कालाधन(BLACK MONEY) देश की अर्थव्यवस्था का दुश्मन

कालाधन देश की अर्थव्यवस्था का दुश्मन(Black money is enemy of country)

काली अर्थव्यवस्था(Black economy)

समानांतर अथवा काली अर्थव्यवस्था, अर्थव्यवस्था का गैर कानूनी क्षेत्र है। इसकी आर्थिक तथा मौद्रिक गतिविधियां सरकारी नियंत्रण से बाहर होती है और यह अपने लाभ पर किसी प्रकार का कर नहीं चुकाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका निश्चित आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 50% भाग तक काली अर्थव्यवस्था हो सकता है, ऐसा अनुमान लगाया जाता है।

समानांतर अर्थव्यवस्था अर्थात काली अर्थव्यवस्था (काला धन) का संपूर्ण अर्थव्यवस्था प्रभाव कैसे पड़ता है?

काली अर्थव्यवस्था का संपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही गंभीर प्रभाव पड़ता है। जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है:-
  • काली अर्थव्यवस्था से किसी प्रकार का कर नहीं प्राप्त होता है जिसके कारण राष्ट्रीय आय में कमी हो जाती है।
  • कालाधन घूसखोरी जैसी कुप्रथा को बढ़ावा देता है। 
  • जिस अर्थव्यवस्था का जितना बड़ा भाग काली अर्थव्यवस्था होती है, उस राष्ट्र का उतना ही कम विकास होता है। 
  • काली अर्थव्यवस्था समाज में असंतुलन को जन्म देती है जिससे सामाजिक तनाव में वृद्धि होती है।

काली अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

काली अर्थव्यवस्था अथवा समानांतर अर्थव्यवस्था का किसी भी देश की प्रगति में बहुत घातक प्रभाव रहता है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए एवं काले धन पर रोक लगाने हेतु सरकार को निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। 
काली अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:-
  • इस प्रकार की अर्थव्यवस्था पर रोक के लिए प्रभाव कारी सरकारी नीति होनी चाहिए, जो इन पर नियंत्रण के लिए कड़े एवं कठोर कानून बनाए और आम लोगों को प्रोत्साहित करें। जिससे जनता इस दलदल में नहीं जाए। 
  • कर की दर में कमी के साथ-साथ एक सरल कर ढांचा तैयार होना चाहिए ताकि लोगों को कर चुकाने में परेशानी नहीं हो।
  • आयात शुल्क में कमी होनी चाहिए ताकि तस्करी को बढ़ावा न मिले। इसके साथ ही साथ इस समस्या के समाधान के लिए निम्न निदान भी किए जाने चाहिए:
  1. विदेशी बैंक में खाता खुलवाने से पहले प्रत्येक भारतीय के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति लेना आवश्यक किया जाना चाहिए।
  2. इसके लिए सभी देशों के केंद्रीय बैंक के साथ आरबीआई को करार करना चाहिए।
  3. जिस देश में खाता खुलवाया जा रहा है। उस देश के भारतीय दूतावास को इसकी जानकारी लिखित में देना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  4. सभी देशों में भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक को दिए जाने के लिए संबंधित देशो की सरकारों से करार होना चाहिए।

पांच प्रमुख देश जिनके नागरिकों का सर्वाधिक धन स्विस बैंक में जमा(black money in swiss bank)

1.भारत 
2.रूस 
3.ब्रिटेन 
4.यूक्रेन व 
5 चीन
भारत की संसद में मनी लॉन्ड्रिंग प्रीवेंशन बिल पास किया हुआ है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य अवैध रूप से प्राप्त किए गए धन की आवाजाही पर निगरानी रखना है, तथा दोषियों को उचित दंड देना है। दंड की न्यूनतम अवधि 3 वर्ष है और यह विशेष परिस्थितियों में बढ़ाकर 10 साल तक हो सकती है। इस प्रकार के कड़े कानून काली अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

विदेशी बैंकों में खाता कैसे खुलता है?(How open an account in foreign bank?)

स्विस बैंकों में खाता खुलवाना बड़ा ही आसान होता है। वर्तमान में डिजिटल युग में ऐसी कई वेबसाइट है, जो ऑनलाइन पेमेंट लेकर के स्विजरलैंड के किसी भी बैंक में खाता खुलवा सकती है। अन्य औपचारिकताएं घर बैठे पूरी की जा सकती है। इसके लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वेबसाइट के एजेंट जो दुनिया भर में फैले हुए हैं एवं हवाला के जरिए धन प्राप्त करके उन्हें स्विस बैंकों तक पहुंचा देते हैं। इस व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाना किसी भी सरकार के लिए कठिन कार्य है,किंतु अगर सरकार उचित कदम उठाए तो काले धन को विदेशों में जाने से रोका जा सकता है।

कर बचाने वालों के लिए स्वर्ग देश कौन से हैं?(Heaven countries for tax savers)

दुनिया भर में लगभग 50 से ज्यादा ऐसे देश हैं, जहां काला धन रखने वालों को काफी सुविधाएं मिलती है। लेकवे इंटरनेशनल इक्विटी लिमिटेड की वेबसाइट पर इन देशों को कर बचाने वालों के स्वर्ग के रूप में दर्शाया हुआ है। उन देशों में से कुछ मुख्य देश अथवा शहर इस सूची में शामिल है। देशों के नाम इस प्रकार है- स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंग्डम, एंटीगुआ, हांगकांग, ऑस्ट्रिया, बहामास, बरमूडा, बारबाडोस, केमैन आईलैंड, कुक आइलैंड, कोस्टारिका, साइप्रस, ग्रेनाडा,आयरलैंड, लाइबेरिया, लक्जमबर्ग, पनामा, माल्टा, मार्शल आईलैंड, मॉरीशस, नीदरलैंड, उरूग्वे, और सिंगापुर
भारत में भी काले धन को लेकर 2014 में भी आंदोलन हुए थे एवं सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था कि काले धन को भारत वापस ला दिया जाएगा किंतु आज दिन तक जितना अनुमान था उतना धन वापस नहीं आ पाया एवं नाही किसी को इस मामले में अभी तक कोई सजा दी गई है।
अगर सरकार पूर्ण मनोयोग से इस कार्य में लगकर भारत के काले धन को अथवा समानांतर अर्थव्यवस्था को नेस्तनाबूद कर दे तथा स्विस बैंकों से समझौता कर जितना भी काला धन है, उसे भारत लाने के लिए प्रयास करें और कालाधन अगर भारत आ जाता है, तो संभव है भारत विकासशील देशों से विकसित देशों की गिनती में भी आ सकता है।

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