बेका(बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन फ़ॉर जियो स्पेशल कोऑपरेशन) समझौते से अब भारत-अमेरिका रक्षा क्षेत्र में बन गए हैं अहम साझेदार
भारत-अमेरिका के बीच तीसरी टू प्लस टू वार्ता के तहत अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो एवं भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच एक अहम समझौता हुआ है। दोनों देशों के बीच सहमति के बाद इस बेका नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र से जुड़े चार महत्वपूर्ण समझौतों की अंतिम कड़ी है।
क्या है टू प्लस टू वार्ता?
बेका समझौता क्या है?(What is BECA AGREEMENT)
- बेका भारत और अमेरिका के बीच होने वाले 4 मूलभूत समझो तो में से आखिरी है। इससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- पहला समझौता 2002 में किया गया था। जो सैन्य सूचना की सुरक्षा को लेकर था। इसके बाद दो समझौते 2016 और 2018 में हुए। जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार से जुड़े थे।
- ताजा समझौता भारत और अमेरिका के बीच भू-स्थानिक सहयोग है। इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग करना, रक्षा सूचना साझा करना, सैन्य बातचीत और रक्षा व्यापार के समझौते शामिल है।
- इस समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब है कि भारत को अमेरिका से सटीक भू-स्थानिक (जियो स्पेशल) डाटा मिलेगा। जिसका इस्तेमाल सैन्य कार्यवाही में बेहद कारगर साबित होगा।
- इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि अमेरिकी सेटेलाइट से जुताई गयी जानकारियां भारत को साझा की जा सकेगी। इसका रणनीतिक फायदा भारतीय मिसाइल सिस्टम को मिलेगा।
- इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में भी शामिल हो जाएगा,जिसके मिसाइल 1000 किलोमीटर तक की दूरी से भी निशाना साध सकेंगे।
- इसके अलावा भारत को अमेरिका से प्रिडेटर-बी जैसे सशस्त्र ड्रोन भी उपलब्ध होंगे। हथियारों से लैस ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों का पता लगा कर तबाह करने में सक्षम है।
बेका समझौते के बाद में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने आतंकवाद और विस्तारवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई है। आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के सामने अपनी बात सबसे जोरदार तरीके से रखने वाला भारत अब अमेरिका के साथ अहम समझौते कर रहा है। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड समूह में भारत भी अहम साझेदार है। भावी चुनौतियों और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को हमेशा से इन देशों का साथ मिलता रहा है।