Why Is ‘डिजिटल’ So Popular? डिजिटल इंडिया से भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था।Digital India and 5 Trillion Dollar Economy of India।

डिजिटल इंडिया से भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था।Digital India and 5 Trillion Dollar Economy of India।

डिजिटल इंडिया से भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था।Digital India and 5 Trillion Dollar Economy of India।
डिजिटल इंडिया

डिजिटल उपभोक्ताओं की संख्या की दृष्टि से भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और इसकी विकास दर भी विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर के लिहाज से दूसरी सर्वाधिक तेज है। हमारे समावेशी डिजिटल मॉडल में डिजिटल अंतराल लगातार कम हो रहा है और टेक्नोलॉजी का फायदा समाज के सभी वर्गों को मिलने लगा है ।

अब तक सूचना टेक्नोलॉजी की भूमिका विकास में प्रमुख रही है। यह उद्योग अपने $150 अरब के कारोबार का 80% निर्यात कर रहा है।लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि सूचना टेक्नोलॉजी के राजस्व का 50% से अधिक अमेरिका से आता है। इसलिए अमेरिका की मौजूदा नीतियों की पृष्ठभूमि में भविष्य बड़ा चुनौतीपूर्ण होने वाला है।

इस क्षेत्र को इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी और इनके अनुप्रयोग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के विकास की आवश्यकता है। सेवा के नए उभरते अन्य क्षेत्रों में यात्रा और पर्यटन, स्वास्थ्य और पेशेवर सेवाएं शामिल है। बुनियादी ढांचा, शिक्षा और आवश्यक सेवाओं को बेहतर तरीके से प्रदान करने से भी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

डिजिटल इंडिया और 5 ट्रिलियन डॉलर के अवसर।

डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई,2015 को की थी।डिजिटल आधारभूत ढांचे और डिजिटल इंडिया पहल के जरिए विस्तारित डिजिटल पहुंच की मजबूत बुनियाद से आज भारत विकास के नए दौर में पहुंचने को है। यह दौर जबर्दस्त आर्थिक लागत के सृजन और नए डिजिटल अनुप्रयोगों की एक के बाद दूसरे क्षेत्र में पहुंचने से नागरिकों के सशक्तिकरण का दौर होगा।

2025 तक भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था से एक ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक लागत का सृजन कर सकता है। जो इस समय सृजित होने वाली 200 अरब की लागत के अतिरिक्त होगी। डिजिटल उपभोक्ताओं की संख्या की दृष्टि से भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। हमारे समावेशी डिजिटल मॉडल में डिजिटल अंतराल लगातार कम हो रहा है और टेक्नोलॉजी का फायदा समाज के सभी वर्गों को मिलने लगा है। 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक मूल्य का सृजन क्षमता का आधा वित्तीय सेवाओं,कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, लॉजिस्टिक व परिवहन रोजगार तथा कौशल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नई डिजिटल पारिस्थितिकी से प्राप्त हो सकता है।

इतना निसंदेह कहा जा सकता है, कि हमारे नीति निर्माता इसे कितनी जल्दी नीतिगत प्रोत्साहन दे पाते हैं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण का लक्ष्य कितनी तेजी से प्राप्त कर पाते हैं।प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया का जो सपना देखा है उसके अनुसार भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और दुनिया के लिए सुशासन की एक मिसाल बन जाएगा।

प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया के लिए जो परिकल्पना की है वह ऐसे भारत की है, जो:-

  • गरीबी से मुक्त और खुशहाली से भरपूर हो।
  • भेदभाव से मुक्त और क्षमता से ओतप्रोत हो।
  • अन्याय से मुक्त और न्याय से परिपूर्ण हो।
  • गंदगी से मुक्त और स्वच्छता से आवृत हो।
  • भ्रष्टाचार से मुक्त और पारदर्शिता से पूर्ण हो।
  • बेरोजगारी से मुक्त और रोजगार से समृद्ध हो।
  • महिलाओं पर अत्याचार से मुक्त और उनके लिए सम्मान की भावना से भरा हो, और
  • निराशा से मुक्त और आशाओं से परिपूर्ण हो।

भारत में आमूल परिवर्तन लाने के बारे में ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया की उनकी परिकल्पना देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को प्रभावित करने वाली और भारत को दुनिया की तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने की है।यह बात अत्यंत आवश्यक है, कि एक ऐसे ढांचे पर कार्य किया जाए जो कारोबारी सुविधाएं उपलब्ध कराएं और जिसमें पूर्वानुमान लगाया जा सके। आज समय आ गया है जब देश की ऊर्जा को ऐसा माहौल उपलब्ध कराने में लगाया जाए, जिसमें निजी क्षेत्र के निवेश और नवाचार को बढ़ावा मिले।

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल।

प्रधानमंत्री ने साल 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 5 लाख करोड डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में जरूरी कौशल से लैस श्रम की आवश्यकता होगी। कौशल युक्त श्रम के जरिए विकास दर की रफ्तार तेज की जाएगी। कामकाजी आबादी की उम्र के मामले में भारत की स्थिति उसके बाकी प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले बेहतर है।देश की आधी आबादी 25 साल से कम की है। भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी है।
अतः आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवा आबादी को फायदे में तब्दील करने की है।ऐसा करने के विभिन्न तरीके हैं।पहला- माध्यम शिक्षा है। सभी के लिए शिक्षा जरूरी है।इसके तहत उच्च शिक्षा का विस्तार और ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्राओं को आर्किटेक्चर, कानून, मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य खास कोर्स में दाखिला दिलवाया जा सकता है।दूसरा- शुरुआती स्तर पर रोजगार के लिए कौशल विकास है।
इसके तहत वैसे लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है जो पढ़ाई कर रहे हैं या पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। तीसरी चीज- कौशल में बढ़ोतरी है। वैसे लोगों को नए कौशल से लैस करना और उनका कौशल बेहतर करना जो शिक्षित है, काम कर रहे हैं या काम कर चुके हैं और नए कौशल के अभाव में फिलहाल रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में आगामी दशक में कामकाजी आयु समूह के दायरे में 97 लाख लोग होंगे और 2030 तक इस में सालाना 42 लाख की बढ़ोतरी होगी। भारत को विकासशील देशों की सूची से बाहर निकालकर विकसित राष्ट्र बनाने में एक ताकतवर ज्ञान आधारित समाज एवं अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए उच्च शिक्षा में व्याप्त असमानता को दूर करना होगा।क्योंकि शिक्षा और अंततः ज्ञान तक पहुंच ही ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था तथा दुनिया के ज्ञान केंद्र के रूप में भारत के भविष्य की कुंजी है।

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