शुद्ध के लिए युद्ध अभियान 2021 राजस्थान।
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का परिचय।
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की प्रक्रिया।
श्री गहलोत ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए संगठित गिरोह के रूप में फैक्टरी लगाकर नकली, खाद्य पदार्थ, मसाले एवं दूध आदि तैयार करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता के लिए यह जरूरी है कि आम लोग भी जागरूक हों और ‘शुद्ध के लिये युद्ध’ अभियान में सरकार का साथ दें। उन्होंने कहा कि संगठित मिलावटखोरों के बारे में जानकारी देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा और जानकारी सही पाए जाने पर उनको उचित इनाम भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिलावटखोरी के खिलाफ अभियान में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाए। उन्होंने मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए यदि आवश्यक हो तो कानून में समुचित संशोधन किया जाए।
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान राजस्थान में अब तक।
मुख्यमंत्री ने ’शुद्ध के लिये युद्ध’ अभियान की योजना बनाने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिला-स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति बनाने के निर्देश दिए। यह समिति अभियान का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग भी करेगी। समिति में जिला पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), जिला रसद अधिकारी, वाणिज्यकर अधिकारी तथा डेयरी विभाग का प्रबंधक निदेशक या अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। समिति के निर्देशन में कलक्टर द्वारा नामित उप खण्ड अधिकारी अथवा विकास अधिकारी, तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार के नेतृत्व में एक कार्रवाई दल गठित होगा, जो मिलावटखोरों के खिलाफ मौके पर जाकर कार्रवाई करेगा। इस दल में खाद्य सुरक्षा निरीक्षक, बाट एवं मापतोल विभाग, पुलिस तथा डेयरी के अधिकारी भी रहेंगे।
सूचना देने वालों को 51,000 रूपए की प्रोत्साहन राशि|
“शुद्ध के लिए युद्ध अभियान” की अवधि में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले उत्पादकों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए सूचना देने वालों को ‘अनसेफ फूड’ प्रमाणन पर 51,000 रूपए तथा ‘सब-स्टेण्डर्ड’ होने पर 5,000 रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। श्री गहलोत ने निर्देश दिए कि चालान के वक्त ही प्रोत्साहन राशि का आधा हिस्सा सूचना देने वाले व्यक्ति को दे दिया जाए। उन्होंने एफएसएसएआई द्वारा जारी प्रमाण पत्रों का व्यावसायिक संस्थानों में डिस्प्ले सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए।