खिलौना उद्योग में भारत बन रहा है आत्मनिर्भर।
India become self dependent in Toys Industry In Hindi।
एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में खिलौनों का बाजार करीब 100 बिलीयन डॉलर का है।वही भारत मे खिलौना बाजार (toys industry in India) लगभग 1.5बिलियन डॉलर का है। भारत में वर्ष 2011 से 2021 के बीच खिलौना बाजार में करीब 18% की वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत में 1 वर्ष में 3500 से 4500 करोड़ रुपये के खिलौने बेचे जाते हैं। लेकिन इसमें भारतीय खिलौना उद्योग की हिस्सेदारी वर्तमान में केवल 15 फ़ीसदी है। शेष 85 फीसदी बाजार पर विदेश से आयात होने वाले खिलौनों का कब्जा है।
बच्चों के शारीरिक मानसिक व भावनात्मक विकास में खिलौनों का बड़ा योगदान होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है,कि जो खिलौना हम अपने बच्चों को खेलने के लिए दे रहे हैं वह कितना सुरक्षित है?
भारतीय गुणवत्ता परिषद की एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के खिलौने पूरी तरह सुरक्षित नहीं है दिल्ली में 121 प्रकार के खिलौनो के प्रयोगशाला परीक्षण में यह बात सामने आई है। विदेशों से आयातित 70 फीसदी खिलौने गुणवत्ता परीक्षण में फैल रहे हैं।
दूसरी और भारतीय खिलौना उद्योग (toys industry in India) जो अभी तक विदेशों से आयात होने वाले इन खिलौनों की वजह से मजबूत नहीं हो पा रहा है उसके लिए केंद्र सरकार एक नई उम्मीद लेकर आई है।
भारतीय खिलौना बाजार|
पारंपरिक रूप से देखें तो भारत कई खिलौना समूह (toys industry in India) और हजारों कारीगरों का घर है। भारतीय खिलौना बाजार में बहुत सामर्थ्य है और यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वह “वोकल फ़ॉर लोकल” को बढ़ावा देकर उद्योग में एक संरचनात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
भारत में भी ऐसे खिलौने बनाए जाए जिसमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की झलक हो और उस खिलौने को देख कर दुनिया वाले भारतीय संस्कृति, पर्यावरण के प्रति भारत की गंभीरता और भारतीय मूल्य को समझ सके।
वर्तमान में भारतीय खिलौना उद्योग (toys industry in India) में खिलौना क्लस्टर के तौर पर उभर रहे कर्नाटक के रामनगर के चन्नपटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के कोंडापल्ली, तमिलनाडु के तंजावुर, असम के धुबरी, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जैसे क्षेत्रों का भी अहम योगदान है। भारत में भी उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले खिलौने बनाए जाते हैं जिसका एक उदाहरण है ईटी को-कोप्पाका जिसे विशाखापत्तनम के सी भी राजू ने बनाया है।
भारत में खिलौना उद्योग की वर्तमान स्थिति क्या है?(Present condition of Indian Toys Market)
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग और वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अभी भारत में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग(msme) सेक्टर के अंतर्गत 4000 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट काम कर रही हैं।इनमे 75% सूक्ष्म, 22% लघु व मध्यम और 3% बड़ी इकाइयां है।
बतौर निर्माता फन स्कूल (Fun School) की बाजार में 30% हिस्सेदारी है। इसके बाद खिलौनों के ब्रांड मेटल 20% और हेसब्रा 9 प्रतिशत के साथ क्रमशः दूसरे व तीसरे नंबर पर है। सस्ते और गैर ब्रांड के अधिकतर खिलौना बाजार पर चीन और ताइवान का कब्जा है।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने इस क्षेत्र में भारतीय उद्योगों को पुनः स्थापित करने और भारत में मिलने वाले खिलौनों की (toys in India) गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए हैं।खिलौनों की गुणवत्ता परखने के लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद ने इन पर एक व्यापक सर्वे किया है।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिनियम के तहत 25 फरवरी 2020 को एक आदेश जारी किया गया था।
इस आदेश के अनुसार भारत में बनाए जाने वाले या आयातित सभी खिलौने भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड के अनुसार निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार होंगे। खिलौनों की बेहतर गुणवत्ता के लिए बाहर से आयातित खिलौनों पर विदेश व्यापार नीति को भी कठोर किया गया है।
निश्चित तौर से खिलौना उद्योग में नीतिगत बदलाव और देश की जनता के सहयोग से खिलौना क्षेत्र में भी दुनिया भारत का डंका महसूस करेगा।