छोटे बच्चों को नहलाने के तरीके (Bathing tips for Infant)
छोटे बच्चों को स्नान कराना बहुत ही सावधानी वाला कार्य होता है।
छोटे बच्चे अपने आप को संभाल नहीं पाते हैं, इसलिए माता को ही बच्चे को ठीक प्रकार से संभालते हुए स्नान कराना पड़ता है। स्नान के पश्चात देखभाल किस प्रकार से की जाए, यह भी एक विशेष विषय होता है।जिस पर समस्त माताओं को ध्यान देना आवश्यक है। यहां पर बच्चों को नहलाने से संबंधित जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत स्नान से पहले की देखभाल तथा स्नान के बाद की देखभाल दोनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है।
स्नान से पहले की देखभाल
स्नान कराने से पहले आप अपने शिशु को पूरी तरह शांत और संतुष्ट कर ले। यह आपके शिशु के लिए लाभदायक और उसे बहुत आनंद देने वाला होगा और आपको भी अपने शिशु को भरपूर प्यार करने का अवसर मिलेगा। बच्चे को स्नान करवाना अपने आप में इतना आसान नहीं होता, जितना लगता है। इसमें कई बार अनेक प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं।आपके सामने किसी प्रकार की समस्या नहीं आए इसलिए बच्चे को स्नान कराने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
शिशु के स्नान के लिए सामान तैयार कर ले:-
नवजात शिशु को नहलाना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए योजना और तैयारी इस कार्य को न केवल आसान बनाएगा बल्कि सुरक्षित भी बनाएगा। यदि पहले से ही सारी तैयारी है, तो शिशु के लिए नहाना एक मस्ती और आप दोनों के लिए नहाने का समय आनंद भरा हो सकता है। इन आसान तरीको के अनुसार चलें और शिशु स्नान को उमंग भरा बनाएं-
बच्चों को नहलाने के लिए उपयुक्त समय-
जब आप तथा शिशु दोनों प्रसन्न हो, ऐसे समय में शिशु को स्नान कराया जाना चाहिए। शिशु का स्नान एक थकान भरी क्रिया है और इस प्रक्रिया को आनंददायक बनाने के लिए शारीरिक ऊर्जा और सकारात्मक मन होना बहुत आवश्यक है।
नहाने के लिए जरूरी चीजें-
शिशु को स्नान कराने के लिए जिन-जिन चीजों की जरूरत होती है उन्हें जमा कर ले और अपनी पहुंच के अंदर रखें। तेल और साबुन लगे हाथों से शिशु को नहलाते समय सामान ढूंढना खतरनाक हो सकता है। आप स्नान के टब या बाल्टी में भी यह सामान जमा करके रख सकती है। जिससे नहलाने से पहले रोज-रोज उन्हें ढूंढना और जमा करना नहीं पडे।
सुरक्षा का पहला नियम है, कि इस समय एक सेकेंड के लिए भी अपने शिशु को अकेला नहीं छोड़े। यदि दरवाजे की घंटी बजती है,तो किसी और को देखने के लिए बोले। अकेली है ,तो मत जाइए। मोबाइल को भी स्विच ऑफ कर दे।
- शिशु स्नान के समय आप एप्रिन पहने या फिर इसी उद्देश्य के लिए 1 जोड़ी कपड़ा रखें क्योंकि आपका कपड़ा भी शिशु को नहलाते समय भीगता है।
- आप जब पूरी तरह तैयार है और निश्चित हो चुकी है कि आप अपने शिशु को नहला सकती है तभी उसे नहलाएं।
शिशु को नहलाने के लिए तैयार करना:-
