राजस्थान की नदियां।Rivers Of Rajasthan In Hindi।
तपती धरती, तपते पहाड़, मिलो तक फैला रेगिस्तान, बंजर धरती, आसमान ताकती आंखें और प्यासे कंठ, रेगिस्तान की यह तस्वीर सामने आते ही राजस्थान का नाम होंठो पर आ जाता था। आज यह तस्वीर बदलने लगी है। गांवों और कस्बों के आसपास छोटे-छोटे तालाब,एनीकट, शिल्प कौशल की अद्भुत मिसाल देते हुए कुँए और बावड़िया, मानो शकुन भरी राहत देते हैं।
कहने वाले कहते हैं कि, राजस्थान के पास समंदर के सिवा सब कुछ है।फिर इस समृद्धि के बावजूद राजस्थान में सदियों तक अकाल की भीषण त्रासदी भुगती है। यहां की महिलाओं ने सदियों तक मिलो दूर से पानी ढोया और प्यासे कंठो ने कड़ी मेहनत के बावजूद खाली खेतों की विभीषिका झेली है, और तो और राजस्थान ने विकास की धीमी गति का अभिशाप सहन किया।
राजस्थान की बारहमासी नदी चंबल एवं उसकी सहायक नदियां।
इन सब का एकमात्र कारण यह रहा कि राजस्थान के पास सदा ही बारहमासी सदानीरा नदियों का अभाव रहा।राजस्थान में गिनी चुनी कुछ नदियां है। जिनसे पेयजल की समस्या के आंशिक निदान में सहायता मिलती है।
राजस्थान में चर्मण्वती या चंबल एकमात्र ऐसी नदी है। जो मध्य प्रदेश से राजस्थान आती है और 12 महीने बहती है। इसकी सहायक नदियां कालीसिंध, पार्वती, बनास कुराई और बामणी है। राजस्थान में यह नदी 376 किलोमीटर बहती है।
राजस्थान के कोटा, बूंदी, झालावाड़,सवाई माधोपुर और धौलपुर जिलों में बहती हुई चम्बल नदी इटावा उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है।
चंबल नदी की सहायक नदियां।
कालीसिंध चंबल की सहायक नदी है। यह भी मध्य प्रदेश से राजस्थान के झालावाड़ और कोटा जिलों में आती है और बाद में चंबल में मिल जाती है। इसकी लंबाई 278 किलोमीटर है।
राजस्थान में ही निकल कर राजस्थान में ही बहने वाली बनास नदी उदयपुर जिले की अरावली पर्वत श्रंखला में खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है और नाथद्वारा, कांकरोली,राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई सवाई माधोपुर में चंबल नदी में मिल जाती है।
लगभग 480 किलोमीटर लंबी इस नदी की सहायक नदियां बेड़च, कोठारी, मानसी, खारी, मोरेल और ढूंढ है। बेडच नदी उदयपुर की गोगुंदा पहाड़ियों से, कोठारी नदी उतरी राजसमंद जिले की दिवेर पहाड़ियों से और खारी नदी राजसमंद की बिजराल पहाड़ियों से निकलती है।
बाणगंगा नदी जयपुर।
पार्वती नदी।
पार्वती चंबल की सहायक नदी है यह भी मध्य प्रदेश के विंध्य पर्वतों से निकलती है और बूंदी जिले से बहती हुई चंबल में प्रवेश कर जाती है।
गंभीरी नदी।
गंभीरी नदी सवाई माधोपुर की पहाड़ियों से निकलकर करौली और भरतपुर होती हुई आगरा जिले में यमुना नदी में समाहित हो जाती है।
लूनी नदी।
लूनी नदी का उद्गम अजमेर की नाग पहाड़ियों से होता है। यह जोधपुर, बाड़मेर और जालौर होती हुई गुजरात में कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है।
माही नदी।
माही नदी बांसवाड़ा, डूंगरपुर से बहती हुई गुजरात में प्रवेश कर खंभात की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी सहायक नदियां सोम, जाखम,अनाच,चाप और मोरेन है।बांसवाड़ा जिले में इस नदी पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।
घग्गर नदी।
घग्गर नदी गंगानगर जिले की प्रमुख नदी है, जो हिमालय पर्वत की शिवालिक पहाड़ियों से निकलती है। अंबाला,पटियाला और हिसार जिलों से बहती हुई यह भटनेर के पास (हनुमानगढ़ में) विलीन हो जाती है।
मसुरदी नदी।
काकनेय काकनी या मसूरदी नाम से प्रसिद्ध नदी जैसलमेर के मरुस्थल को सरसब्ज करती है। इसका अंत बुझ झील में होता है।
राजस्थान की अन्य नदियां।
उदयपुर जिले से निकलने वाली सोम नदी, डूंगरपुर में बेणेश्वर में माही नदी में समाहित होती है। जाखम नदी प्रतापगढ़ जिले से उदयपुर की धरियावद तहसील से होती हुई सोम नदी में मिल जाती है। साबरमती गुजरात की मुख्य नदी है। उदयपुर और कुंभलगढ़ से निकलकर यह दक्षिण की ओर बहती है।
सीकर जिले के खंडेला पहाड़ियों से निकलने वाली कांतली नदी मौसमी नदी है। जो सीकर और झुंझुनूं में बहने के बाद चूरू जिले में अदृश्य हो जाती है।
साबी नदी जयपुर जिले की सेवर पहाड़ियों से निकलती है,और बहरोड,किशनगढ़, मंडावर और तिजारा से बहती हुई गुड़गांव के आगे पटौदी में भूमिगत हो जाती है।जयपुर जिले की मंथा नदी मनोहरपुर से निकलकर सांभर झील में समाहित हो जाती है।
इस प्रकार राजस्थान की अधिकतर नदियां अपने छोटे से सफर पर निकलती है और अपने अहसास को बयान करती हुई गुम हो जाती है।