस्य है। पहले फारमोसा का चीनी प्रशासन सदस्य था।परंतु 1971 ईस्वी के निक्सन-माओ समझौते के पश्चात साम्यवादी चीन सदस्य हो गया। शस्त्र-नियमन, शांति-सुरक्षा,युद्ध रोकना आदि कार्य सुरक्षा परिषद के अंतर्गत विचार हेतु प्रस्तुत होते है।

3. आर्थिक और सामाजिक परिषद:- संयुक्त राष्ट्र संघ की इस परिषद के कुल 12 सदस्य होते हैं।

4. सुरक्षा परिषद एवं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय:– संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का कार्यालय हेग में स्थित है। सचिवालय में सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा नियुक्त एक महासचिव कार्य करता है। इसके कार्यालय में कई कर्मचारी नियुक्त होते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में इंग्लैंड, फ्रांस,अमेरिका और चीन की भाषाओं में भाषण और अंग्रेजी में अनुवाद का स्थाई प्रबंध है। भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी में 4 अक्टूबर 1977 को भाषण देकर देश का सम्मान बढ़ाया था।

1 फरवरी 1946 को नॉर्वे के ट्रिम्बली को 5 वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था। नवंबर सन 1950 को उनका कार्यकाल 3 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया।10 नवंबर सन 1952 को श्री ट्रिम्बली ने त्यागपत्र दे दिया।

10 अप्रैल सन 1953 को स्वीडन के डॉग हेमरशोल्ड इस पद पर नियुक्त हुए। 26 दिसंबर सन 1957 को श्री हेमरशोल्ड का 10 अप्रैल सन 1958 में 5 साल का कार्यकाल बढ़ा दिया गया।12 दिसंबर सन 1961 को उत्तरी नोडेसिया के हवाई अड्डे नाडोला से साढे 7 मील दूर एक निर्जन स्थान में संघीय विमान के गिर जाने से 12 व्यक्तियों के साथ वे मारे गए।

इसके अनंतर बर्मा के स्थाई प्रतिनिधि ऊथान्त को महासचिव नियुक्त किया गया।ऊथात ने भारत-पाकिस्तान के 1965 के युद्ध में दोनों देशों को शांति स्थापना के लिए राजी किया और ताशकंद समझौता हुआ। इसके पश्चात सन 1970 में श्री कुर्त वाल्डहिम को महासचिव बनाया गया।इन्होंने सन 1971 में भारत-बांग्लादेश एवं पाकिस्तान के युद्ध में आहत मानवता को शांति देने के लिए कार्य किए। सन 1980 में ईरान और इराक के युद्ध की शांति के भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रयास किए, परंतु सफलता नहीं मिली। युद्ध काफी दिनों तक चला। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सैनिक संगठन भी बनवा लिए हैं। इस सम्मिलित सेना के सैनिकों ने दक्षिण कोरिया को स्वतंत्र करवाया था।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है।

इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुँचाना, सतत् विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून का भली-भाँति कार्यान्वयन करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग। Organs of United Nations Organization :-

संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रमुख रूप से 6 अंगों में बांटा गया है।

  1. महासभा(general assembly)
  2. सुरक्षा परिषद(security council)
  3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद(economic and social council)
  4. प्रन्यास परिषद(trusteeship council) 
  5. सचिवालय(Secretariat council)

संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व शांति के लिए है जरूरी।

संयुक्त राष्ट्र संघ को इंडोनेशिया और नीदरलैंड का विवाद सुलझाने में सफलता मिली है। फिलिस्तीन में दो बार युद्ध रोका है।कोरिया देश के दोनों भागों की समस्या को भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने सुलझाया।अफ्रीकी देशों की समस्या सुलझाने में इस संस्था ने अनेक प्रयास कीये है,परंतु काले-गोरे का भेद अभी तक नहीं मिटा है। 7 अगस्त सन 1973 को एक गोरी नर्स ने भारतीय डॉक्टर को काला होने के कारण ही अस्पताल से बाहर निकलवा दिया था।

संयुक्त राष्ट्र संघ की कुछ असफलताएं भी नजर आ रही है।इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और चीन स्वार्थ से जकड़े हुए हैं। रूस भारत का पक्षधर है। पाकिस्तान को आक्रमण का दोषी होते हुए भी भारत के समान स्तर पर रखा जा रहा है एवं पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद को नजरअंदाज किया जा रहा है। वियतनाम एवं कंबोडिया के नरसंहार को भी संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं रोक सका था। अब वियतनाम भी संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बन गया है। 

