आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ पलाश का पेड़ से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी साझा करने जा रहे है साथ ही पलाश वर्क्ष के फायदों को भी विष्टर से बताया गया है. यह भी पढ़े :- बसंत ऋतू
पलाश का पेड़
पलाश का पेड़ सम्पूर्ण भारत में पाया जाने वाला स्थानीय प्रजाति का वृक्ष है। इसे प ढाक, केसू, टेसू, राजस्थान में खांखरा आदि नामों से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है। पलाश का पेड़ मध्यम आकार का 10-12 मीटर तक का हो सकता है।
इसकी डाली पर तीन पत्ते ही होते हैं। इन पत्तों से प्राचीनकाल से ही पत्तल दोने बनाये जाते रहे हैं। यह पत्ते जानवरों के लिए चारे के रूप में भी काम लिए जाते हैं जिसे भैंस बड़े चाव से खाती है।
इसके केसरिया फूल बड़े मनमोहक होते हैं। फाल्गुन माह में इसके पत्ते झड़ने से पलाश पर केवल फूल ही फूल नजर आते हैं, जो बड़े आकर्षक लगते हैं। जंगल में ये फूल ऐसे लगते हैं जैसे आग लगी हो इसलिए इन्हें जंगल की आग भी कहते हैं। इन केसरिया फूलों से होली के परम्परागत रंग तैयार किये जाते हैं।
फूलों के बाद पलाश पर फली लगती है जिसे पापड़ी कहते हैं, जिसमें लाल रंग के गोल, पतले बीज होते हैं। पलाश का संस्कृत साहित्य में श्रृंगार रस में प्रचुरता से प्रयोग हुआ है। पलाश का पेड़ को ज्योतिष शास्त्र में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का प्रतीक माना गया है। नवग्रह में इसे चन्द्रमा का प्रतिनिधि वृक्ष और राशि के रूप में कर्क राशि को पलाश का पेड़ का मित्र वृक्ष माना गया है। यज्ञ समिधा के रूप में पलाश का पेड़ की लकड़ी काम में ली जाती है।
राजस्थान के मेवाड़ अंचल में पलाश का पेड़ बहुतायात में पाया जाता है। इसका पंचांग यथा जड़, तना, फूल, फल, बीज औषधीय प्रयोगों में काम में लिया जाता है। पलाश के पेड़ के बीजों को पीस कर, नींबू के रस में मिला कर त्वचा रोगों में काम लेते हैं। बीजों के पाउडर को खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। इसकी छाल प्रमेह, बवासीर आदि रोगों की दवा है। पलाश के पेड़ से गोंद भी निकलता है।
पलाश का पेड़ के औषधीय उपयोग
पलाश का पेड़, जिसे फ्लेम ऑफ द फॉरेस्ट या बुटिया मोनोस्पर्मा के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक पर्णपाती वृक्ष है। पलाश के पेड़ के विभिन्न भागों को उनके औषधीय गुणों के लिए पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया गया है। पलाश के कुछ औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं:
- रोगाणुरोधी गुण: पलाश के पेड़ की छाल और बीजों ने रोगाणुरोधी गुण दिखाए हैं और पारंपरिक रूप से संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाते रहे हैं।
- जलनरोधी गुण: पलाश के पेड़ की पत्तियों और फूलों में सूजनरोधी गुण होते हैं और इनका उपयोग सूजन और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।
- पाचन विकार: पलाश के पेड़ की छाल का उपयोग डायरिया और पेचिश जैसे पाचन विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
- श्वसन संबंधी समस्याएं: पलाश के पेड़ के फूलों का उपयोग खांसी और दमा जैसी सांस की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है।
- घाव भरने वाला: पलाश के पेड़ की छाल का पारंपरिक रूप से घावों को भरने के लिए उपयोग किया जाता रहा है।
- मधुमेह: पलाश के पेड़ की पत्तियों का उपयोग मधुमेह और निम्न रक्त शर्करा के स्तर के इलाज के लिए किया जाता है।
- त्वचा की समस्याएं: पलाश के पेड़ की पत्तियों और फूलों का उपयोग त्वचा की समस्याओं जैसे एक्जिमा और मुंहासों के इलाज के लिए किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जहां सदियों से पलाश का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है, वहीं इसके औषधीय गुणों और प्रभावशीलता की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान अभी भी जारी है। औषधीय प्रयोजनों के लिए किसी भी प्राकृतिक उपचार का उपयोग करने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना हमेशा उचित होता है।
पलाश का पौधा कहां मिलता है?
पलाश का पौधा (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) एक देशी वृक्ष प्रजाति है जो भारत, नेपाल और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
पलाश का अर्थ
पलाश एक हिंदी शब्द है जो वैज्ञानिक रूप से ब्यूटिया मोनोस्पर्मा नामक पेड़ की प्रजाति को संदर्भित करता है। पलाश नाम संस्कृत शब्द “पलाशा” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पत्तेदार” या “हरियाली”। पेड़ को आमतौर पर जंगल की लौ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह वसंत के मौसम में नारंगी-लाल फूलों को धारण करता है, जो एक उग्र लौ जैसा दिखता है। भारतीय संस्कृति में, पलाश का अत्यधिक महत्व है और अक्सर इसे भगवान शिव और होली के त्योहार के उत्सव से जोड़ा जाता है।
पलाश के वृक्ष का दूसरा नाम
पलाश के वृक्ष का दूसरा नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है.
पलाश का पेड़ के प्रकार
पलाश की केवल एक ज्ञात प्रजाति है, जो बुटिया मोनोस्पर्मा है। हालाँकि, पेड़ को इसकी वितरण सीमा में कई अलग-अलग सामान्य नामों से जाना जाता है, जैसे कि जंगल की लौ, ढाक, टेसू और तोता का पेड़।
जबकि पलाश का पेड़ की कोई ज्ञात किस्में या उप-प्रजातियां नहीं हैं, कुछ ऐसी किस्में उपलब्ध हैं जिन्हें चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से विकसित किया गया है। ये किस्में अक्सर अपने फूलों के रंग, आकार और आकार में भिन्न होती हैं, लेकिन उन्हें अलग प्रजाति या पलाश का पेड़ के प्रकार नहीं माना जाता है। इसके बजाय, उन्हें एक ही प्रजाति के विभिन्न रूपों के रूप में माना जाता है।
निष्कर्ष:
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने पलाश के पेड़ से सम्बन्धित सभी जानकारी साझा की है साथ ही पलाश का पेड़ के सभी फायदों को विष्टर से बताया गया है, हमे आशा है आपकी खोज इस पोस्ट को पढने के बाद पूर्ण हो गयी होगी.
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