राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24अप्रेल को क्यो मनाते है?।Why we celebrate National Panchayati Raj Divas On 24 April?

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24अप्रेल को क्यो मनाते है?।Why we celebrate National Panchayati Raj Divas On 24 April?

संविधान के (73 वां संविधान संशोधन) अधिनियम 1992 भारत के राजपत्र में प्रकाशन के उपरांत 24 अप्रैल 1991 से देश में प्रभावशील हुआ था। इस संशोधन के परिणाम स्वरूप पंचायती राज संस्थाओं की त्रिस्तरीय व्यवस्था को सरकार की शासन व्यवस्था के तीसरे स्तर के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई थी। ग्रामीण विकास में सक्रिय जनभागीदारी व स्थानीय समस्याओं के समुदाय द्वारा स्थानीय स्तर पर ही समाधान के उद्देश्य से पंचायतों को स्थानीय स्वायत्तशासी संस्था के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया गया था। अतः भारत में प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाना प्रारंभ 24 अप्रैल 2010 से किया गया है।

पंचायती राज संस्थाओं की संवैधानिक भूमिका क्या है?

संविधान द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के रूप में प्रदत मान्यता अनुरूप जिले की पंचायती राज त्रिस्तरीय व्यवस्था में हर इकाई का दायित्व है कि वह स्वशासी संस्था के रूप में कार्य करें। संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मौलिक अधिकारों व दायित्व का अपने कार्य क्षेत्र में प्रचार-प्रसार कर उनके संरक्षण व संवर्धन में सार्थक योगदान दें।
ग्राम पंचायत  विकास, नियोजन, क्रियान्वयन व प्रबोधन हेतु जन सहभागिता जुटाने के लिए अपने क्षेत्र में ग्राम सभाओं को गांव की लोकसभा के रूप में सशक्त बनावे। तथा मानव अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में ऐसे मानव विकास को बढ़ावा दें जिसमें जेंडर समानता, वंचितों के प्रति न्याय व सभी वर्गों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित हो।“सबका साथ सबका विकास” माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घोष इस मिशन वाक्य के अनुसरण में सभी पंचायती राज जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में इस मिशन वाक्य को साकार करें।

ग्राम पंचायतों को मजबूत एवं सशक्त बनाना क्यों आवश्यक है?

ग्राम पंचायतों को मजबूत एवं सशक्त बनाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि आजादी के समय हमारे देश के संविधान में लिखा गया कि हम एक गणतंत्र का गठन करेंगे। जो सामाजिक व आर्थिक न्याय पर बना होगा। जिसमें जाति, धर्म, पंथ, समुदाय, लिंग का भेद नहीं होगा। लेकिन जमीनी स्तर पर हम इससे दूर रह गए। संविधान ने हमें अपने विचार रखने और समानता का अधिकार दिया है। पर हमने इसका इस्तेमाल विकास में भागीदार होने में नहीं किया। इस कमी को बहुत समय से महसूस किया जा रहा था। क्योंकि इस कमी की वजह से हम देशवासी अभी तक अपने समाज में सामाजिक व आर्थिक समानता नहीं बना पाए। 
लाखों देशवासियों को रोटी, कपड़ा और मकान नहीं मिल पाया है। और वह गरीबी, कुपोषण, हिंसा एवं भेदभाव से ग्रस्त हैं। गहरे चिंतन मनन के बाद यह समझ लिया गया है कि जन-जन को विकास में भागीदार बनना होगा यानी अपने विकास का रास्ता खुद तय करना होगा। 
इसकी और सबसे मजबूत कदम है- पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना।इसी उद्देश्य के साथ हमारे देश के संविधान में संशोधन किया गया और 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना हुई।
इसके तहत अब हर ग्राम पंचायत को अपना विकास का लक्ष्य खुद बनाना है। अर्थात ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) बनानी है।यह हर ग्रामीण का मौलिक अधिकार है कि वह अपने, अपने गांव, ब्लॉक,जिले, प्रदेश और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के बारे में बोले और अपनी सबसे पहली और जरूरी आवश्यकता को ध्यान में रखकर विकास के कार्यक्रम बनाएं।

पंचायती राज संस्थाओं के विकास व मजबूती हेतु ई गवर्नेंस एवं ई ग्राम स्वराज  क्या है?

73वें संविधान संशोधन के 29 वर्षों से अधिक बीतने के पश्चात अब यह समय की मांग है की पंचायती राज को अधिक ऊर्जावान तथा नीत नई विकास की चुनौतियों से निपटने के लिए ई-क्षमतावान बनाने की नितांत आवश्यकता है।
सूचना एवं संचार तकनीकी ने त्वरित निर्णय लेने, आंकड़े संधारित करने, सूचना संग्रहित करने और त्वरित संदेश भेजने में पंचायतों को क्षमता प्रदान की है। इनफॉरशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) में मिले इस परिवर्तनकारी सामर्थ को पहचानते हुए भारत सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारें, ग्रामीण स्थानीय स्वशासन हेतु पंचायतों को अधिक पारदर्शी व उत्तरदाई बनाने और जन सुविधाओं को बेहतर करने के लिए आईसीटी के पंचायत स्तर तक उपयोग पर विशेष बल दे रही है।
सरकार के इस नवाचार से लोगों को प्रभावी लोकसेवा मिलेगी एवं लोग विकास कार्यक्रमों की निगरानी भी कर पाएंगे एवं ग्राम पंचायतें अपना वित्तीय प्रबंधन बेहतर कर सकेगी।

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