जयपुर बनेगा लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड।LEOPARD CAPITAL OF THE WORLD JAIPUR।
जयपुर शहर के पूर्व और उत्तर में अरावली पर्वत श्रंखला है। यहां झालाना, आमागढ़ और नाहरगढ़ जैसे वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र है। ये जंगल जयपुर के 88.54 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन जंगलों में करीब 85 लेपर्ड विचरण करते हैं। पिछले कुछ समय में झालाना ने दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों के बीच एक अलग पहचान बनाई है। पिछले 3 सालों में जयपुर लेपर्ड संरक्षण के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। इनकी संख्या में इन प्रयासों की वजह से अच्छी बढ़ोतरी हुई है।
झालाना लेपर्ड रिजर्व में वर्ष 2018 में जहां सिर्फ 20 लेपर्ड थे,वहीं इनकी संख्या वर्तमान में बढ़कर 44 पहुंच गई है। इन क्षेत्रों में मृदा जल संरक्षण, ग्रास लैंड विकास, वृक्षारोपण, वाटर पॉइंट्स निर्माण जैसे कार्यों से यह परिणाम सामने आए हैं। आमागढ़ के विकास से इस कार्य में तेजी आएगी और जयपुर की बघेरो की वजह से प्रसिद्धि बढ़ेगी।
पिछले 3 सालों में इको टूरिज्म की तरफ Tourist का रुझान बढा है। वर्ष 2017-18 में जहां 15479 पर्यटक झालाना में सफारी के लिए आए थे, वहीं वर्ष 2021-22 में 25278 पर्यटक झालाना में सफारी का आनंद उठा चुके हैं। आमागढ़ में सफारी विकसित होने पर इस संख्या में और तेजी से इजाफा होगा और राजस्थान का नाम पर्यटन के क्षेत्र में और बढ़ेगा।
क्यों खास होता है लेपर्ड?
Leopard जिसे हिंदी भाषा में तेंदुआ भी कहा जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप में बाघ, शेर और स्नो लेपर्ड के बाद पाया जाने वाला चौथा सबसे बड़ा बिलाव है। तेंदुआ अपने आपको परिस्थितियों के अनुसार ढालने की क्षमता रखता है, और इसी वजह से पहाड़ी से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक पाया जाता है। पेड़ों पर चढ़ने की अपनी क्षमता के कारण यह बाघ और शेरों के क्षेत्रों में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। यह एक अवसरवादी शिकारी है। जो पक्षियों से लेकर हिरणों तक का शिकार आसानी से कर लेता है।
जयपुर में झालाना लेपर्ड सफारी के बाद दूसरी लेपर्ड सफारी के रूप में आमागढ़ का शुभारंभ किया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 22 मई 2022 को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व का लोकार्पण किया है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व वन्य जीव संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। जयपुर देश का अकेला ऐसा शहर है जहां दो लेपर्ड सफारी है- आवागढ़ लेपर्ड रिजर्व और झालाना लेपर्ड रिजर्व। अरावली पर्वत श्रंखलाओ पर स्थित आरक्षित इस वन खंड में आमागढ़ 1524 हेक्टेयर में फैला हुआ वन क्षेत्र है। यह सफारी प्रदेश के पहले लेपर्ड रिजर्व झालाना व नाहरगढ़ अभ्यारण के मध्य स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बीच में स्थित होने के कारण यह वन क्षेत्र वन्य जीव संरक्षण एवं कॉरिडोर विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आमागढ़ से लगते हुए ही आरक्षित वन लाल बेरी 112 हेक्टर क्षेत्र में स्थित है। लेपर्ड यहां का प्रमुख वन्य जीव है।
आमागढ़ में लेपर्ड के साथ साथ और कौन से वन्यजीव और वनस्पतियां पाई जाती है?
इस वन क्षेत्र में लेपर्ड के साथ ही अन्य वन्य जीव भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिनमें मुख्यत: हायना, जैकाल, जंगली बिल्ली, लोमड़ी व सीवेट कैट है। शाकाहारी वन्य प्राणियों में सांभर, नीलगाय, खरगोश आदि वन्य प्राणी है।यह क्षेत्र एक उष्णकटिबंधीय मिश्रित पतझड़ मानसूनी वन क्षेत्र है। यहां मुख्यतः रेतीले प्लेन एरिया में टोटलिस, कुमठा, खेजड़ी पहाड़ी की ढलान धौक, सालर, गोया खैर आदि वनस्पतियां मौजूद है।
पक्षियों में स्थानीय व प्रवासी पक्षी सहित करीब 250 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। मोर, तीतर,डव,बैवलर, मैंना, पैराकीट, रोबिन, वुडपैकर, बुलबुल, शिकरा आदि स्थानीय पक्षी है पेठा पैराडाइज फ्लाई कैचर गोल्डन ओरियल पाइड कुक्कू यूरेशियन कुक्कू यूरेशियन रोलर ओरिएंटल पैलेस को पावर 200 पुरोहित आदि प्रवासी पक्षी है जो देश-विदेश के विभिन्न कोनों से प्रजनन व भोजन की तलाश में जयपुर आते हैं।
आमागढ़ लेपर्ड सफारी
आमागढ़ क्षेत्र में सफारी का आयोजन सुबह और शाम दो पारियों में किया जाता है। पर्यटन को व्यवस्थित करने के लिए प्रत्येक पारी में सीमित संख्या में वाहनों के प्रवेश की अनुमति दी जाती है। पर्यटकों की सुविधा के लिए सफारी टिकट ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं और बुकिंग वेबसाइट https://sso.rajasthan.gov.in/signinपर की जा सकती है। आमागढ़ सफारी के लिए टिकट खिड़की और प्रवेश द्वार प्रसिद्ध गलता मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर सिसोदिया रानी बाग के ठीक आगे स्थित है।
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