वैश्विक लैंगिक अन्तराल रिपोर्ट क्या है?/What is Global Gender Gap Index Report?

वैश्विक लैंगिक अन्तराल रिपोर्ट क्या है?/What is Global Gender Gap Index Report?

प्रिय पाठकगण,
आज की neelgyansagar blog post में Global Gender Gap Index Report के बारे में जानकारी दे रहा हु।आशा करता हु आपको यह जानकारी पसंद आएगी।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स) क्या होता है? एवं यह रिपोर्ट कौन प्रकाशित करता है?

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स देश में लैंगिक समानता को मापने के लिए बनाया गया एक सूचकांक होता है। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट सर्वप्रथम 2006 में जारी की गई थी। 2020 की रिपोर्ट 153 देशों पर आधारित है। यह रिपोर्ट प्रतिवर्ष वर्ल्ड इकोनामिक फोरम(WORLD ECONOMIC FORUM)द्वारा प्रकाशित की जाती है।

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में कौनसे पैरामीटर्स के आधार पर रैंकिंग की जाती है?

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स अर्थात वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट तैयार करने में चार पैरामीटर्स का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हीं चार पैरामीटर्स के आधार पर रैंकिंग की जाती है। जो निम्न प्रकार है:
  1. राजनीतिक सशक्तिकरण।
  2. आर्थिक सहभागिता और अवसर।
  3. शिक्षा प्राप्ति।
  4. स्वास्थ्य और उत्तरजीविता।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2020 और 2021(GLOBAL GENDER GAP INDEX REPORT 2020 AND 2021):

वर्ल्ड इकोनामिक फोरम(WEF) द्वारा जारी वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत की रैंकिंग 112 है। जो पिछले वर्ष से चार स्थान नीचे प्रतिवेदित है। भारत अपने पड़ोसी देशों-चीन, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी पीछे है। अर्थात इस रिपोर्ट के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत की स्थिति अच्छी नहीं है।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट के आधार पर प्रथम स्थान आइसलैंड का है। जो सबसे अधिक जेंडर तटस्थ देश है। जबकि अंतिम स्थान यमन का है। इसका अर्थ यह है कि यमन में सबसे अधिक जेंडर असमानता है और महिलाओं के साथ बहुत अधिक भेदभाव होता है।
वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2021 के भारत को 140वा स्थान मिला है।भारत को यह स्थान कुल 156 देशो में से मिला है।भारत के लिए यह काफी चिंताजनक है।
         दुनिया भर में पूर्ण लिंग समानता अभी भी लगभग 100 वर्ष दूर है। इस रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के समान आर्थिक अवसर प्राप्त करने में अभी भी 257 वर्ष और लगेंगे,हालांकि कई देशों ने राजनीति और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अवसर प्रदान करने में प्रगति की है।
पिछले 18 वर्ष में जब यह रिपोर्ट पहली बार जारी हुई थी तब से लिंग समानता में काफी सुधार हुआ है। वैश्विक राजनीतिक क्षेत्रों में केवल 25% संसदीय पदों और 21% मंत्री पदों पर महिलाओं का कब्जा है। रिपोर्ट में स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चे पर भारत को निचले 5 में स्थान दिया गया है। भारत में कंपनी बोर्डों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है जो लगभग 13.8% है।
भारत ने अपने कुल लिंग अंतर का दो तिहाई स्कोर 66.8% कम कर दिया है। हालांकि भारत के समाज में बड़े पैमाने पर महिलाओं की स्थिति अनिश्चित है। अध्ययन किए गए 153 देशों में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां आर्थिक अंतर राजनीतिक अंतर से बड़ा है। भारत में आर्थिक लिंगभेद विशेष रूप से गहरा है। केवल एक तिहाई अंतर को कम किया गया है। वर्ष 2006 के बाद से अंतर काफी व्यापक हो गया है। 
  • राजनीतिक सशक्तिकरण में भारत 18वे स्थान पर है।
  • देश में 4 वर्ष में एक अवसर में एक समान कार्य के लिए मजदूरी समानता में 117वे स्थान पर है।
  • भारत का शैक्षिक प्राप्ति में 112वां स्थान है।
  • भारत का स्वास्थ्य उत्तरजीविता में 150 वां स्थान है।  
  • भारत में विस्तृत जेंडर गैप धार्मिक और ऐतिहासिक सामाजिक संबंधों के कारण यह प्रक्रिया अन्य देशों की तुलना में बहुत धीमी है क्योंकि सामाजिक संस्कृति में प्रचलित दृष्टिकोण है।

भारत की स्थिति 2020 की रिपोर्ट के तुलना में 2021 की रिपोर्ट में खराब हुई है। इसमें काफी गिरावट दर्ज की गई है ।भारत 2020 में 112 वे स्थान पर था, वही 2021 की रिपोर्ट में 140 वे स्थान पर पहुंच गया है।भारत दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बन गया है। दक्षिण एशियाई देशों में बांग्लादेश का प्रदर्शन अच्छा है। भारत के पड़ोसी देशों में 2021 की रिपोर्ट के आधार पर बांग्लादेश 65वें, नेपाल 106वे, पाकिस्तान 153वे, अफगानिस्तान 156वे, भूटान 130वे और श्रीलंका 116वे स्थान पर है।

अतः निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि, किसी भी समाज में मानव विकास की दशा-दिशा में एक महत्वपूर्ण आयाम है -वहां की महिलाओं का विकास की मुख्यधारा में बराबरी से जुड़ाव। जेंडर समानता एवं जेंडर न्याय के तकाजे से संतुलित मानव विकास, जिसके तहत सभी व्यक्तियों के मानव अधिकार एवं मानव विकास अवसर बराबरी से संरक्षित हो। ऐसे मानव समाज का सृजन, हम सबके समक्ष सतत विकास लक्ष्यों में SDG-5 को सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती है।

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