कार्बन कर क्या है ? What Is Carbon Tax, Carbon Sink And The Social Cost Of Carbon?

कार्बन कर क्या है?।WHAT IS CARBON TAX?

कार्बन(CARBON) कर एक पर्यावरण का कर(TAX) है। जिसे सामान्यत: जीवाश्म ईंधन(FOSSIL FUELS) के दहन के परिणाम स्वरूप उत्पन्न होने वाली हरित गृह गैसों(GREEN HOUSE GASES) के उत्सर्जन पर आधारित कर के रूप में परिभाषित किया जाता है । 
यह कार्बन कर उस हाइड्रोकार्बन में उपस्थित कार्बन की मात्रा पर लगाया जाता है। यह कार्बन मूल्यन का एक रूप है एवं कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के स्तर से प्रत्यक्ष रूप में संबंधित है। जीवाश्म ईंधन – कोयला पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस में मुख्य रूप से हाइड्रोकार्बन का संयोजन होता है। जीवाश्म ईंधन के दहन के फलस्वरुप हाइड्रोकार्बन OXIDISED होकर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है। कार्बन डाइऑक्साइड एक हरित गृह गैस है। जीवाश्म ईंधन के विपरीत नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत जैसे- पवन ऊर्जा(WIND ENERGY), ज्वारीय ऊर्जा(TIDAL ENERGY),भूतापीय ऊर्जा(GEO-THERMAL ENERGY) एवं सौर ऊर्जा(SOLAR ENERGY) कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
Carbon Tax लागू करने का उद्देश्य CO2 उत्सर्जन में कमी लाना है। जो वर्तमान में जलवायु परिवर्तन (Climate Change)का एक मुख्य कारण बन गया हैं। कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए मूल्य अदा करना संपूर्ण अर्थव्यवस्था में मूल्य संकेतक का कार्य करेगा। कार्बन कर व्यय में कमी हेतु मानव व्यवसाय आदि में जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता घटाने का प्रयास करेंगे। तथा वे स्वच्छ ईंधन अपनाने की ओर तथा पर्यावरण अनुकूलन तकनीक की ओर अग्रसर होंगे।

विश्व में सर्वप्रथम किस देश ने कार्बन कर(Carbon Tax) लगाने की शुरुआत की थी?

सर्वप्रथम 1992 में फिनलैंड नामक देश ने  कार्बन कर लगाया था।

कार्बन सिंक(Carbon Sink)क्या होता है?

विश्व के वे भौगोलिक क्षेत्र जहां की वनस्पतियां या मृदा वायुमंडल में विद्यमान कार्बन डाइऑक्साइड को सोख(Absorve) लेती है।उन क्षेत्रों को Carbon Sink कहते है। वायुमंडल से कार्बन को absorve करने की इस पूरी प्रक्रिया को कार्बन का पृथक्करण कहा जाता है। क्योटो प्रोटोकॉल के पारित होने के पश्चात जन समुदाय Carbon Sink के महत्व से परिचित हुआ है। समुद्र एवं वन प्राकृतिक सिंक के रूप में जबकि लैंडफिल व अन्य मानव निर्मित संग्रहण क्षेत्र कृत्रिम सिंक के रूप में कार्य करते हैं मृदा भी कार्बन संग्रहण का कार्य करती है।

What is the Social Cost Of Carbon?( कार्बन का सामाजिक मूल्य क्या है?)

कार्बन का सामाजिक मूल्य वह मार्जिनल एक्सटर्नल कॉस्ट है जो किसी विशेष समय मैं एक अतिरिक्त टन कार्बन का उत्सर्जन करने पर लगाया जाता है। जो जलवायु परिवर्तन का कारक हो सकता है। कार्बन के सामाजिक मूल्य की गणना कार्बन के वातावरण में ठहरने के समय एवं जलवायु परिवर्तन पर उसके प्रभाव के आकलन के आधार पर की जाती है।

कार्बन कर का कार्यान्वयन कैसे किया जाता है?(How Carbon Tax is Implemented?)

संयुक्त राष्ट्र संघ में जलवायु परिवर्तन पर ढांचागत सम्मेलन के अंतर्गत जताई गई प्रतिबद्धताओं के फलस्वरूप कार्बन कर लगाने की पहल की गई है।
भारत में भी इस क्रम में कार्बन कर लगाया जाता है जिसकी शुरुआत 2010 में स्वच्छ ऊर्जा उपकर(CLEAN ENERGY CESS) के रूप में की थी। जो ₹50 प्रति टन कोयला उत्खनन या आयात पर 2010 में लगाया गया था। जिसे 2014 के बजट में बढ़ाकर ₹100 प्रति टन एवं 2015 में पुनः बढ़ाकर ₹200 प्रति टन तक कर दिया गया है।

सामान्यत किसी ईंधन के अंतर्गत हाइड्रोकार्बन जलता है जिसका मुख्य तत्व कार्बन है। एवं इसी हाइड्रोकार्बन के कार्बन तत्व के जलने के परिणाम स्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन होता है।किसी हाइड्रोकार्बन के अंतर्गत एक मोल कार्बन के जलने से निर्गत कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 4 मोल के बराबर आती है। अतः एक मोल कार्बन या चार मोल कार्बन डाइऑक्साइड पर समान कर ही लगेगा। विभिन्न प्रकार की ईंधनों में हाइड्रो कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। तथा निर्गत कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा प्रत्येक ईंधन के जलने से भिन्न-भिन्न आती है।अतः आरोपित कार्बन का मान हर ईंधन में अलग- अलग होगा।

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