ज्वार- भाटा क्या होता है एवं क्यों आता है ?What is the tide and why does it come?
ज्वार- भाटा क्यों आता है ?
यदि तुमने समुद्री देशों कि यात्रा की होगी , तो देखा होगा की समुद्र का पानी सहसा उमड कर आस- पास के खाली स्थानों में भर जाता है, या ऐसे स्थानों में भर जाता है जो उससे संबधित होते हैं | कुछ देर के पश्चात वह पानी वापस समुद्र में चला जाता हैं।यह क्रिया प्रायः प्रतिदिन होती है। बता सकते हो इसे क्या कहते है ?
इसे ज्वार भाटा कहते है प्रतिदिन दो बार ज्वार ओर दो बार भाटा आता है , आओं, अब यह समझे की ज्वार भाटा क्यों आता है?
पृथ्वी, सूर्य,और चन्द्रमा तीनों में आकर्षण शक्ति है।तीनो आपसी आकर्षण शक्ति से ही अपने- अपने स्थान पर रुके हुए हैं। सूर्य , पृथ्वी और चन्द्रमा दोनों से बहुत बड़ा है।उसमें दोनों से आकर्षण शक्ति भी अधिक है।वह दोनों को अपनी ओर खींचता है, पर चद्रमा और पृथ्वी में भी आकर्षण शक्ति है। अत: वे दोनों खीचकर सूर्य के पास तो नही चले जाते , पर तनाव तो होता ही है।चन्द्रमा और पृथ्वी में भी खिंचा खिंची होती है ।इस तरह सूर्य , पृथ्वी और चन्द्रमा-तीनों में बराबर खिंचा- खिंची होती रहती है।
सूर्य के खिंचाव का उतना अधिक प्रभाव पृथ्वी पर नही पड़ता , जितना चन्द्रमा के खिंचाव का पड़ता है इसका कारण यह है की सूर्य पृथ्वी से बहुत दूर और चन्द्रमा बहुत निकट है।पृथ्वी आपनी धुरी पर सदा घुमती रहती है,चन्द्रमा भी पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाता रहता है।घूमता हुआ चन्द्रमा,पृथ्वी को अपनी ओर खिचता है। फलस्वरूप पृथ्वी पर लहराते हुए समुद्रो का पानी ऊपर उठ जाता है। ओर उमड़ कर आस -पास तथा खाली स्थानों में भर जाता है। पृथ्वी पर दो प्रकार की वस्तुएं है- ठोस ओर पानी।ठोस की अपेक्षा समुद्र का पानी चद्रमा के अधिक निकट हैं। चन्द्रमा दोनों प्रकार की वस्तुओ को अपनी ओर खींचता है पर उसके खिचाव का प्रभाव जितना अधिक समुन्द्र के पानी पर पड़ता है उतना ठोस वस्तुओ पर नही पड़ता। फलस्वरूप ठोस वस्तुएं तो अपने स्थान पर ही स्थिर रहती है पर समुन्द्र का पानी उमड़कर चारो ओर फैल जाता है।समुन्द्र का पानी पृथ्वी पर भित्र –भित्र स्थानों में है।चन्द्रमा के खींचाव का प्रभाव प्रत्येक स्थान के समुन्द्र के पानी पर पड़ता है। जब जहाँ जैसा प्रभाव पड़ता है उसी के अनुसार समुद्र का पानी उमड़कर चारो ओर फैलता है।कभी तो उस प्रभाव के कारण एक दिशा में फैलता है ओर कभी उससे विपरीत दिशा में फैलता है। पानी के इस फैलने को ज्वार कहते है।
पानी के जिस स्थानों पर चन्द्रमा की किरणें समकोण पड़ती है उन स्थानों में पानी उमडकर फैलता है उसे भाटा कहते है। इस प्रकार चन्द्रमा के खींचाव के कारण सुमुद्र में बराबर ज्वार-भाटा आया करता है।जिस प्रकार चन्द्रमा के खींचाव से ज्वार-भाटा आता है। उसी प्रकार सूर्य के खिंचाव से भी आता है।सूर्य और चन्द्रमा जब दोनों एक सिध में होते है तो दोनों के खिंचाव का प्रभाव एक साथ ही समुन्द्र पर पड़ता है।पूर्णिमा ओर अमावस्या के दिन सूर्य ओर चन्द्रमा एक सीध में रहते हैं फलस्वरूप दोनों के खिंचाव का बहुत बड़ा प्रभाव समुन्द्र पर पड़ता है ओर बड़े जोर का ज्वार-भाटा आता है। जब सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के समकोण की स्थिति में होते है तो दोनों एक-दुसरे के खिंचाव के प्रभाव को कम करते है ।फलस्वरूप समुन्द्र में कम ऊँची लहरें उठती है उसे लघु ज्वार कहते हैं ।प्रत्येक पक्ष की सप्तमी ओर अष्टमी को लघुज्वार आते हैं।
ज्वार-भाटा की परिभाषा क्या है?
चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल के नियतकालिक उठने या गिरने को ज्वार भाटा कहते हैं।
विश्व का सबसे ऊंचा ज्वार भाटा कहां आता है?
विश्व का सबसे ऊंचा ज्वार भाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता है।
ज्वार भाटा का महत्व क्या है?
पृथ्वी, चंद्रमा व सूर्य की स्थिति ज्वार की उत्पत्ति का कारण है। यह नौका संचालकों वह मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है।नौ संचालन में ज्वारीय प्रभाव का अत्यधिक महत्व है। ज्वार भाटा तलछटो के डिसिल्टेशन में भी मदद करता है। तथा ज्वारनदमुख से प्रदूषित जल को बाहर निकालने में भी।ज्वार भाटा का इस्तेमाल विधुत शक्ति (कनाडा,फ्रांस,रूस एवं चीन) उत्पन्न करने में भी किया जाता है। एक 3 मेगावाट शक्ति का विद्युत संयंत्र भारत के पश्चिम बंगाल में सुंदरवन के दुर्गा दुवानी क्षेत्र में लगाया गया हैं।
निष्कर्ष: पृथ्वी पर ज्वार भाटा आने का मुख्य कारण निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि सूर्य, चंद्रमा व पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति तथा अपकेंद्रीय बल मिलकर ज्वार भाटा लाते हैं।
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