पुष्कर:मेलाऔर महोत्सव(PUSHKAR MELA AND MAHOTSAVA)

 

पुष्कर:मेला/महोत्सव(Pushkar: Fair/Festival)



पुष्कर कहाँ स्थित हैं?(Where is Pushkar located?)

राजस्थान के अजमेर जिले में अजमेर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर ब्रह्मा की नगरी पुष्कर स्थित है।

 

पुष्कर मेला कब भरता है?

प्रतिवर्ष देव दिवाली अर्थात कार्तिक पूर्णिमा को विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला भरता है।इस मेले में राजस्थान की सुंदर संस्कृति के मनोहारी दर्शन होते है।इस मेले में देश विदेश से सैलानी दर्शन को आते है।




पुष्कर की महिमा

विश्व में एक ऐसा प्रांत है,जहा के शूरवीर शीश कटने के बाद भी रण – भूमि में शत्रूओं के सिर काटते चले जाते है। और जहा के सपूत गंगा जल से नहीं रक्त – स्नान करके सीधा स्वर्ग में प्रवेश करते है। इनकी वीरता, शौर्य, बलिदान औरवीरगीत को देख स्वयं देवतागण भी आश्चर्यचकित हो जाते है। और यही कारण है कि ब्रह्मदेव ने पुरे ब्रह्माण्ड में इस भूमि को पूजनीयता का मान और पवित्रता का प्रमाण दिया और वो है पुष्कर, जो राजस्थान में स्थित है। जिसे वीरो की सरजमीं कहा जाता है।

पुष्कर नगरी का इतिहास व संस्कृति(History and Culture of Pushkar City)

ऐसी मान्यता प्रसिद्ध है कि स्वयं ब्रह्मदेव ने इस भूमि पर पुष्कर कुंड पे आकर तप किया था और भगवान शिव से गंगा को इस पावन सरोवर में आने के लिए आगृह किया था।हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थानों में पुष्कर ही एक ऐसी जगह है,जहाँ ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है। पुरे पुष्कर में घर-घर में मंदिर है। इसलिए यहाँ नंगे पैर जाना ही उचित माना जाता है। ब्रह्मा के मंदिर के अतिरिक्त यहाँ सावित्री, बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर है, किंतु वे आधुनिक हैं। यहाँ के प्राचीन मंदिरों को मुगल सम्राट् औरंगजेब ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था। पुष्कर झील के तट पर जगह-जगह पक्के घाट बने हैं| जो राजपूताना के देशी राज्यों के धनीमानी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हैं। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को पुष्कर मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारोंहिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं।




पुष्कर का ऊँट मेला(Pushkar Camel Fair)

भारत में किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बडी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है। हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी पडी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या-क्या। ऊंट मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं। लेकिन कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है।




पुष्कर झील व विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर कहाँ पर है?

राजस्थान के अजमेर जिले में विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर व पुष्कर झील स्थित है

 पुष्कर के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल कौनसे है?(What are the famous places of interest in Pushkar?)

पुष्कर सरोवर

तीर्थराजके नाम से प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर, सभी तीर्थस्थलों का राजा कहलाता हैं। इस सरोवर में डुबकी लगाने पर तीर्थयात्रा सम्पन्न मानी जाती है, ऐसी मान्यता है। अर्द्ध गोलाकार रूप में लगभग 9-10 मीटर गहरी यह झील 500 से अधिक मंदिरों और 52 घाटों से घिरी हुई है।राजस्थान आने वाला प्रत्येक देशी व विदेशी पर्यटक, पुष्कर घूमने और ब्रह्माजी के दर्शन करने जरूर आता है।

 

ब्रह्मा मंदिर

पूरे विश्व का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर मेंस्थित है। संगमरमर से निर्मित, चाँदी के सिक्कों से जड़ा हुआ, लाल शिखर और हंस (ब्रह्मा जी का वाहन) की छवि, वाले मंदिर में ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी प्रतिभा, गर्भगृह में स्थापित है। इसी मंदिर में सूर्य भगवान की संगमरमर की मूर्ति, प्रहरी की भाँति खड़ी है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि सूर्य भगवान की मूर्ति जूते पहने दिखाई दे रही है।

 

गुरूद्वारा सिंह सभा

गुरूद्वारा सिंह सभा पुष्कर के पूर्वी भाग में स्थित हैयह 19वीं सदी की शुरूआत में पहले और दसवें गुरू – श्री गुरू नानक देव जी और श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की यात्रा की समृति में बनाया गया था|

