मानव विकास सूचकांक(Human Development Index) क्या होता है?
प्रिय पाठको
आज के neelgyansagar.in ब्लॉग के लेख में आपको मानव विकास सूचकांक(HDI) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दे रहा हूं उम्मीद है आप लोगों को यह जानकारी पढ़कर मानव विकास सूचकांक(Human Development Index) के बारे में पूरा ज्ञान हो जाएगा।
क्या है मानव विकास सूचकांक?What is Human Develpment Index?
मानव विकास सूचकांक यानी ह्यूमन डेवेलोपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय(Income) सूचकांकों का एक संयुक्त सांख्यिकी सूचकांक है। मानव विकास सूचकांक के जन्मदाता पाकिस्तान के अर्थशास्त्री श्री महबूब उल हक को माना जाता है। पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में जारी किया गया था। तब से प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम(United Nations Development Program) द्वारा इसे प्रकाशित किया जाता है। जिसमें दुनिया के उन सभी देशों को विकास प्रगति सारणी में श्रेणीबद्ध किया जाता है जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं। जो मानव विकास सूचकांको की प्रगति की सूचना उपलब्ध करवाते हैं।
UNDP द्वारा 15 दिसंबर 2020 को एचडीआई रिपोर्ट 2020 जारी की गई है। इसका शीर्षक है –“The next frontier:Human Development and the Anthropocene”.
मानव विकास सूचकांक(HDI)का निर्धारण किस आधार पर होता है?
स्वास्थ्य, शिक्षा और आय को आधार बनाकर तीन बुनियादी आयामों में मानव विकास की उपलब्धियों का एक राष्ट्रीय औसत दर्शाता है। एचडीआई उपरोक्त तीनों सूचकांकों के योग को तीन से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।
संपूर्ण देशों को 4 मानव विकास श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है- बहुत अधिक, उच्च, मध्यम तथा निम्न देश। भारत मध्यम श्रेणी के मानव विकास में आता है।
- जीवन स्तर: इसकी गणना प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय से की जाती है अर्थात एक व्यक्ति की कुल आय प्रतिवर्ष कितनी है।
- स्वास्थ्य: इसकी गणना जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से की जाती है।
- शिक्षा: इसकी गणना वयस्क आबादी के बीच विद्यालय शिक्षा के औसत वर्षो और बच्चों के लिए विद्यालय शिक्षा के अपेक्षित वर्षों के माध्यम से की जाती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के संपूर्ण देशों का मानव विकास वर्गीकरण:
- बहुत अधिक- 1 से 62 देश।
- उच्च- 63 से 116 पायदान वाले देश।
- मध्यम- 117 से 153 पायदान वाले देश।
- निम्न- 154 से 189 पाए जाने वाले देश।
मानव विकास सूचको के आधार पर शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, सकल प्रजनन दर, साक्षरता दर, शाला नामांकन दर, विवाह के समय औसत आयु, स्कूल शिक्षा प्राप्ति दर, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, सकल राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय, जीवन की मूलभूत सुविधाओं का स्तर आदि में प्रगति के स्तर को देखते हुए श्रेणीबद्ध किया जाता है।
मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट को प्रकाशित कौन करता है?
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में दुनिया के विकास मुद्दों, प्रवृत्तियों और नीतियों पर चर्चा शामिल होती है। इसके अलावा यह रिपोर्ट मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों को वार्षिक रैंकिंग भी प्रदान करती है। मानव विकास रिपोर्ट में चार अन्य सूचकांक भी शामिल होते हैं। जो निम्न प्रकार है:-
- असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक:-यह देश में स्थित असमानता के आधार पर मानव विकास सूचकांक की गणना करता है।
- लैंगिक विकास सूचकांक:-यह महिला और पुरुष मानव विकास सूचकांको की तुलना करता है।
- लैंगिक असमानता सूचकांक:- यह प्रजनन, स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार के आधार पर लैंगिक असमानता का एक समग्र आकलन प्रस्तुत करता है।
- बहुआयामी या निर्धनता सूचकांक:- यह गरीबी के गैर-आय आयामों का आकलन करता है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मुताबिक 2020 में मानव विकास सूचकांक में भारत ने 1 स्थान की छलांग लगाई है और 189 देशों के बीच इसकी रैंकिंग 131 हो गई है। यूएनडीपी की भारत में स्थानीय प्रतिनिधि शोडो नोडा के अनुसार भारत में 2005-2006 से 2015-2016 के बीच 27.1 करोड लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है अभी भी हालांकि भारत की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में भारत की रैंकिंग 129 व वर्ष 2019 में 130 थी। तीन दशकों से तेज विकास के कारण यह प्रगति हुई है। जिसके कारण गरीबी में कमी आई है,साथ ही जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में बढ़ोतरी के कारण रैंकिंग में भारत का सुधार हुआ है।
रैंकिंग में नॉर्वे, स्विजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया,आयरलैंड और जर्मनी टॉप पर है। जबकि नाइजर, दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य,दक्षिणी सूडान,चाड और बुसंडी काफी कम एचडीआई वैल्यू के साथ फिसड्डी देशों में शुमार है। भारत का एसडीआई वैल्यू 0.645 दक्षिणी एशिया के औसत 0.638 से थोड़ा ऊपर है। वर्ष 1990 में भारत का एचडीआई वैल्यू 0.431 था। वहीं वर्ष 2020 में बढ़कर 0.645 हो गया है। भारत 1.3% औसत वार्षिक एचडीआई वृद्धि के साथ सबसे तेजी से सुधार करने वाले देशों में शामिल है। मानव विकास की गति को बनाए रखने के लिए तथा इसको और अधिक तेज करने के लिए सामाजिक सेवा में सार्वजनिक क्षेत्र जैसे- शिक्षा और स्वास्थ्य की भूमिका बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है।
संदर्भ: इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान जयपुर की पुस्तक से संकलित।
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