भारत में बैंकिंग प्रणाली का विकास और भारतीय रिजर्व बैंक (BANKING IN INDIA AND RESERVE BANK OF INDIA)
बैंक किसे कहते है?
बैंक(BANK) का अर्थ वह संस्था है जहां आम जनता अथवा संस्थाएं अपना धन जमा करती है और जमाकर्ताओं की मांग पर या व्यक्तिगत अथवा संस्थागत स्तर पर ऋण(Loan) के रूप में उन्हें धन उपलब्ध कराती है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि बैंक वे संस्थाएं हैं जो धन का लेनदेन करती है।
विश्व मे बैंको की उत्पत्ति का इतिहास
वैश्विक परिपेक्ष में आधुनिक बैंकों(MODERN BANKS) का उद्भव सन 1157 ई. से इटली में माना जाता है। सन 1157 ई. में इटली में बैंक ऑफ वेनिस(BANK OF VANIS) की स्थापना हुई थी। इसके काफी समय बाद तक इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं देखी गई। लेकिन वर्ष 1401 में स्थापित किए गए बैंक ऑफ बार्सिलोना(BANK OF BARSILONA) तथा वर्ष 1407 में स्थापित बैंक ऑफ जेनेवा(BANK OF JANEVA) प्रमुख बैंक है।जिन्हें विश्व के अग्रणी बैंक होने का गौरव हासिल है। वर्ष 1609 में पोलैंड में बैंक ऑफ एमस्टरडम की स्थापना हुई। जिसे 17वीं शताब्दी का आधुनिक एवं महान बैंक माना जाता था।
इसके बाद से ही विश्व भर में आधुनिक बैंकिंग प्रणाली का तीव्र गति से विकास शुरू हुआ। वर्ष 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैंड(BANK OF ENGLAND) की स्थापना की गई। जिसे आधुनिक बैंकिंग प्रणाली की सबसे प्राचीन इकाई माना जाता है।
भारत में बैंकों का उदय एवं विकास
भारत में आधुनिक बैंकिंग प्रणाली काफी देर से प्रारंभ हो सकी। जो ब्रिटिश शासकों द्वारा ब्रिटिश शासन काल में प्रारंभ की गई। इसके पूर्व मुगल शासन काल में भी देश में किसी न किसी रूप में बैंकिंग से संबंधित कार्य संचालित किए जाते थे।मुगल काल में बैंकिंग का कार्य महाजनों तथा साहूकारों द्वारा किया जाता था। भारत में पहला आधुनिक बैंक वर्ष 1770 कोलकाता में बैंक ऑफ हिंदुस्तान(HINDUSTAN BANK) नाम से ब्रिटेन अलेक्जेंडर कंपनी द्वारा स्थापित किया गया, परंतु यह शीघ्र ही विफल हो गया।
भारत में 1921 से पूर्व तीन बैंकों की स्थापना हो चुकी थी। 1806 में बैंक ऑफ बंगाल(BANK OF BANGAL),1840 में बैंक ऑफ बॉम्बे(BANK OF BOMBAY) तथा वर्ष 1843 में बैंक ऑफ मद्रास(BANK OF MADRAS) की स्थापना की गई।वर्ष 1921 में इन तीनों बैंकों को आपस में मिलाकर इंपीरियल बैंक की स्थापना की गई। इसके बाद वर्ष 1881 में अवध कमर्शियल बैंक की स्थापना हुई, जो भारतीयो द्वारा सीमित देयता के आधार पर स्थापित होने वाला पहला बैंक था। इसके पश्चात वर्ष 1894 में देश में पंजाब नेशनल बैंक नाम से एक आधुनिक बैंक की स्थापना हुई। यह बैंक देश में भारतीयों द्वारा पूर्णरूपेण स्थापित किया जाने वाला पहला बैंक था। इसकी 100% अंश पूंजी भारतीय थी।आजादी से पूर्व देश में अंग्रेजी शासकों द्वारा वर्ष 1934 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 पारित किया गया, और एक अप्रैल 1935 से देश में भारतीय रिजर्व बैंक ने कार्य करना शुरू कर दिया था। शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक(RESERVE BANK OF INDIA) निजी अंशधारियों का बैंक था, जिसका देश के स्वतंत्र होने के बाद 1 जनवरी 1949 में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इसके बाद से देश में बैंकिंग प्रणाली का बड़ी तेजी से विकास संभव हुआ और देश के सर्वांगीण विकास में इसका योगदान बढ़ता गया।
बैंकिंग प्रणाली की संरचना
भारतीय बैंकिंग प्रणाली जो देश में वर्ष 1949 में पारित किए गए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट(BANKING REGULATION ACT) द्वारा संचालित होती है, की व्यवस्था के अनुसार मोटे तौर पर बैंकों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा गया है। जिसमें पहली श्रेणी के अंतर्गत देश का केंद्रीय बैंक(CENTRAL BANK) भारतीय रिजर्व बैंक आता है। दूसरी श्रेणी में वाणिज्यिक बैंकों(COMMERCIAL BANKS) को और तीसरी श्रेणी में सहकारी बैंकों को शामिल किया गया है। यहां भारतीय रिजर्व बैंक देश की बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है।
वाणिज्यिक बैंक नगरीय क्षेत्रों से बचत इकट्ठा करके उन्हें ऋण के रूप में औद्योगिक एवं व्यापारीक इकाइयों को उपलब्ध कराते हैं, एवं सहकारी बैंक रिजर्व बैंक द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास के लिए उपलब्ध कराई गई राशि को प्राथमिक सहकारी समितियों को प्रदान करते हैं। तथा उसके द्वारा ग्रामीण विकास के लिए लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व की पूर्ति की जाती है। भारत में वर्ष 1969 में किए गए बैंक राष्ट्रीयकरण के पश्चात बैंकों का एक और नया वर्गीकरण सामने आया है। इसके अनुसार सार्वजनिक बैंक अथवा राष्ट्रीयकृत बैंक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों की अलग-अलग श्रेणियां बन गई है। वर्तमान में संचालित निजी क्षेत्र के बैंकों को भी दो भागों में बांटा गया है। इनमें एक भारतीय निजी बैंक तथा दूसरे विदेशी बैंक सम्मिलित किए जा सकते हैं।
