सिंधु घाटी सभ्यता से प्राचीन सभ्यता चंद्रावती सभ्यता(CHANDRAWATI CIVILIZATION)

सिंधु घाटी सभ्यता से प्राचीन सभ्यता चंद्रावती सभ्यता(CHANDRAWATI CIVILIZATION OF PARMARS):SIROHI(RAJASTHAN)

आज मैं आपको एक ऐसी प्राचीन सभ्यता से रूबरू करवा रहा हूं जो इतिहास के पन्नों में कहीं खो चुकी है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राजस्थान के दक्षिण में हजारों वर्ष पुरानी एक सभ्यता विद्यमान थी, जो अपने वैभव के चरम पर एक महानगर ज़ितनी विशाल और आकर्षक थी।

चंद्रावती सभ्यता कहां स्थित है?

चंद्रावती सभ्यता जो राजस्थान के दक्षिणतम जिले सिरोही के दक्षिणी भाग में स्थित थी। यह सभ्यता माउंट आबू के पर्वतों से कुछ ही दूरी पर स्थित थी। वर्तमान में चंद्रावती सभ्यता के निकट का शहर आबूरोड माना जाता है एवं यह माना जाता है कि आदिम काल से ही यहां मानव का निवास था। तथा हाल ही में खोजे गए भित्ति चित्रों के माध्यम से अब इस सभ्यता के सिंधु घाटी सभ्यता से भी प्राचीन होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इतिहासकार लगातार इसका अध्ययन कर रहे हैं। चंद्रावती नगर की स्थापना लगभग 57 ईसा पूर्व मौर्य गवर्नर राजा पांडु के द्वारा की गई थी। कालांतर में इसके वैभव में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती गई तथा परमार शासकों के द्वारा इसे अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया गया। 11वीं – 12वीं सदी में यह नगरी एक महानगरी के स्तर तक पहुंच चुकी थी। तथा संवत् 1503 में सोमधर्म रचित ‘उपदेश सप्तशती ग्रंथ’ में चंद्रावती  के 444 जैन मंदिर तथा 999 अन्य मंदिरों का उल्लेख किया गया है जो उस समय के वैभव को दर्शाता है।

चंद्रावती सभ्यता का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

इस नगरी के ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिंधुराज, उत्पलराज, कृष्णराज, धरनी वराह और धारा वर्ष जैसे परमार शासकों ने यहां पर शासन किया तथा इन शासकों के द्वारा विदेशी आक्रमणों के समय आक्रांताओ के दक्षिण भारत में जाने के मार्ग में प्रबल प्रतिरोध उत्पन्न किया। कालांतर में राजधानी को सिरोही स्थानांतरित कर दिया गया और यह वैभवशाली नगरी अतीत के पन्नों में खो गई। कर्नल जेम्स टॉड ने इस नगरी के अवशेषों के बारे में लिखा है कि यहां विभिन्न आकार प्रकार वाली बीस इमारते  थी। यहां पर मिली 138 मूर्तियों में त्रियंबक (तीन मुंह वाली आकृति), घुटने पर बैठी हुई स्त्री, 20 भुजाओं वाले शिव जिनके बाई और एक महेष है। और दाहिना पैर उठाकर गरुड़ जैसी आकृति पर रखा हुआ है। एक महाकाल की 20 भुजाओं की प्रतिमा भी मिली है। कर्नल जेम्स टॉड ने मंदिर के भीतरी भाग और मध्य के गुंबद की कलाकारी को बारीक एवं उच्च कोटि का बताया है। 

लेकिन अंग्रेजों के समय जब यहां रेल लाइन का काम चल रहा था, तब काफी अवशेषों को निर्माण सामग्री के तौर पर काम में ले लिया गया। कुछ बचे हुए अवशेषों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय का स्थापत्य बेजोड़ था। तथा मानव जीवन में संगीत आदि का बहुत महत्व था। वर्तमान में यहां एक राजकीय संग्रहालय है। जिसमें कई अवशेषों को संरक्षित किया गया है। तथा हाल ही में की गई खुदाई में यहां पर एक और किले के ऊंचाई पर स्थित होने के संकेत मिले हैं जो यह दर्शाता है कि शायद इस नगरी के पूरे वैभव को अभी तक हम पूर्णतया नहीं जान पाए हैं। 

तो इस बार जब भी गुजरात की और आप जाए तो आबूरोड नगरी के पास स्थित चंद्रावती नगर को जरूर देखें।

1 thought on “सिंधु घाटी सभ्यता से प्राचीन सभ्यता चंद्रावती सभ्यता(CHANDRAWATI CIVILIZATION)”

Leave a Comment