न्यूटन के गति के तीनो नियम एवं उसके उदाहरण। महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।(Newton’s law of motion)
गति किसे कहते हैं?(What is motion?)
जब कोई वस्तु किसी अन्य वस्तु के सापेक्ष अपनी स्थिति अथवा स्थान में समय के साथ परिवर्तन करती है, तब उस वस्तु को गति की अवस्था में कहा जाता है और यह साबित परिवर्तन गति(motion) कहलाता है।
गति कितने प्रकार की होती है?
यदि समय के साथ वस्तु की स्थिति में परिवर्तन नहीं होता है तो उसे विराम अवस्था में कहा जाता है। गति मुख्यतः दो प्रकार की होती है- रैखिक अथवा स्थानांतरिय गति तथा घूर्णन गति।
रेखीय गति में वस्तु सीधी रेखा में चलती है जब की घूर्णन गति में वस्तु अपने अक्ष के परितः वृत्ताकार पथ पर चलती है।
न्यूटन के गति संबंधी नियम क्या है?
सर आइज़क न्यूटन ने 1679 में गति संबंधी तीन नियम दिए थे। ये नियम निम्न प्रकार है:-
न्यूटन के गति के तीनो नियम लिखिए(Newton ke gati ke niyam likhiye)
न्यूटन का गति का पहला नियम(newton ke gati ka pratham niyam)
प्रत्येक वस्तु तब तक अपनी विराम अवस्था अथवा समरूप गति की अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्य न करें। न्यूटन के गति संबंधी इस प्रथम नियम को महान वैज्ञानिक गैलीलियो के सम्मान में गैलीलियो का जड़त्व का नियम भी कहा जाता है। जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण होता है जो उसकी स्थिति में परिवर्तन का विरोध करता है। अधिक द्रव्यमान वाले वस्तुओं का जड़त्व भी अधिक होता है। जड़त्व अथवा गति के प्रथम नियम के अनेक उदाहरण हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार है:-
उदाहरण 1. जब कोई गाड़ी रुकने के बाद अचानक चलना शुरु करती है, तो सवार व्यक्ति आगे की और क्यों झुक जाता है?
जब कोई गाड़ी रुकने के बाद एकाएक चलना शुरु करती है तो सवार व्यक्ति के पैरों और फर्श के बीच घर्षण के कारण पैर भी चलना शुरू कर देते हैं, जबकि उसके शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण विराम की अवस्था में बना रहता है। इस कारण वह गति की विपरीत दिशा में झुक जाता है। ठीक इसके विपरीत होता है जब किसी चलती हुई बस को ब्रेक लगाकर एकाएक रोका जाता है। इस स्थिति में सवार व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है। जड़त्व के प्रभाव को किसी वस्तु की गति की दिशा में परिवर्तन के रूप में भी देखा जा सकता है। यदि चलती हुई गाड़ी जब अधिक मोड़ लेती है तो उसकी गति की दिशा बदलती है, किंतु सवार व्यक्ति पहली दिशा में ही गति करता रहता है। फलस्वरुप मुड़ती हुई बस में गिर जाता है।
उदाहरण 2. डंडे मारने पर कोट की धूल क्यों झड़ जाती है?
डंडे के प्रहार द्वारा कोट की धूल झाड़ी जाती है। जैसे ही हम डंडे से कोट पर प्रहार करते हैं वैसे ही कोट तो गतिमान हो जाता है, किंतु धूल कण जड़त्व के कारण विराम अवस्था में रहते हैं और गुरुत्व बल के अधीन नीचे गिर जाते है। इस प्रकार धूल कण कोट से अलग होते हैं।
उदाहरण 3. कांच की खिड़की पर फेंका गया पत्थर का टुकड़ा कांच को चकनाचूर कर देता है, जबकि पत्थर से दागी गई गोली कांच में सिर्फ छेद बनाकर दूसरी और निकल जाती है, ऐसा क्यों?
कांच की खिड़की पर फेंका गया पत्थर का टुकड़ा कांच को चकनाचूर कर देता है, जबकि बंदूक से दागी गोली कांच में सिर्फ छेद बना कर दूसरी और निकल जाती है। वस्तुतः कांच के जिस भाग पर गोली अति उच्च वेग से आघात करती है वही भाग गोली के वेग का साझीदार होता है,जबकि कांच का शेष भाग जड़त्व के कारण विराम अवस्था में रहता है और इसलिए काँच चकनाचूर नहीं होता। इसके विपरीत पत्थर का टुकड़ा कांच को अपेक्षाकृत बहुत कम वेग से आघात करता है और इसलिए काँच से होकर पत्थर के पार करने के पहले आघात स्थान के चारों ओर के कांच को भी टुकड़े के वेग का साझीदार होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है, फलस्वरूप काँच चकनाचूर हो जाता है।
उदाहरण 4. चलती बस से बाहर कूदते ही व्यक्ति बस की गति की दिशा में गिर पड़ता है, क्यों?
