महापुरुषों के प्रेरणादायक अनमोल वचन/महापुरुषों के ध्येय वाक्य/महान प्रेरक विचार/प्रेरणात्मक सुविचार/दुनिया के अनमोल विचार/दार्शनिकों के विचार/विश्व के महान विचारकों के विचार/महापुरुषों के अनमोल विचार/ग्रेट विचार
neelgyansagar blog की इस पोस्ट में मै आप लोगो तक महान पुरुषो के अनमोल प्रेरणादायक विचार व् कथन लेकर आया हूँ इन विचारो को पढ़कर आप अपने जीवन की दुविधाओ व् चुनोतियों का आसानी से समाधान कर पाओगे।
- आत्मा को रथ में बैठा हुआ योद्धा जानो, शरीर को रथ जानो, बुद्धि को सारथी जानो और मन को लगाम जानो। –कठोपनिषद
- कोई भी पवित्र आत्मा पागलपन के मिश्रण से मुक्त नहीं है। -अरस्तु
- कभी-कभी मौन रह जाना सबसे तीखी आलोचना होती है। -अज्ञात
- इच्छा कभी भी तृप्त नहीं होती, अगर कोई मनुष्य उसको त्याग दें, तो वह उसी समय संपूर्णता को प्राप्त कर लेता है। -संत तिरुवल्लुवर
- बिना शारीरिक उन्नति के, आध्यात्मिक उन्नति असंभव है। -रामकृष्ण परमहंस
- अग्नि में घी की आहुति देने की अपेक्षा अपने अहंकार की आहुति दो। -विवेकानंद
- जीभ के बिना भी अपराध बोलता है। -शेक्सपियर
- बुरी पुस्तकों का अध्ययन करना, जहर पीने के समान है। -टॉलस्टॉय
- वही मानव ईश्वर के दर्शन कर सकता है जिसका अंतः करण स्वच्छ एवं पवित्र है। -स्वेट मार्डन
- मानव का अंतः करण ही ईश्वर की वाणी है। -वायरन
- संदेह की स्थिति में सज्जनों के अंतः करण की प्रवृत्ति ही प्रमाण होती है। -कालिदास
- पत्थर के खंभे के समान जीवन में कभी न झुकने वाला अहंकार आत्मा को नरक की ओर ले जाता है। -महावीर स्वामी
- तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का घाव नहीं भरता।-अज्ञात
- जिस प्रकार दीपक दूसरी वस्तुओं को प्रकाशित करता है और अपने स्वरूप को भी प्रकाशित करता है, उसी प्रकार अंतःकरण दूसरी वस्तुओं को प्रत्यक्ष करता है और अपने आपको भी प्रत्यक्ष करता है। -संपूर्णानंद
- अनजान होना इतनी शर्म की बात नहीं, जितना सीखने के लिए तैयार न होना। -फ्रैंकलिन
- प्राचीन महापुरुषों के जीवन से अपरिचित रहना जीवन भर निरंतर बाल्यावस्था में रहना है। -प्लूटो
- अज्ञानता एक ऐसी रात्रि के समान है जिसमें न चांद है न तारे। -कन्फ्यूशियस
- यदि घरो में अतिथि सत्कार न हो तो वे श्मशान स्थल मात्र रह जाएंगे। -खलील जिब्रान
- आत्मा जिस कार्य से सहमत न हो उस कार्य के करने में शीघ्रता न करें। -मुनि गणेश वर्णी
- मनुष्य की जरूरत पूरी हो सकती है, ख्वाहिश नहीं, यही ईश्वर का नियम है। -जॉर्ज बर्नार्ड शा
- जहां अज्ञानता ही वरदान हो, वहा बुद्धिमानी दिखाना मूर्खता है। -ग्रेविल
- अज्ञान की सबसे बड़ी संपत्ति होती है- मौन और जब वह इस रहस्य को जान जाता है, तब वह अज्ञान नहीं रह जाता। -शेखसादी
- जैसे नेत्रों में जरा सा भी कण पड़ जाने से कोई वस्तु सही नहीं दिखाई देती, वैसे ही अंतःकरण में थोड़ी सी वासना रहने से आत्मा के दर्शन नहीं हो पाते। -स्वामी भजनानंद
- जैसे मैंले शीशे में सूर्य की किरणों का प्रतिबिंब नहीं पड़ता, उसी प्रकार उन लोगों के हृदय में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड सकता, जिनका अंतःकरण मलिन और अपवित्र है। -रामकृष्ण परमहंस