वियतनाम के दोनों भाग एक हो गये। अब वियतनाम अपने प्रयत्न से प्रगति कर रहा है। शिक्षा, संस्कृति आदि के क्षेत्रों में। संयुक्त राष्ट्र संघ को अवश्य ही सफलता मिली है।यूनेस्को की योजना के अधीन अनेक पुस्तकें छपी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी संसार के अविकसित एवं अल्प विकसित देशों में खूब कार्य किया है।तकनीकी शिक्षा की योजनाएं भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रसारित की है। अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना भी सदस्य देशों के लिए की गई है।

अविकसित देश इस बैंक से सहायता लेते रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वीकसित देशों में उद्योगों के विकास में सहायता देने के लिए  वैज्ञानिकों की सेवा योजना भी बना रखी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता और असफलता पर विचार करने के पश्चात यह आवश्यक है यह संस्था सुदृढ बने। अतः सभी सदस्य देशों को कार्यक्रमों और नीतियों का पालन करना चाहिए। 

इससे विश्व में शांति रह सकती है और मानवता का विकास हो सकता है।परमाणु बमों का प्रयोग रुक सकता है और विश्व शांति से जीवन व्यतीत कर सकता है। शक्तिशाली सदस्य राष्ट्रों का कर्तव्य है कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अविकसित और अर्द्धविकसित देशों की प्रगति में सहायता देने तथा विश्व में स्थाई शांति स्थापित करने के लिए बड़े राष्ट्रों में विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाएं।

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस 24 अक्टूबर।The United Nations Day 24 October।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता की कहानी।Story of The United Nations success।

 

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस 24 अक्टूबर।UNITED NATIONS DAY 24 OCTOBER।
संयुक्त राष्ट्र संघ
Credit-पिक्सेल


संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है।

इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुँचाना, सतत् विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून का भली-भाँति कार्यान्वयन करना शामिल है।

मूल रूप से मानव लोभ, लालच,अहंकार से भरा धन राजपाट व देश की सीमा रेखा आगे बढ़ाने के चक्कर में एक दूसरे से युद्ध करता आया है, व अभी भी करता रहता है। युद्ध में हारने वाला तो हारता ही है मगर जीतने वाला भी हारे हुए के समान ही होता है। छोटे से जमीन के टुकड़े या थोड़े से अहंकार के लिए संपूर्ण मानव जाति को खतरे में डाल देता है या नष्ट करने की सोच लेता है। मानव की हमेशा एक सोच रही है कि मुझे चाहे कोई लाभ हो न हो पड़ोसी को जरूर नुकसान होना चाहिए, बर्बाद होना चाहिए। 

 
हमेशा से हर देश अपनी विशाल सेना व आधुनिक खतरनाक हथियार तैयार करता रहता है और दूसरे देश से लड़ाई के समय उसका इस्तेमाल भी करता है व ज्यादा से ज्यादा जन हानि पहुंचाता है। अलग-अलग समय में अनेकों युद्ध हुए।
 

स्विजरलैंड के जिनेवा नामक स्थान पर राष्ट्र संघ की स्थापना

 
सन 1914 में युद्ध छिड़ा जिसने विश्वयुद्ध का रूप ले लिया। सभी देश ब्रिटेन, फ्रांस,अमेरिका, इटली,रूस आदि देश इस युद्ध की आग में जले। इस युद्ध के परिणाम हम प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम के रूप में पढ़ते हैं।भारत में उस समय अंग्रेजों का राज था। भारतीय सेना विदेशों में जाकर अंग्रेजो की तरफ से लड़ी।यह प्रथम विश्वयुद्ध 1918 तक चला। इस युद्ध में अंग्रेजो की जीत हुई तथा अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने युद्ध की समाप्ति के लिए एक संस्था बनाने का प्रयास किया। फलस्वरुप स्विजरलैंड के जिनेवा नामक स्थान पर राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। जिसका नाम लीग ऑफ नेशंस रखा गया।
 
