राजस्थान कृषि प्रसंस्करण,कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन योजना 2019। RAJASTHAN KRISHI PRASANSKARAN,KRISHI VYAVSAY EVM KRISHI NIRYAT PROTSAHAN YOJANA,2019
राजस्थान प्रदेश के प्रसंस्करण, कृषि उत्पादों का उत्पादन एवं आपूर्ति केंद्र बनाने एवं देश-विदेश के निवेशको, प्रसंस्करणकर्ताओ तथा निर्यातकों को निवेश के लिए पसंदीदा केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019 जारी की गई थी।यह योजना 31 मार्च 2024 तक प्रभावी रहेगी।
इस नीति द्वारा राज्य को प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों का उत्पादन केंद्र बनाने एवं देश-विदेश के निवेश को प्रसंस्करणकर्ताओ तथा निर्यातकों को निवेश के लिए पसंदीदा केंद्र बनाने का प्रयास किया गया है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया(FSSAI) एवं आयातक देशों द्वारा निर्धारित खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता के मापदंडों की पूर्ण पालना करने के लिए कृषि उद्योगों को सहायता प्रदान करना इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है, साथ ही साथ बेरोजगार व्यक्तियों को स्थाई रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने हेतु संस्थागत प्रशिक्षण द्वारा उनमें क्षमता निर्माण एवं कौशल उन्नयन करना तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में कुशल मानव शक्ति की मांग व आपूर्ति के अंतर को कम करना भी इसका एक उद्देश्य है।
यह नीति राज्य में स्थापित होने वाले नए एवं वर्तमान में स्थापित कृषि प्रसंस्करण और कृषि व्यवसाय उद्यम जो आधुनिकीकरण,विस्तार या विविधीकरण को अपना रहे हैं, पर लागू होगी। आधुनिकीकरण, विस्तार एवं विविधीकरण का अर्थ राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना के अनुसार होगा। यह नीति कृषि उद्यानिकी एवं पशुपालन क्षेत्र में हानियों को कम करने एवं मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने के साथ कृषि प्रसंस्करण अवसंरचना और मानव संसाधनों के विकास को भी प्रोत्साहित करेगी।
यह नीति राज्य के उत्पादित कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करेगी। इसका लक्ष्य कृषि उत्पादों को बाजार तथा उद्योग व बाजार को कच्चा माल उपलब्ध कराते हुए बाजार और उद्योगों को सतत आधार प्रदान कर किसानों और उद्योगों के बीच एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और तालमेल स्थापित करना भी इसका एक लक्ष्य है।नीति में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार वाणिज्यिक उत्पादन/संचालन शुरू करने एवं अन्य सभी दायित्व को पूर्ण करने वाले समस्त कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय उद्यम इस नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे।
राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति,2019,कृषि प्रसंस्करण एवं निर्यात में संपूर्ण मूल्य श्रंखला के समाधान का एक सरकार द्वारा किया गया प्रयास है।क्षेत्र एवं उपक्षेत्रों के अनुरूप विशिष्ट बुनियादी ढांचे जैसे भंडारगृह, शीत भंडारग्रह,पैक हाउस, निर्यात सुविधा केंद्र, संग्रहण केंद्र आदि का सृजन नीति के तहत सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाएगा।
पूंजी निवेश अनुदान प्रोत्साहन
राजस्थान राज्य में कृषि क्षेत्र में कृषि प्रसंस्करण उद्योगों व ढांचागत सुविधाओं की स्थापना के लिए केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा इस नीति के अंतर्गत उपलब्ध सहायता एवं रियायतों के पैकेज द्वारा पूंजी निवेश को आकर्षित किया जाएगा।
ब्याज अनुदान
कृषि क्षेत्र में पात्र प्रसंस्करण तथा अवसरंचनात्मक इकाइयों के उद्यमियों को प्रारंभिक वर्षों में वित्तीय दायित्व में राहत प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंकों/वित्तीय संस्थानों से पूंजीगत निवेश हेतु लिए गए ऋण पर चुकाए गए ब्याज का निर्धारित दरों पर अधिकतम 5 वर्ष तक पुनर्भरण किया जाएगा।
‘शून्य दोष शून्य प्रभाव नीति’ को अपनाना
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मध्य शून्य दोष शून्य प्रभाव, विनिर्माण एवं प्रमाणन पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। यह घरेलू और विदेशी ग्राहकों, समाज, कर्मचारियों,भागीदारों, नियामकों और निवेशकों की गुणवत्ता और पारिस्थितिक आवश्यकताओं को भी संबोधित करेगा।
शून्य दोष शून्य प्रभाव मूल्यांकन और अन्य उचित उपकरणों को अपनाने के बाद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम(MSME)को काफी सीमा तक कम कर, उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं। एवं भारतीय मूल के उत्पादों के रूप में प्रचारित कर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को विक्रय कर उच्च बौद्धिक संपदा अधिकारों से लाभ कमा सकते है। इस नीति के अंतर्गत सौर ऊर्जा अपनाने को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
ऋण सुविधा कोष की स्थापना
ऋण सुविधा कोष की स्थापना नीति के अंतर्गत पात्र इकाइयों को पर्याप्त ऋण सुविधा सुनिश्चित करने के लिए दी राजस्थान स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पास प्रथक से 500 करोड़ के एक कोष निधि की स्थापना की जाएगी। बैंक इस नीति के तहत स्वीकृत इकाइयों एवं परियोजनाओं को पर्याप्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक नई योजना बनाएगी एवं उसे वह सीधे अथवा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से क्रियान्वित करेगा।