- मानव का अंत:करण उसके आकार, संकेत, गति,चेहरे की बनावट, बोलचाल तथा नेत्र और मुख् के विचारों से विदित हो जाता है। -पंचतंत्र
- यदि तुम्हारा अहंकार चला गया है, तो किसी भी धर्म की पुस्तक की एक पंक्ति भी पढ़े बिना व किसी भी देवालय में पैर रखे बिना, तुम जहां बैठे हो, वही मोक्ष प्राप्त हो जाएगा। -विवेकानंद
- असफलता वही प्राप्त करता है,जो कभी प्रयत्न ही नहीं करता। -नेपोलियन
- असफलता के विचार से सफलता का उत्पन्न होना उतना ही असंभव है, जितना बबूल के पेड़ से गुलाब के फूल का निकलना। -स्वेट मार्डन
- अपने आदर्श को पाने के लिए सैकड़ों बार असफल होने पर भी आगे बढ़े। -स्वामी विवेकानंद
- सफलता एक घटिया शिक्षक है, यह लोगों में यह सोच विकसित कर देता है कि वो असफल नहीं हो सकते। -बिल गेट्स
- अगर आप खुद के मान-सम्मान को महत्व देते हैं, तो गुणवान लोगों की संगति में रहे, खराब संगति में रहने से तो अच्छा है, कि आप अकेले ही रहे। -जॉर्ज वॉशिंगटन
- दया धर्म का मूल है। पाप मूल अभिमान। तुलसी दया न छोड़िए, जब लगि घट में प्राण। -तुलसीदास
- जो अकेले चलते हैं, वे तेजी से बढ़ते हैं। -नेपोलियन
- वे कभी अकेले नहीं रहते, जिनके श्रेष्ठ विचार रहते हैं। -सर फिलिप सिडनी
- अनुशासन किसी के ऊपर थोपा नहीं जाता अपितु आत्मानुशासन लाया जाता है। -अटल बिहारी वाजपेई
- प्रथम अभिवादन करने वाला व्यक्ति अधिक सम्माननीय होता है। -हजरत मोहम्मद
- आनंद वह खुशी है, जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। -सुकरात
- संयम और त्याग के रास्ते से ही शांति और आनंद तक पहुंचा जा सकता है। -आइंस्टीन
- बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है। -विवेकानंद
- बुद्धिमान व्यक्ति अपने अनुभवों से सीखता है, जबकि अधिक बुद्धिमान दूसरों के अनुभवों से सीखते हैं। -अज्ञात
- मनुष्य का अनुभव भी उसके रास्ते का प्रकाश होता है। -पोट्रक हेनरी
- कष्ट सहने पर ही अनुभव प्राप्त होता है। -मुंशी प्रेमचंद
- अन्याय करने वाला उतना दोषी नहीं है, जितना उसे सहन करने वाला। -बाल गंगाधर तिलक
- मेरे पास एक दीपक है, जो मुझे मार्ग दिखाता है और वह है मेरा अनुभव। -पोट्रक हेनरी
- जो अध्यापक पद प्राप्ति पर शास्त्रार्थ से भागता है, दूसरों के उंगली उठाने पर भी चुप रह जाता है, और केवल जीविकोपार्जन के लिए पढ़ाता है,वह पंडित नहीं बल्कि ज्ञान बेचने वाला बनिया कहलाता है। -कालिदास
- ईश्वर सत्य और नित्य है, शेष सब असत्य और अनित्य है। यह समझते हुए अपने कर्तव्य को पूरा करना ही वास्तविक यज्ञ है।-श्रीमद्भगवद्गीता
- बाधाएं आती है आए, घिरे प्रलय की घोर घटाएं,पांवो के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालाए, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा। –अटल बिहारी वाजपेई
- सबसे अमीर वह है,जो थोड़े में संतुष्ट हैं। क्योंकि संतुष्टि प्रकृति की दौलत है। -सुकरात
- जो अपने परिश्रम से जीविका चलाता है तथा अन्य का पोषण करता है, वही पथ प्रदर्शन कर सकता है। -गुरु नानक देव
- अच्छे लोगों की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि उन्हें याद रखना नहीं पड़ता वह याद रह जाते हैं। -अटल बिहारी वाजपेई
