ज्वालामुखी एवं उसके प्रकार।Volcano and its types in Hindi।
VOLCANO |
ज्वालामुखी क्या होता है?(What is Volcano?)
VOLCANO भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी का पिघला पदार्थ लावा, राख, भाप तथा अन्य गैसे बाहर निकलती है।बाहर हवा में उड़ा हुआ लावा शीघ्र ही ठंडा होकर छोटे ठोस टुकड़ों में बदल जाता है जिसे सिंडर कहते हैं। उदगार में निकलने वाली गैसों में वाष्प का प्रतिशत सर्वाधिक होता है।
ज्वालामुखी कितने प्रकार के होते है?(Types of Volcano)
उदगार अवधि अनुसार VOLCANO तीन प्रकार के होते हैं:- 1.सक्रिय ज्वालामुखी, 2.प्रसुप्त ज्वालामुखी और 3.मृत या शांत ज्वालामुखी।
1.सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano)
इसमें अक्सर उद्गार होता है। वर्तमान समय में विश्व में सक्रिय ज्वालामुखीओं की संख्या लगभग 500 है।इनमें सबसे प्रमुख है- इटली का एटना तथा स्ट्रांबोली ज्वालामुखी।
इसमें अक्सर उद्गार होता है। वर्तमान समय में विश्व में सक्रिय ज्वालामुखीओं की संख्या लगभग 500 है।इनमें सबसे प्रमुख है- इटली का एटना तथा स्ट्रांबोली ज्वालामुखी।
Stromboli ज्वालामुखी भूमध्य सागर में सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर अवस्थित है। इसमें सदा प्रज्वलित गैस निकला करती है,जिस कारण आसपास का भाग प्रकाशित रहता है।इस कारण इस ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ भी कहते हैं।
2.प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano)
ऐसा ज्वालामुखी जिसमें निकट अतीत में उद्गार नहीं हुआ है लेकिन इसमें कभी भी उद्गार हो सकता है। इसके उदाहरण है- विसुवियस (भूमध्य सागर), क्राकाटोवा(सुंडा जलडमरूमध्य),फ्यूजीयामा (जापान), मेयन(फिलिपींस)।
ऐसा ज्वालामुखी जिसमें निकट अतीत में उद्गार नहीं हुआ है लेकिन इसमें कभी भी उद्गार हो सकता है। इसके उदाहरण है- विसुवियस (भूमध्य सागर), क्राकाटोवा(सुंडा जलडमरूमध्य),फ्यूजीयामा (जापान), मेयन(फिलिपींस)।
3.शांत ज्वालामुखी (Extinct Volcano)
वह ज्वालामुखी जिसमें ऐतिहासिक काल से कोई उद्गार नहीं हुआ है और जिसमें पुनः उद्गार होने की संभावना नहीं हो, ऐसे ज्वालामुखी को शांत ज्वालामुखी कहा जाता है। इसके उदाहरण है- कोह सुल्तान एवं देमवन्द(ईरान),पोपा (बर्मा), किलिमंजारो(अफ्रीका), चिम्बराजो (दक्षिण अमेरिका)।
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VOLCANO से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य।
- कुल सक्रिय VOLCANO का अधिकांश भाग प्रशांत महासागर के तटीय भाग में पाया जाता है।
- प्रशांत महासागर के परीमेखला को अग्नि वलय (fire ring of the Pacific) भी कहते हैं।
- सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी अमेरिका एवं एशिया महाद्वीप के तटों पर स्थित है।
- ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में एक भी ज्वालामुखी नहीं है।
- गैसर(Geyser):- बहुत से ज्वालामुखी क्षेत्रों में उद्गार के समय दरारों तथा सूराखो से होकर जल तथा वाष्प कुछ अधिक ऊंचाई तक निकलने लगते हैं,इसे ही गैसर कहा जाता है।जैसे- ओल्ड फेथफूल गेसर, यह USA के येलो स्टोन पार्क में है। इसमें प्रत्येक मिनट उद्गार होता रहता है।
- विश्व का सबसे ऊंचा VOLCANO पर्वत कोटोपैक्सी (इक्वाडोर) में है, इसकी ऊंचाई 19613 फीट है।
- विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित सक्रिय VOLCANO ओजस डेल सैलेडो (6885 मीटर) एंडीज पर्वतमाला में अर्जेंटीना-चिली देश की सीमा पर स्थित है।
- विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित ज्वालामुखी एकांकगुआ- एंडीज पर्वतमाला पर ही स्थित है। जिसकी ऊंचाई 6960 मीटर है।
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भारत कई सक्रिय और सुप्त ज्वालामुखियों का घर है, हालांकि उनमें से कोई भी ऐतिहासिक समय में नहीं फूटा है। भारत के कुछ प्रसिद्ध ज्वालामुखियों में शामिल हैं:
- बेरन द्वीप: यह अंडमान सागर में स्थित है, और यह भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। यह आखिरी बार 2017 में फटा था, और इसके पिछले विस्फोट 2005 और 1991 में हुए थे।
- नारकोंडम: यह अंडमान सागर में स्थित एक छोटा ज्वालामुखी द्वीप है, और यह लंबे समय से सुप्त अवस्था में है।
- डेक्कन ट्रैप: यह पश्चिम-मध्य भारत में स्थित एक बड़ा आग्नेय प्रांत है, और माना जाता है कि इसका निर्माण लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ था। यह पृथ्वी पर सबसे बड़ी ज्वालामुखीय विशेषताओं में से एक है।
- धिनोधर पहाड़ियाँ: यह गुजरात में स्थित है, और यह एक विलुप्त ज्वालामुखी है जो लगभग 30 मिलियन वर्ष पहले फटा था। यह पर्यटकों और ट्रेकर्स के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है।
- पाली हिल्स: यह मुंबई में स्थित है, और यह एक विलुप्त ज्वालामुखी है जो लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले फटा था। यह अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और निर्माण सामग्री का एक स्रोत है।