अमेरिका ने इसकी स्थापना की और स्वयं ही इस संस्था से संबंध विच्छेद कर लिया। इसके अलावा इटली ने अफ्रीकी राष्ट्रों पर आक्रमण करके राष्ट्र संघ की कब्र खोद दी। इस कार्य में हिटलर ने भी मुसोलिनी का साथ दिया। जिसके परिणाम स्वरूप दूसरा विश्वयुद्ध 1939 ईस्वी में भड़क उठा। यही युद्ध अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नामक नगरो पर परमाणु बम फैककर समाप्ति की तरफ बढ़ाया।इसके कारण पूरे विश्व में त्राहि-त्राहि मच गई। इन बमों से त्रस्त होकर जापान ने हथियार डाल दिए। विश्व के बड़े-बड़े 5 राष्ट्रों ने शांति की स्थापना के लिए पुनः प्रयास आरंभ किया और परिणाम स्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
 
अमेरिका, इंग्लैंड एवं रूस के अध्यक्षों- रुजवेल्ट, चर्चिल व स्टालिन ने शांति प्रयास आरंभ किया था। जिसके परिणाम स्वरूप 24 अप्रैल 1945 को राष्ट्र संघ के स्थान पर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी। इसके अधिकारों और कर्तव्यों की सीमा अधिक विस्तृत रखी गई। संयुक्त राष्ट्र संघ केवल पश्चिमी देशों की समस्याओं के लिए नहीं बना अपितु इसमें विश्व के सभी राष्ट्र सदस्य बन सकते हैं।संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए लिखा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का वातावरण संसार में बनाए रखा जाए। राष्ट्रों में मैत्री, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग दिया जाए।
 

संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत क्या है?

संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत बनाए गए थे।इनमें मुख्य है:-
  1. सदस्य राष्ट्रों की सार्वभौमिक शक्ति और समानता की स्थिति बनाए रखना। 
  2. शांति, सुरक्षा और न्याय को क्षति न पहुंचने देने के लिए सदस्य राष्ट्रों में सद्भावना का वातावरण उत्पन्न करना। 
  3. सदस्य राष्ट्रों को किसी अन्य राष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 
  4. किसी राष्ट्र को धमकी देना भी संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के विरुद्ध माना जाएगा।
  5. राष्ट्र संघ के द्वारा किसी देश के विरुद्ध कार्रवाई करने पर सदस्य राष्ट्र को सहयोग देना आवश्यक है। 
  6. शांति रक्षा के लिए ही किसी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में दखल दिया जाएगा।
  7. जो देश सदस्य नहीं है वे चार्टर के अनुसार आचरण करेंगे।

 

इन सिद्धांतों के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई परिषदों की स्थापना भी कर रखी है जिनके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संघ सारा कार्य करता है।
 

संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न परिषदे।

1. महासभा:- इस सभा में समस्त सदस्य भाग लेते हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारों और कर्तव्यों पर विचार करती है।
2. सुरक्षा परिषद:-इस परिषद में 15 सदस्य होते हैं।जिनमें पांच स्थाई है शेष नौ देश क्रमशः सदस्य बनते रहते हैं।अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस तथा चीन स्थाई सदस्य है। पहले फारमोसा का चीनी प्रशासन सदस्य था।परंतु 1971 ईस्वी के निक्सन-माओ समझौते के पश्चात साम्यवादी चीन सदस्य हो गया। शस्त्र-नियमन, शांति-सुरक्षा,युद्ध रोकना आदि कार्य सुरक्षा परिषद के अंतर्गत विचार हेतु प्रस्तुत होते है।
3. आर्थिक और सामाजिक परिषद:- संयुक्त राष्ट्र संघ की इस परिषद के कुल 12 सदस्य होते हैं।
4. सुरक्षा परिषद एवं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय:– संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का कार्यालय हेग में स्थित है। सचिवालय में सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा नियुक्त एक महासचिव कार्य करता है। इसके कार्यालय में कई कर्मचारी नियुक्त होते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में इंग्लैंड, फ्रांस,अमेरिका और चीन की भाषाओं में भाषण और अंग्रेजी में अनुवाद का स्थाई प्रबंध है। भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी में 4 अक्टूबर 1977 को भाषण देकर देश का सम्मान बढ़ाया था।
 
1 फरवरी 1946 को नॉर्वे के ट्रिम्बली को 5 वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था। नवंबर सन 1950 को उनका कार्यकाल 3 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया।10 नवंबर सन 1952 को श्री ट्रिम्बली ने त्यागपत्र दे दिया।
 