- सादगी से बढ़कर कोई श्रृंगार नहीं होता और विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता। -एपीजे अब्दुल कलाम आजाद
- जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की। -अल्बर्ट आइंस्टीन
- किसी भी व्यक्ति को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए। -सम्राट अशोक
- जैसा आप सोचते हैं वैसा आप बन जाएंगे। -ब्रूस ली
- प्रेम और करुणा आवश्यकता है विलासिता कि उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती। -दलाई लामा
- मैं इसलिए दुखी नहीं हूं कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए दुखी हूं कि अब मैं तुम पर यकीन नहीं कर पाऊंगा। -फ्रेडरिक नीत्शे
- सबसे मुश्किल काम है -सोचना, शायद यही कारण है कि इसमें इतने कम लोग लगे होते हैं। -हेनरी फोर्ड
- जो अच्छे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करो और जो अच्छे नहीं हैं उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करो। इस तरह से अच्छाई प्राप्त होती है। उनके साथ ईमानदार रहो जो ईमानदार है, और उनके साथ भी ईमानदार रहो जो ईमानदार नहीं है। इस तरह से ईमानदारी प्राप्त होती है -लाओत्से
- तथ्य कई है पर सत्य है। -रविंद्र नाथ टैगोर
- मैंने देखा है वह लोग भी, जो यह कहते हैं कि सब कुछ पहले से तय है। और हम उसे बदलने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते ,वह भी सड़क पार करने से पहले देखते हैं। -स्टीफन हॉकिंग
- कोई भी मूर्ख आलोचना, निंदा और शिकायत कर सकता है और ज्यादातर मूर्ख करते हैं। -डेल कार्नेगी
- किसी बहस में जीतने का सबसे अच्छा तरीका है उसे टाल देना। -डेल कार्नेगी
- किसी मुल्क को बर्बाद करना हो तो लोगों को धर्म के नाम पर लड़ा दीजिए,मुल्क अपने आप बर्बाद हो जाएगा। -लिओ टॉलस्टॉय
- साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं,यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं। -अब्राहम लिंकन
- मैं धीमा चलता हूं, पर मैं कभी वापस नहीं आता। -अब्राहम लिंकन
- यदि कोई बहुत रगड़ करेगा तो चंदन जैसे शीतल पदार्थ से भी अग्नि पैदा हो जाएगी। -गोस्वामी तुलसीदास।
- अज्ञान के अतिरिक्त आत्मा के किसी रोग का मुझे पता नहीं। -बेन जॉनसन
- जो मन अज्ञान के कारण रात्रि है, वही मन प्रज्ञा के प्रकाश से दिवस भी बन जाता है। -आचार्य रजनीश (ओशो)
- अपनी विद्वता पर गर्व करना सबसे बड़ा अज्ञान है। -जेरेमी टेलर
- अति सुंदरता के कारण सीता चुराई गई, अति गर्व के कारण रावण मारा गया, अतिदान के कारण बली को बंधना पड़ा, अतएव अति को सर्वत्र छोड़ देना चाहिए। -चाणक्य
- प्रकृति का यही एक नियम है कि अति का विध्वंस अवश्य हो जाता है। -रांगेय राघव
- अति दान से दरिद्रता और अति लोभ से तिरस्कार होता है, अति नाश का कारण है, इसलिए अति से सदैव दूर रहे। -शुक्र नीति
- अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद
- जिस दिन कोई संत अतिथि के रूप में आता है, उस दिन अतिथेय को उस अतिथि के दर्शन से उतना पुण्य मिलता है जितना करोड़ों तीर्थों में स्नान करने से होता है। -सूरदास
- हे भगवान, मुझे इतना धन दीजिए जिससे मेरे परिवार का भरण पोषण होता रहे, मुझे भूखा न रहना पड़े और अतिथि, साधु भूखा न लौट जाए। -कबीर दास