चलती बस से बाहर खुद से ही व्यक्ति बस की गति की दिशा में गिर पड़ता है। क्योंकि बस के साथ उसमें सवार व्यक्ति गति की अवस्था में रहता है। जब वह बस से बाहर कूदता है तो उसके पैर जमीन पर घर्षण के कारण विराम अवस्था में आ जाते हैं, किंतु उसके शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण गति में बना रहता है, परिणामस्वरुप वह बस की गति की दिशा में गिर पड़ता है, और जख्मी हो सकता है।अतः गिरने से बचने के लिए व्यक्ति को बस की गति की दिशा में कुछ दूरी तक दौड़ कर धीरे-धीरे अपनी गति खत्म करनी होती है।
न्यूटन का गति का दूसरा नियम(newton ke gati ka dwitiya niyam)
किसी वस्तु के द्रव्यमान(m) तथा वेग(v) के गुणनफल को संवेग(momentum) कहा जाता है। न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार, किसी वस्तु के संवेग की परिवर्तन दर उस वस्तु पर लगाए गए बल के समानुपाती होती है और बल की दिशा में ही कार्य करती है। अर्थात बल,f=ma, जहां a वस्तु का त्वरण है। दैनिक जीवन के कुछ अनुभव में हम न्यूटन की गति के द्वितीय नियम को देखते हैं। कई परिस्थितियों में हम संवेग परिवर्तन के समय को घटा या बढ़ा कर संवेग परिवर्तन की दर को बढ़ाने या घटाने का प्रयत्न करते हैं। इस नियम से संबंधित कुछ प्रचलित उदाहरण इस प्रकार है:-
उदाहरण 1. कराटे का खिलाड़ी एक ही झटके में बर्फ की सिल्ली को या टाइलों की ढेरी को तोड़ देता है, कैसे?
कराटे का खिलाड़ी एक ही झटके में बर्फ की सिल्ली को या टाइलों की ढेरी को तोड़ देता है। वह अधिकतम संभव तीव्रता से सिल्ली या ढेरी पर चोट करता है जिससे उसके हाथ का संवेग बहुत ही कम समय में शून्य हो जाता है। परिणामस्वरूप टाइलों की ढेरी या बर्फ की सिल्ली पर लगने वाला बल इतना अधिक होता है कि वह ढेरि या सिल्ली को तोड़ देता है। इसके विपरीत ऊंची कूद लगाने वाले खिलाड़ी या कुश्ती के दौरान पहलवान अपने नीचे गिरने के समय को बढ़ाने का प्रयत्न करता है। वह इस तरह संवेग परिवर्तन की दर को घटाता है, जिससे गिरने के कारण उसके शरीर पर प्रतिक्रिया का बल अर्थात प्रतिघात कम करने में सहायता मिलती है।
उदाहरण 2. क्रिकेट खिलाड़ी कैच लेते समय अपने हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है, क्यों?
क्रिकेट खिलाड़ी कैच लेते समय अपने हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है, क्योंकि जब खिलाड़ी कैच लेता है तो बॉल हाथ पर धक्का मारता है, और तब उसका संवेग शून्य हो जाता है। अंगुलियों के बीच बॉल आते ही हाथों को वह यदि पीछे हटाता है तो बल के कार्य करने का समय अंतराल बढ़ जाता है और इसलिए हाथ पर छोटा बल कार्य करता है जिसे वह सहन कर लेता है। यदि वह बॉल को शीघ्र रोके तो हाथों पर बड़ा बल कार्य करेगा जिससे हाथों को काफी चोट लग सकती है। यहां बल के कार्य करने के समय में परिवर्तन होने के कारण बल बदलता है।
न्यूटन का गति का तृतीय नियम(newton ke gati ka tritiya niyam)
न्यूटन के तृतीय नियम के अनुसार यदि 2 वस्तुएं परस्पर अन्योन्य क्रिया करती है, तो पहली वस्तु द्वारा दूसरी वस्तु पर लगाया गया बल दूसरी वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाये गये बल के समान और विपरीत दिशा में होता है। दूसरे शब्दों में, किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके बराबर परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। इस तरह क्रिया और प्रतिक्रिया बल सदैव दो भिन्न-भिन्न वस्तुओ पर कार्य करते है। स्पष्ट है कि क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों एक ही वस्तु पर कार्य करते तो परिणामी बल शून्य होता और वस्तु में त्वरण उत्पन्न नहीं होता। न्यूटन के तीसरे नियम के दैनिक जीवन में अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। जो निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1. बंदूक चलाने पर वह पीछे की और झटका क्यों मारती है?
बंदूक द्वारा गोली दागने पर, गोली और बंदूक पर बराबर और विपरीत बल लगता है। इस प्रकार, क्रिया के कारण गोली आगे की दिशा में गमन करती है तथा समान और विपरीत प्रतिक्रिया के फलस्वरुप बंदूक पीछे की ओर हटती है तथा झटका लगता है।
उदाहरण 2. भीगे चिकने फर्श पर हमें चलने में कठिनाई होती है, क्यों?
जब हम जमीन पर टहलते हैं,तो हम अपने पैरों के द्वारा जमीन पर तिरछा धक्का देते अर्थात जमीन पर तिरछा क्रिया बल लगाते हैं। फलस्वरुप जमीन हमारे पैरों पर बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया बल लगाती है। जिससे हमें चलने के लिए आवश्यक बल प्राप्त होता है।पैर और जमीन के बीच घर्षण के कारण हम जमीन पर प्रतिक्रिया बल लगा पाते हैं, इसी कारण बरसात में किसी हरी काई युक्त सड़क पर अथवा भीगे चिकने फर्श पर हमे चलने में कठिनाई होती है, क्योंकि तब घर्षण बल बहुत कम हो जाता है।