10 अप्रैल सन 1953 को स्वीडन के डॉग हेमरशोल्ड इस पद पर नियुक्त हुए। 26 दिसंबर सन 1957 को श्री हेमरशोल्ड का 10 अप्रैल सन 1958 में 5 साल का कार्यकाल बढ़ा दिया गया।12 दिसंबर सन 1961 को उत्तरी नोडेसिया के हवाई अड्डे नाडोला से साढे 7 मील दूर एक निर्जन स्थान में संघीय विमान के गिर जाने से 12 व्यक्तियों के साथ वे मारे गए।
 
इसके अनंतर बर्मा के स्थाई प्रतिनिधि ऊथान्त को महासचिव नियुक्त किया गया।ऊथात ने भारत-पाकिस्तान के 1965 के युद्ध में दोनों देशों को शांति स्थापना के लिए राजी किया और ताशकंद समझौता हुआ। इसके पश्चात सन 1970 में श्री कुर्त वाल्डहिम को महासचिव बनाया गया।इन्होंने सन 1971 में भारत-बांग्लादेश एवं पाकिस्तान के युद्ध में आहत मानवता को शांति देने के लिए कार्य किए। सन 1980 में ईरान और इराक के युद्ध की शांति के भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रयास किए, परंतु सफलता नहीं मिली। युद्ध काफी दिनों तक चला। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सैनिक संगठन भी बनवा लिए हैं। इस सम्मिलित सेना के सैनिकों ने दक्षिण कोरिया को स्वतंत्र करवाया था।
 

संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है।

इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुँचाना, सतत् विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून का भली-भाँति कार्यान्वयन करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग। Organs of United Nations Organization :-

संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रमुख रूप से 6 अंगों में बांटा गया है।

  1. महासभा(general assembly)
  2. सुरक्षा परिषद(security council)
  3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद(economic and social council)
  4. प्रन्यास परिषद(trusteeship council) 
  5. सचिवालय(Secretariat council)

संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व शांति के लिए है जरूरी।

संयुक्त राष्ट्र संघ को इंडोनेशिया और नीदरलैंड का विवाद सुलझाने में सफलता मिली है। फिलिस्तीन में दो बार युद्ध रोका है।कोरिया देश के दोनों भागों की समस्या को भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने सुलझाया।अफ्रीकी देशों की समस्या सुलझाने में इस संस्था ने अनेक प्रयास कीये है,परंतु काले-गोरे का भेद अभी तक नहीं मिटा है। 7 अगस्त सन 1973 को एक गोरी नर्स ने भारतीय डॉक्टर को काला होने के कारण ही अस्पताल से बाहर निकलवा दिया था।
 
संयुक्त राष्ट्र संघ की कुछ असफलताएं भी नजर आ रही है।इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और चीन स्वार्थ से जकड़े हुए हैं। रूस भारत का पक्षधर है। पाकिस्तान को आक्रमण का दोषी होते हुए भी भारत के समान स्तर पर रखा जा रहा है एवं पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद को नजरअंदाज किया जा रहा है। वियतनाम एवं कंबोडिया के नरसंहार को भी संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं रोक सका था। अब वियतनाम भी संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बन गया है। 
 
वियतनाम के दोनों भाग एक हो गये। अब वियतनाम अपने प्रयत्न से प्रगति कर रहा है। शिक्षा, संस्कृति आदि के क्षेत्रों में। संयुक्त राष्ट्र संघ को अवश्य ही सफलता मिली है।यूनेस्को की योजना के अधीन अनेक पुस्तकें छपी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी संसार के अविकसित एवं अल्प विकसित देशों में खूब कार्य किया है।तकनीकी शिक्षा की योजनाएं भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रसारित की है। अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना भी सदस्य देशों के लिए की गई है।
 
अविकसित देश इस बैंक से सहायता लेते रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वीकसित देशों में उद्योगों के विकास में सहायता देने के लिए  वैज्ञानिकों की सेवा योजना भी बना रखी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता और असफलता पर विचार करने के पश्चात यह आवश्यक है यह संस्था सुदृढ बने। अतः सभी सदस्य देशों को कार्यक्रमों और नीतियों का पालन करना चाहिए। 
 
इससे विश्व में शांति रह सकती है और मानवता का विकास हो सकता है।परमाणु बमों का प्रयोग रुक सकता है और विश्व शांति से जीवन व्यतीत कर सकता है। शक्तिशाली सदस्य राष्ट्रों का कर्तव्य है कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अविकसित और अर्द्धविकसित देशों की प्रगति में सहायता देने तथा विश्व में स्थाई शांति स्थापित करने के लिए बड़े राष्ट्रों में विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाएं।
 

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