वराह मंदिर

वराह मंदिर पुष्कर का एक प्राचीन मंदिर है। 12वीं शताब्दी के शासक राजा अन्नाजी चौहान द्वारा निर्मित यह मंदिर भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह को समर्पित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक राक्षस (हिरण्याक्ष) धरती को जल की गहराई में ले गया था। जहां से वराह ने उसे बचाया था। यह पुष्कर का एक जाना माना मंदिर है।

 सावित्री मंदिर

ब्रह्मा मंदिर के पीछे, ऊँची पहाड़ी पर सावित्री मंदिर है जो कि ब्रह्मा जी की पहली पत्नि थीं। मंदिर तक पहुँचने के लिए सुविधाजनक सीढ़िया बनी हुई हैं। ऊपर चढ़कर मंदिर से नीचे की ओर झील, मंदिर और रेत के टीलों का विहंगम दृश्य बेहद सुन्दर दिखाई पड़ता है। ऐसी किंवदंती है कि ब्रह्मा जी ने पुष्कर में अपना यज्ञ करने के लिए, गायत्री से दूसरा विवाहकिया था। इससे नाराज होकर पहली पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया, जिसके फलस्वरूप ही पूरे विश्व में, ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है – पुष्कर में। अब सावित्री मंदिर पर रोप-वेकी सुविधा उपलब्धहै

 रँग जी मंदिर

मूल रूप से दक्षिण भारतीय स्थापत्य शैली का यह मंदिर, थोड़ा बहुत राजपूत व मुगल शैली का भी मिश्रण है। भगवान रंग जी को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। हजारों तीर्थ यात्री तथा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है, यह मंदिर। पुराना रंग जी मंदिर (श्रीरंगनाथ वेणुगोपाल मंदिर) द्रविड़ शैली में निर्मित था। 

 पाप मोचिनी मंदिर

देवी एकादशी को समर्पित, ’पाप मोचिनी माता मंदिरके बारे में माना जाता है कि यहाँ आने वाले लोग अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं। पुष्कर के उत्तरी भाग में स्थित ये मंदिर पुष्कर के मुकुट में मोती के समान है। आध्यात्मिक महत्व के साथ इसकी स्थापत्य कला भी बेजोड़ है। पाप मोचिनी मंदिर राजस्थान में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।

 

  श्री पंचकुण्ड शिव मंदिर

पंचकुण्ड शिव मंदिर को पांच पांडवों द्वारा निर्मितमाना जाता है। शहर के पूर्वी किनारे पर स्थित यह मंदिर सरोवर से 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

  मान महल

आमेर (जयपुर) के महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा बनवायागया यह महल, पवित्र पुष्कर झील के पूर्वी भाग पर स्थित है। यह महल, राजस्थानी राजसी वास्तुकला से सुसज्जित है तथा यहाँ से किनारे पर सरोवर झील और चारों तरफ मंदिरों का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। वर्तमान में यह महल, राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अधीन है, जिसमें सरोवर नाम से होटल संचालित किया जा रहा है।

पुष्कर कैसे पहुंचे?(How to reach Pushkar?)

  • यहांँ से 146 किलोमीटर की दूरी पर जयुपर के सांगानेर में निकटतम एयरपोर्ट स्थित है।
  • पुष्कर राजस्थान के राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अजमेर बस स्टैण्ड से जयपुर, जोधपुर और अजमेर के प्रमुख शहरों से पुष्कर तक नियमित बसें हैं।
  • 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अजमेर रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है।  

 सब तीर्थों में श्रेष्ठता की मान्यता वाले इस पुष्कर में बद्रीनारायण, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम और द्वारकापुरी में स्नान करने के बाद भी स्नान करना आवश्यक माना गया है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि विश्वामित्र ने यही पर अपनी तपस्या की थी। और भगवान राम ने मध्य पुष्कर के निकट गया कुंड पर अपने पिता दशरथ जी का पिंड तर्पण किया था। यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने अपने निर्वाचित काल का कुछ समय पुष्कर में बिताया था। यह गायत्री देवी की जन्म स्थली है । अजमेर से लगभग 11 किलोमीटर दूर पुष्कर में यों तो 12 महीने तीर्थ यात्रियों की भीड़ लगी रहती है, किंतु कार्तिक महीने में यहां का दृश्य ही कुछ और होता है। 

 

 

 

 

 

 

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