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार दूध पिलाने और मालिक अथवा स्नान के बीच आधा घंटे का अंतराल रखना चाहिए। स्तनपान करने के बाद रक्त का संचार आँत की ओर बढ़ता है,ताकि उसे आहार को पचाने के लिए अधिक ऊर्जा प्राप्त हो सके। मालिश एवं स्नान इसके प्रभाव को रोकता है, और पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है। जब शिशु नहाने के लिए तैयार हो जाए,तो उसे मुलायम आधार यानी तोलिया/पुराना कंबल या चादर पर धीरे से लेटाये। धीरे से उसका कपड़ा उतारे। शिशु अगर बेटा है तो उसे नीचे के अंगों में मालिश करने से पूर्व तक डायपर पहने रहने दे,क्योंकि वह पेशाब कर सकता है।
याद रखने योग्य बातें:-
शिशु को स्नान कराना उसे स्वच्छ करना मात्र नहीं है,अपितु यह शिशु के खेलने का भी समय है और इसी दौरान माता-पिता अपने शिशु के साथ संबंध प्रगाढ़ बना सकते हैं। साबुन से लिपटे व भीगे हुए शिशु को थामना डर लगने वाला काम हो सकता है, खासकर उनके लिए जो पहली बार माता-पिता बने है। इसलिए आगे की योजना बनाएं, शांत रहे,अपने ऊपर विश्वास रखें और डरने की अपेक्षा इस प्रक्रिया का आनंद लें। शिशु की मालिश के बाद उसे नहाने की योजना शुरू कर दें।चर्म रोग विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु की मालिश के बाद काफी देर तक तेल लगे बदन में छोड़ देने से रोम छिद्र बंद हो सकते हैं। और शिशु को त्वचा का इन्फेक्शन भी हो सकता है।
क्या शिशु को प्रतिदिन नहलाना चाहिए?
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार यदि आप पहली बार माता-पिता बने हैं,और शिशु को नहलाने को लेकर आपको खुद पर विश्वास नहीं है, तो पहले एक या दो सप्ताह तक उसे स्पंज बाथ करवाये यानी मुलायम तौलिए को हल्के गुनगुने पानी में भिगोकर निचोड़ कर हल्के हाथों से शिशु का बदन पोंछे, फिर उसे पानी रखे टब में नहलाने की प्रक्रिया शुरू करें। विशेषज्ञ की राय है कि यदि आपमें उसे नहलाने का विश्वास ना आए तो आप 3 सप्ताह में एक बार उसे नहला सकते हैं। और ऐसा करके उसके स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं कर रहे, क्योंकि जब तक शिशु घूमना नहीं शुरू करता तब तक वह प्राय गंदा नहीं होता।इसके अलावा हर बार डायपर बदलने के बाद और दूध पिलाने के बाद उसके उन अंगों की सफाई की जाती है जिन को सबसे ज्यादा साफ रखने की आवश्यकता होती है। शिशु के नहाने का पानी हल्का गुनगुना होना चाहिए। ना की भाप उड़ता हुआ अथवा गर्म, खासकर जिस शिशु के सूखी त्वचा है उनके स्नान का पानी नाममात्र का गर्म होना चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार गर्म पानी त्वचा की प्राकृतिक चिकनाई को खत्म कर देता है और रूखापन बढ़ा देता है। अपने शिशु की बहती हुई नाक के सूखे म्यूकस को पोछने के लिए साफ मुलायम कपड़े को गिला करके म्यूकस को भी गिला करके फिर साफ करें।
शिशु को नहलाने का सामान:-
- स्नान टब– यदि आप बाथ टब इस्तेमाल करना चाहती है तो ऐसा टब खरीदे जिसका ऊपरी किनारा चौड़ा हो और जिस पर आपके हाथ टिक सके।
- नहाने का साबुन– जन्म के 3 महीने तक आप अपने शिशु के बाल धोने के लिए भी बेबी शॉप का इस्तेमाल कर सकती है। अपने शिशु के स्नान के लिए ऐसे साबुन का प्रयोग करें जो प्राकृतिक हो, जड़ी-बूटी युक्त हो और जिसमें खुशबू नहीं हो।