- मस्तिष्क के लिए अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है, जितनी शरीर को व्यायाम की। -जोजेफ एडिशन
- रोज 5 घंटे चाहे कुछ भी पढ़ा करो इससे तुम विद्वान हो जाओगे। -जॉनसन
- जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है। -महात्मा गांधी
- पढ़ने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं, न कोई खुशी उतनी स्थाई। -लेडी मॉन्टेयू
- धूर्त अध्ययन का तिरस्कार करते हैं, सामान्य जन उसकी प्रशंसा करते हैं और ज्ञानी उसका उपभोग करते हैं। -बेकन
- अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं, और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींचकर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं। -अरविंद घोष
- अनुभव सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, परंतु इसकी बहुत बड़ी फीस देनी पड़ती है।-रामधारी सिंह दिनकर
- स्वेच्छा से जो न्याय नहीं देता है, उसको एक रोज आख़िर सब कुछ देना पड़ता है। -रामधारी सिंह दिनकर
- वह गरीब नहीं है जिसके पास कम धन है, बल्कि गरीब वह है जिसकी अभिलाषाएँ बढी हुई है। -डेनियल
- इच्छा बिना तली का प्याला है, उसमें तुम चाहे तमाम बड़ी-बड़ी झीलों का पानी डाल दो, पर उसे भर कभी भी नहीं पाओगे। -होम्स
- इच्छा से दुख आता है, इच्छा से भय आता है, जो इच्छा से मुक्त है, वह न दुख जानता है ना भय। -महात्मा बुध
- आवश्यकता कभी मुनाफे का सौदा नहीं करती। -फ्रैंकलीन
- सज्जन व्यक्ति को समझने के लिए भी एक सज्जन व्यक्ति की आवश्यकता होती है। -जॉर्ज बर्नार्ड शा
- हमारी आवश्यकताए जितनी ही कम होगी, हम उतने ही देवताओं के निकटतम होंगे। -सुकरात
- जब तुम्हारे अपने दरवाजे की सीढ़ियां मैंली है, तो अपने पड़ोसी की छत पर पड़ी हुई गंदगी का उलाहना मत दो। -कन्फ्यूशियस
- अपनों से बढ़कर कोई और बड़ी शिक्षा नहीं है। -डिजरायली
- जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती, वह सुंदर नहीं हो सकती और जो सुंदर नहीं हो सकती, वह सत्य भी नहीं हो सकती, इसलिए जहां आनंद है, वही सत्य है। -प्रेमचंद
- हर साल एक बुरी आदत को जड़ से खोदकर फेंका जाए तो कुछ ही साल में बुरे से बुरा आदमी भी भला हो सकता है। -सुकरात
- भलाई में एक भी बूंद अहंकार पड़ जाए तो भलाई बुराई हो जाती है। -आचार्य रजनीश ओशो
- अहंकार का मूल पाप है, लोभ, मोह, क्रोध आदि इसी की छायाए है।अहंकार छूटने पर ही सब छूट जाते हैं। -महर्षि रमण
- इसकी कल्पना भी मत करो कि अवसर तुम्हारे द्वार पर दोबारा पुकारेगा। -चैंफर्ट
- अकलमंद आदमी को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक तो वह पैदा कर लेता है। -प्रेमचंद
- ऐसा कोई भी व्यक्ति संसार में नहीं है, जिसके पास एक बार भाग्योदय का अवसर ना आता हो, परंतु जब वह देखता है कि वह व्यक्ति उसका स्वागत करने के लिए तैयार नहीं है,तो वह उल्टे पैर लौट जाता है। -कार्डिनल
- अपमान पूर्वक सहस्त्र वर्ष जीवित रहने की अपेक्षा सम्मान सहित एक घड़ी भर जीवित रहना भी अच्छा है। -इमर्शन
- धूल से नीचे कौन होगा? मगर वह भी अपमान सहन नहीं कर सकती, लाते मारे तो सिर पर चढ़ती है। -रामायण
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