अफ्रीकन स्वाइन फीवर(asf) क्या है? कैसे फैलता है? एवं इससे कौन से पशुओं को नुकसान हो सकता है?
अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF)
सूअरों की एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। अपने तीव्र रूप में रोग आमतौर पर उच्च मृत्यु दर का परिणाम होता है। एएसएफ स्वाइन फ्लू से अलग बीमारी है। वायरस लोगों को प्रभावित नहीं करता है और मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली पशुओं में होने वाला एक बेहद ही संक्रामक रक्तस्रावी वायरल रोग है। यह एसफेरविरिडे (Asfarviridae) परिवार के एक बड़े DNA वाले वायरस की वजह से होता है। इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था। ये भी पढ़े :-विश्व कैंसर दिवस
अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF)घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल (Hemorrhagic Viral) बीमारी है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर(ASF) रोग के लक्षण।
- उच्च बुखार
- अवसाद
- एनॉरेक्सिया
- भूख में कमी
- त्वचा में रक्तस्राव
- डायरिया।
यह पहली बार वर्ष 1920 के दशक में अफ्रीका में पाया गया था।ऐतिहासिक रूप से, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों, दक्षिण अमेरिका और कैरीबियन में संक्रमण की सूचना मिली है।हालाँकि, वर्ष 2007 के बाद से, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू और जंगली सूअरों में इस बीमारी की सूचना मिली है।
इसमें मृत्यु दर लगभग 95-100% है और इस बुखार का कोई इलाज़ नहीं है, इसलिये इसके प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।अफ्रीकी स्वाइन फीवर(ASF) मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर(ASF), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक बीमारी है।
नैदानिक संकेत:
ASF बीमारी के लक्षण तथा मृत्यु दर वायरस की क्षमता तथा सुअर की प्रजातियों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
तीव्र रूप में सूअर का तापमान उच्च (40.5 डिग्री सेल्सियस या 105 डिग्री फरेनहाइट) होता है, फिर यह सुस्त हो जाते हैं और अपना भोजन छोड़ देते हैं।
ASF के लक्षणों में:
- उल्टी
- दस्त (कभी-कभी खूनी)
- त्वचा का लाल होना या काला पड़ना, विशेष रूप से कान और थूथन
- श्रमसाध्य साँस लेना और खाँसना
- गर्भपात, मृत जन्म और कमज़ोर बच्चे
- कमजोरी और खड़े होने में असमर्थता।
ASF के लक्षणों में उच्च बुखार, अवसाद, भूख में कमी, त्वचा में रक्तस्राव (कान, पेट और पैरों पर आदि की त्वचा का लाल होना), गर्भपात होना आदि है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर(ASF) का प्रसारण:
संक्रमित सूअरों, मल या शरीर के तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आना।
उपकरण, वाहन या ऐसे लोग जो अप्रभावी जैव सुरक्षा वाले सुअर फार्मों के बीच सूअरों के साथ काम करते हैं, जैसे फोमाइट्स के माध्यम से अप्रत्यक्ष संपर्क।
संक्रमित सुअर का मांँस या मांँस उत्पाद खाने वाले सूअर।
जैविक वैक्टर – ऑर्निथोडोरोस प्रजाति के टिक्स।
राजस्थान में सुअरों में फैला African swaine fever।ASF
पहले गोवंश में लम्पी फिर घोडों में ग्लैंडर्स रोग और अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने प्रदेश में दस्तक दे दी है। शूकरों में फैलने वाला यह संक्रमित रोग राजधानी जयपुर में भी प्रवेश कर चुका है। जानकारी के मुताबिक रेनवाल में इस बीमारी से अब तक 300 से अधिक शूकरों की मौत हो चुकी है। वहीं अलवर में इसके अब तक 100 से अधिक मामले सामने आए हैं।
ASF के लिए विभाग ने गठित की रैपिड रिस्पॉन्स टीम|
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया है, जो रोग प्रभावित जिलों में जाकर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर शूकर वंशीय पशुओं के सैम्पल एकत्र कर रही है। साथ ही पशुपालकों को रोग की रोकथाम के उपाय बता रही है साथ ही प्रभावित जिलों में डोर टू डोर सर्वे का काम भी शुरू किया गया है।