- Shampoo– डॉक्टर टियर-फ्री शैंपू अर्थात ऐसे शैंपू के प्रयोग की सलाह देते हैं, जिससे प्रयोग करने पर शिशु की आंखों में जलन नहीं हो और आंसू नहीं निकले।
- तोलिया अथवा बदन पोंछने का कपड़ा- सिर ढकने वाले तौलिए से शिशु का सिर आराम से सूख जाता है। शिशु के लिए महीन सूती अथवा टर्किश तौलिए को प्राथमिकता दें। क्योंकि इसमें पानी सोखने की क्षमता सबसे अधिक है और यह कई बार धो लेने के बाद भी मुलायम बने रहते हैं।
याद रखने वाले कुछ विशेष बातें
- सर्दियों में शिशु को देर तक नहीं नहलाये क्योंकि पानी से शिशु की त्वचा रूखी होती है।
- डूबने के खतरे से बचने के लिए कभी भी टब में पूरा पानी नहीं भरे। 6 महीने तक टब में 3 से 4 इंच तक ही पानी भरे। जब शिशु बैठने लग जाए तब भी उसके कमर से ऊपर पानी नहीं होना चाहिए।
- शिशु को साबुन के बुलबुले वाले पानी में नहीं बिठाए इससे उसके पेशाब के रास्ते में जलन उत्पन्न हो सकती है।
- शिशु के चेहरे पर साबुन नहीं मले, क्योंकि यह उसके लिए आनंददायक नहीं होता और इससे खतरा भी रहता है।
छोटे बच्चों को स्नान के बाद की देखभाल कैसे करें?
स्नान के बाद की देखभाल, स्नान से पूर्व की मालिश और स्नान जितनी ही महत्वपूर्ण है। स्नान के बाद में शिशु की त्वचा इस बात पर निर्भर करती है, कि इस दौरान आपने उसकी त्वचा का कितना ध्यान रखा। स्नान के बाद की देखभाल आपको अपने शिशु को प्यार करने और उसके साथ कुछ और वक्त गुजारने का मौका देती है। ताजा-ताजा नहाए हुए और क्रीम और लोशन की खुशबू से युक्त मुस्कुराते हुए शिशु को प्यार करने का दिल किसका नहीं करता। अब जानिए कि कैसे आप का शिशु तन और मन से तरोताजा बना रहता है-
सुखाना– नहलाने के बाद शिशु को तौलिए में लपेटकर बाथरूम की सूखी जगह या बेडरूम में लाएं।उसे पोछने के लिए मुलायम तोलिया ही प्रयोग करें। उसे थपथपा कर ही पोंछे। रगड़े नहीं, चर्म रोग विशेषज्ञों का कहना है,कि रगड़ने से शिशु की त्वचा जल सकती है। और उसकी त्वचा में मौजूद नमी व चिकनाई समाप्त हो सकती है। शिशु को कपड़ा पहनाने के लिए उसे कंबल या बदलने वाले पेड़ पर लिटाये।
- नहाने के तुरंत बाद शिशु को सीधे ठंडे कमरे में लेकर नहीं जाए।
- बेटे को नहाने के तुरंत बाद डायपर जरूर पहना दे अन्यथा कपड़े पहनाने के वक्त यदि उसने पेशाब कर दिया,तो उसका नहाना बेकार हो जाएगा।
- शिशु के कपड़े के ऊपर कपड़े को नम करने वाली वस्तु खासकर गिला तोलिया कभी नहीं रखे। इससे शिशु में खुजली व एलर्जी हो सकती है।
क्रीम/लोशन लगाएं
चिकित्सकों के अनुसार भारतीय बच्चों में रूखी त्वचा एक आम समस्या है। त्वचा को नमी युक्त रखना बहुत आवश्यक है। यदि यह रुखि होती है, तो इसमें खुजली होने लगती है। इससे त्वचा छिल सकती है या फिर इसमें जलन हो सकती है। जिससे संक्रमण हो सकता है। इसलिए नहाने के बाद जब शरीर पहले से ही नमी युक्त है तो मालिश के द्वारा पूरे बदन में ही क्रीम या लोशन लगाएं।
छोटे बच्चों को कौन सी क्रीम अथवा लोशन लगाना चाहिए?
