राजस्थान का चौथा बाघ अभ्यारण्य रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य।Fourth Tiger reserve of Rajasthan:Ramgarh vishdhari Tiger reserve IN HINDI।
राजस्थान के बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी अभ्यारण को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व अभयारण्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व राजस्थान में रणथंभौर (सवाई माधोपुर), सरिस्का (अलवर), मुकंदरा हिल्स (कोटा) टाइगर रिजर्व के रूप में थे। रणथंबोर क्षेत्र सवाई माधोपुर से नजदीकी होने के कारण रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ विचरण के लिए आते है। बाघों की स्पिलओवर पापुलेशन रामगढ़ अभयारण्य में भी देखी जाती है।
बाघों को उपयुक्त आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा 16 मई 2022 को नोटिफिकेशन जारी कर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। इससे न केवल बाघो को रहने के लिए सुरक्षित आवास मिलेगा, बल्कि हाडोती सहित संपूर्ण राजस्थान में पर्यटन के नए द्वार खुलेंगे। रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण में वर्षपर्यंत हरियाली एवं जैव विविधता के साथ जल की उपलब्धता आकर्षण का केंद्र है। रियासत काल में बूंदी रियासत द्वारा इस अभयारण्य के विकास के साथ शिकारगाह,महलों का निर्माण भी कराया गया था। वहां की पहाड़ियों एवं जल स्रोतों में जैव विविधता के कारण आने वाले समय में यह पर्यटकों के लिए नया टूरिस्ट प्लेस बनेगा।
रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को राज्य सरकार द्वारा 20 मई 1982 को वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया था। इस अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 303.40 वर्ग किलोमीटर है। राजस्थान राज्य की स्थापना से पूर्व ही यहां बाघ, पैंथर , स्लॉथ बियर,सांभर, चीतल,सीवेट, बिल्ली आदि अनेक प्रकार के जीव पाए जाते थे एवं वर्तमान में भी इन जीवों की विभिन्न प्रजातियां यहां देखने को मिलती है।क्षेत्र में विंध्याचल के तीखे पहाड़ की मौजूदगी है और साथ में अरावली की पहाड़ियां स्थित है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह क्षेत्र अरावली पर्वत माला और विंध्याचल पर्वत माला का संगम स्थल है।
रामगढ़ अभ्यारण को बाघो का जच्चा घर भी कहा जाता है। रणथंभौर में पाए जाने वाले बाघों की जन्मस्थली रामगढ़ को ही माना जाता है। रामगढ़ अभ्यारण का मुख्य आकर्षण बाघों की उपस्थिति एवं बाघों का इस क्षेत्र से जुड़ाव है। वर्तमान में यहां रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 1 नर बाघ टी-115 गत दो वर्षों से निवास कर रहा है। यह प्रदेश के दो टाइगर रिजर्व रणथंभौर एवं मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित है तथा आवागमन में कॉरिडोर का कार्य करता है।
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वनस्पति एवं वन्यजीवों की स्थिति
इस अभयारण्य की मुख्य वनस्पति प्रजातियों में धौक, सालर, बबूल, पलाश, गुर्जन, खैर, जामुन, अमलतास, खेजड़ी, पीलू ,लहसोड़ा आदि है। वन्यजीवो में अभयारण्य का शीर्ष परभक्षी बाघ है।इसके अलावा पैंथर, भालू, स्ट्रिपड हायना, सिवेट, जैकाल, जंगली बिल्ली, लोमड़ी, जंगली सूअर, लंगूर, नीलगाय, खरगोश सहित झाऊ चूहा, चीतल, सांभर आदि है।
अभयारण्य में सरीसृप भी काफी संख्या में पाए जाते हैं। जिनमें कोबरा, क्रेत, रैट स्नेक, रॉक पाइथन, कीलबैक आदि है।मेज नदी एवं अन्य पानी के स्रोत के कारण यहां पर मार्श क्रोकोडाइल, टर्टल एवं कछुआ भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। मेज नदी को अभयारण्य की जीवन रेखा माना जाता है। अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के स्थानीय एवं प्रवासी पक्षी निवास करते हैं। जिनमें से मुख्य रूप से क्रेन,स्टोर्क, स्नाइप,वैगटेल, गीज, किंगफिशर, रुडीशैल डक आदि है।
रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य की प्रशासनिक व्यवस्था
यह अभ्यारण्य वन मंडल वन्य जीव कोटा के क्षेत्राधिकार में आता है। इसको प्रशासनिक दृष्टि से रामगढ़ रेंज एवं जैतपुर रेंज में बांटा गया है। यहां पर सहायक वन संरक्षक, 2 रेंज एवं 8 नाके क्रमशः खटकड़, पिपलिया माणक चौक, विषधारी, खारियाडी रजवास,झरपीर, शिकार बुर्ज,रामगढ़ भैरूपुरा,धैलाई, गुडा मकदूदा, चंपा बाग एवं बूंदी की नंगी पहाड़ीया आते हैं। इसके बफर वन क्षेत्र में भीलवाड़ा जिले का 9548 हेक्टेयर वन क्षेत्र भी सम्मिलित है।
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य का क्षेत्र
अभयारण्य की सीमा के अंदर कुल 9 ग्राम बसे हुए हैं। जिनमें भैरूपुरा, केशवपुरा, भीमगंज, जावरा, हरीपुरा, गुलखेड़ी, गुडा मकदुदा, दलेलपूरा एवं धुंधलाजी का बाड़ा शामिल है।
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य, बूंदी को राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश का चौथा बाघ रिजर्व अभयारण्य बनाने के कारण इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए द्वार खुल चुके हैं। अब यहां पर प्रकृति प्रेमी टूरिस्ट अधिक संख्या में आएंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।