बैंकों को अनुसूचित और गैर अनुसूचित बैंकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। अनुसूचित बैंक वे बैंक है जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की दूसरी सूची में दर्ज है। इन बैंकों की प्रदत पूंजी और रिज़र्व पूंजी ₹5 लाख से कम नहीं हो सकती। वहीं दूसरी और गैर अनुसूचित बैंक वे बैंक है जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल नहीं है।
सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य सहकारी बैंक अनुसूचित बैंकों के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं। वर्तमान में बैंकों की 90000 से भी अधिक शाखाएं देश के विभिन्न भागों में कार्यरत है। भारत में बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत वर्तमान में विदेशी बैंकों सहित कुल 288 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक है। इनमें से 224 सार्वजनिक क्षेत्र के हैं, जिनमें से एक 133 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त बाकी अन्य बैंकों में 19 राष्ट्रीयकृत बैंक, भारतीय स्टेट बैंक समूह के आठ बैंक और आईडीबीआई शामिल है। यह बैंक सभी तरह का बैंकिंग व्यवसाय करते हैं।वर्तमान में राष्ट्रीयकृत बैंक समूह भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सबसे बड़ी इकाई है। अपने साथ सहायकों सहित भारतीय स्टेट बैंक समूह(STATE BANK OF INDIA GROUP) देश की बैंकिंग प्रणाली का दूसरा सबसे बड़ा समूह है।
भारतीय रिजर्व बैंक
भारत में केंद्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हिल्टन यंग आयोग की अनुशंसा पर 1 अप्रैल 1935 को की गयी थी।
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को शेयर होल्डर्स के बैंक के रूप में हुई थी। जिसकी लगभग समस्त पूंजी निजी शेरहोल्डर्स की थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इसके शेयर्स को कुछ व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित होने से रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी 1949 को भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया,तब से भारतीय रिजर्व बैंक पर सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
केंद्रीय बैंक के रूप में इसके द्वारा सामान्य केंद्रीय बैंकिंग कार्य जैसे करेंसी नोटों का निर्गमन,सरकारी बैंकर,बैंकों के बैंक के रूप में कार्य, कृषि वित्त व्यवस्था, आंकड़ों का संकलन व प्रकाशन,साख नियंत्रण, संबंधी कार्य व विकास और प्रवर्तन संबंधी अनेक कार्य संपादित किए जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के जमाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 1962 में ‘जमा बीमा निगम’ की तथा बचतो को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 1964 में ‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया‘ की स्थापना की थी। इसी प्रकार अल्पकालीन व्यवस्था के लिए सहकारी समितियों की, दीर्घकालीन कृषि वित्त की व्यवस्था के लिए वर्ष 1963 में कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम की भी स्थापना की गई।
भारतीय रिजर्व बैंक का प्रबंधन
भारतीय रिजर्व बैंक का प्रबंधक संचालन 120 सदस्य बोर्ड द्वारा किया जाता है। जिसका चेयरमैन भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर होता है। प्रबंध संचालन मंडल में गवर्नर, 4 डिप्टी गवर्नर तथा डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति 5 वर्ष के लिए होती है। इनकी पुनः नियुक्ति की जा सकती है। 20 सदस्य संचालक मंडल इस प्रकार होते हैं:-
- 1 गवर्नर
- 4 डिप्टी गवर्नर
- 1 वित्त मंत्रालय के अधिकारियों में से
- 4 आरबीआई के स्थानीय मंडलों में से
- 10 केंद्र सरकार द्वारा अर्थशास्त्र, कृषि, उद्योग, वित्त क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्यालय मुंबई में है। इसके चार स्थानीय कार्यालय नई दिल्ली, कोलकाता, मद्रास तथा मुंबई में जबकि 17 क्षेत्रीय कार्यालय है।
Reserve Bank of India को भारतीय बैंकिंग की रीढ़ कहा जाता है।इसके पीछे एक ठोस वजह है, कि भारत में काम कर रहे हर बैंक के कामकाज पर भारतीय रिजर्व बैंक की कड़ी नजर रहती है। इतना ही नहीं यह इसकी कुशल देखरेख का ही नतीजा है, कि भारत में कभी किसी तरह का बैंकिंग संकट खड़ा नहीं हुआ। इसकी देखरेख में ही भारत में काफी बड़े पैमाने पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है। इसके अलावा रिजर्व बैंक प्रमुख वित्तीय संस्था होने के नाते देश में होने वाली वित्तीय हलचल के ऊपर भी अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखता है।