सामान्य स्वस्थ त्वचा के लिए हल्का लोशन लगाएं। यदि त्वचा अधिक रूखी है तो गाढी क्रीम या लोशन का प्रयोग करें। जैतून और बादाम तेल युक्त क्रीम अथवा लोचन त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करता है। और त्वचा में खींचाव भी बना रहता है। बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह से आद्रता युक्त दवा का प्रयोग भी किया जा सकता है।
कुछ विशेष बातें जीने याद रखना चाहिए
- बेबी लोशन क्रीम रसायनों से मुक्त होनी चाहिए। इनमें पशु से संबंधित उत्पाद, रंग, खुशबू और कच्चे तेल से संबंधित उत्पाद नहीं हो।
- जड़ी-बूटियों के सत्व से युक्त क्रीम त्वचा के प्राकृतिक गुणों को बनाए रखती है।
- बच्चे को कभी भी बड़ों की क्रीम नहीं लगाएं,क्योंकि उनमें खुशबू और ऐसे तत्व होते हैं,जो शिशु की त्वचा में खुजली पैदा कर सकती है। यह इतनी गाढी होती है कि शिशु की त्वचा को सोखने में काफी समय लग जाता है।जिससे शिशु की त्वचा में रोम छिद्र बंद भी हो सकते हैं।
- शिशु के लिए पाउडर का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए, क्योंकि इनके बहुत महीन कणों से शिशु की नासिका छिद्र और फेफड़ों में परेशानी उत्पन्न हो सकती है। यदि शिशु को घमोरियां हो जाती है, तो कोई भी मेडिकेटेड औषधि युक्त पाउडर प्रयोग करने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
शिशु को कपड़े पहनाना
नहाने से पहले शिशु के कपड़े तैयार रखें। पूरी दुनिया के डॉक्टर शिशु को कृत्रिम कपड़े पहनाने की बजाय सूती कपड़े पहनाने की राय देते हैं। सूती कपड़ों में छिद्र होते हैं,जिससे हवा अंदर तक जाती है और त्वचा सांस ले सकती है।यह पसीने को भी शौख लेता है। जिससे शिशु ठंडा रहता है ,इसलिए यह नियम बनाले, खासकर यदि आपके शिशु को जल्दी एलर्जी हो जाती है, तो कपड़े की पहली परत हमेशा सूती कपड़े की ही पहनाये। सर्दियों के दिनों में भी शिशु को सबसे पहले पूरी बाहों का सूती कपड़ा पहनाये, फिर उसके ऊपर ऊनी कपड़े पहनाये।
शिशु को कपड़े पहनाने के तरीके
शिशु को कपड़े पहनाना और उतारना आसान हो जाएगा यदि आप यह समझ ले कि शिशु का सिर अंडाकार होता है, ना कि डोनट्स की तरह। टी-शर्ट के गले को गोल फैलाने के स्थान पर लंबाई में खींचे और पूरी टीशर्ट को मोड़कर घुमावदार बना ले, फिर शिशु के सिर के पीछे की ओर से आहिस्ता से सिर व नाक को दबने से बचाते हुए इसे गर्दन तक सरकाये। गर्दन में टीशर्ट आ जाने के बाद एक-एक हाथ को इसके आस्तीन में डालकर निकालें। अब कपड़े को पहले पीछे की ओर से ठीक करें, फिर आगे की ओर से कपड़े को उतारने के लिए भी इसी का विपरीत तरीका अपनाये अर्थात पहले पीछे से मोड़े फिर एक-एक कर बाहर निकाले और अंत में गर्दन में गोल फंसे हुए टी-शर्ट को पीछे की तरफ से हल्के से सिर के ऊपर तक सरकाले। टीशर्ट के अलावा अन्य ऊपरी वस्त्र को इसी तरीके से पहनावे और उतारे।
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