गौड़वाड़ के जैन मंदिर।Jain temples of Gaudwad।

गौड़वाड़ के जैन मंदिर।Jain temples of Gaud wad।

गौड़वाड़ के जैन मंदिर।Jain temples of Gaudwad।
जैन मंदिर


पाली जिले का गौड़वाड़ अंचल
अपनी विशिष्ट बोली,पहनावे एवं खान-पान के साथ-साथ मेहमान नवाजी के लिए जग प्रसिद्ध है। मारवाड़-मेवाड़ के बीच अरावली की उपजाऊ तलहटी में बसा गौड़वाड़ अपने प्राचीन जैन मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

क्षेत्र के व्यापारी वर्ग ने सदियों पहले जैन धर्म को अपनाया। जो वक्त के साथ फला-फूला।क्षेत्र के धनी व्यापारी वर्ग द्वारा 14 वी से 16वीं शताब्दी के मध्य क्षेत्र में अनेक जैन मंदिरों का निर्माण करवाया गया। जो जैन तीर्थंकर महावीर, पार्श्वनाथ, ऋषभदेव इत्यादि को समर्पित है।

36 कोम की आस्था के केंद्र होने के साथ-साथ अपनी अद्भुत कारीगरी एवं स्थापत्य कला के कारण विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक सफेद संगमरमर में निर्मित कला के इन अनुपम उदाहरणों को निहारने प्रतिवर्ष आते हैं।

गौड़वाड़ पाली के प्रमुख जैन मंदिर।Major Jain temples of Gaudwad Pali In Hindi।

1.रणकपुर जैन मंदिर।Ranakpur Jain Temple।Trilok Deepak।Vano ka stambh।

पाली जिले की देसूरी तहसील में स्थित रणकपुर का जैन मंदिर प्रसिद्ध श्वेतांबर जैन मंदिर है, जो शिल्प एवं अपनी विशालता की दृष्टि से आदित्य है। यह मंदिर माद्री पर्वत की छाया में महाराणा कुंभा के शासनकाल में उनके मंत्री धरणक शाह द्वारा उस काल के प्रसिद्ध शिल्पी देपाक की देखरेख में 1439 ईसवी में बनवाया गया था।

रणकपुर का चौमुखा मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण ‘नलिनिगुल्मदेवविमान‘ शैली में किया गया है।

रणकपुर का जैन मंदिर अपने 1444 कलात्मक खंभों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया गया है कि किसी भी कोण से खड़े होने पर भगवान के दर्शन में कोई स्तंभ आड़े नहीं आता। मूल गर्भ ग्रह में विराजमान भगवान आदिनाथ की प्रतिमा लगभग 5 फीट ऊंची है एवं ऐसी चार प्रतिमाएं चारों दिशाओं में स्थापित की गई है।

संभवत इसी प्रकार से इस मंदिर का एक उपनाम ‘चतुर्मुख जिन प्रासाद’ भी है। रणकपुर जैन मंदिर को ‘स्तंभों का वन’ भी कहा जाता है। इस मंदिर को महाकवि माघ ने ‘त्रिलोक दीपक’ कहा है।

2.नारलाई के जैन मंदिर।Narlai Jain Temples।

पाली जिले में स्थित नारलाई कस्बे के जैन मंदिर अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।नारलाई के जैन मंदिर में गिरनार तीर्थ प्रमुख है।जिसमें भगवान नेमिनाथ की श्याम वर्ण प्रतिमा दर्शनीय है।यही पास में सहसावन तीर्थ भी है जहां नेमी-राजुल के पद चिन्ह और भंवर गुफा प्रसिद्ध है।

3.सांडेराव का शांतिनाथ जिनालय।Shantinath Jinalaya Sanderao।

भगवान शांतिनाथ को समर्पित लगभग 1000 वर्ष पुराना जैन मंदिर है। इसका निर्माण गंधर्व सेन द्वारा करवाया गया था।

4.वरकाणा जैन मंदिर।Varkana Jain Temple।

रानी के निकट बरकाना गांव में भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित प्रसिद्ध बरकाना जैन मंदिर है जोकि गौड़वाड़ के पंच तीर्थों में से एक है।

5.मुछाला महावीर मंदिर।Muchhala Mahavir Mandir।

महाराणा कुंभा के शासनकाल में सफेद संगमरमर से निर्मित मुछाला महावीर जी मंदिर भगवान महावीर स्वामी को समर्पित है। वर्तमान में कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण क्षेत्र में यह मंदिर आता है, जो कि अपनी कलात्मक एवं नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

भगवान महावीर की मूंछों से जुड़ी लोक कथा के कारण इस स्थल का नाम मुछाला महावीर पड़ा है।

6. फालना स्वर्ण जैन मंदिर।Falna Jain Golden Temple।

फालना स्वर्ण जैन मंदिर को राजस्थान का प्रथम स्वर्ण मंदिर होने का गौरव प्राप्त है। पाली के फालना कस्बे में निर्मित यह स्वर्ण मंदिर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है।यह आधुनिक जैन मंदिर है।

जिसे संगमरमर में बनाने के उपरांत इस मंदिर की छत और दीवारों एवं खंभों को स्वर्ण परत से रंगा गया है।

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