आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार राजस्थान में कृषि की स्थिति (Agriculture Status in Rajasthan:Economic review2021-22)
राजस्थान राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। देश के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित राजस्थान अपनी सीमाएं पाकिस्तान के अतिरिक्त गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब के साथ साझा करता है राज्य की अधिकांश आबादी कृषि और संबंधित गतिविधियों जैसे पशुधन और वानिकी पर निर्भर है। राज्य में कोरोना आपदा के कारण विषम वातावरण के बावजूद भी आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार राजस्थान में देश का 78.62% ग्वार, 46.28% सरसों, 45.56% बाजरा, 23.44% चना तथा 19.42% दालों का उत्पादन हुआ है।
राज्य मैं अधिकांश खेती मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर है।एवं सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण अधिकांश क्षेत्रों में वर्ष में केवल एक ही फसल लेना संभव है। राज्य में सर्वाधिक सिंचाई कुओं व नलकूपों से होती है। परंतु राज्य में भूजल स्थिति बहुत विषम है। प्रदेश में 90% वर्षा मानसून सत्र में ही होती है। राज्य में कृषि विकास के समक्ष सबसे बड़ी बाधा वर्षा की अनिश्चितता, कमी तथा सिंचाई सुविधाओं की अपर्याप्तता है। इसके साथ ही प्रदेश को हर वर्ष अनावृष्टि और असमान वर्षा वितरण जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है। इस कारण राज्य में बोए जाने वाले कृषि क्षेत्र तथा कृषि उत्पादन में प्रतिवर्ष उतार-चढ़ाव होते रहते हैं।
आर्थिक समीक्षा 2021 22 के अनुसार राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। इसमें शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 52.58% जो लगभग 180.32 लाख हेक्टेयर होता है तथा खाद्यान्न का कुल उत्पादन 225.20 लाख टन अनुमानित है। आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पादन में कृषि का योगदान 30.30% है। किसान को खेत की उपज बेचने के लिए बाजार की जरूरत रहती है। बाजार में किसानों को उपज का उचित मूल्य बिना कोई कटौती के मिले इसके लिए वर्ष 1961 में राजस्थान कृषि उपज विपणन अधिनियम पारित किया गया था। जिसे वर्ष 1964 में लागू किया गया। यह अधिनियम मंडियों पर नियंत्रण तथा किसानों के हितों की रक्षा करता है।। तथा किसानों को उनकी उपज का उचित एवं प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य दिलाता है। कृषकों की कृषि उपज के विपणन में अवैध कटौती से मुक्ति दिलाना,मंडी प्रांगण में कृषकों को विपणन सुविधा उपलब्ध कराना,कृषि विपणन के ढांचे को सुदृढ़ एवं मंडी क्षेत्रो का वर्गीकरण करना इसका मुख्य काम है।
अभी तक किसान को अपना उत्पाद केवल उसी मंडी के आढ़तियों को ही बेचना पड़ता था जहां वह ऊपज लेकर पहुंचता था। तथा कड़ी मेहनत करने के बाद भी उसे अपने उत्पाद का उचित दाम नहीं मिलता था। और बेची गई फसल का समय पर पैसा भी नहीं मिलता था। इसके अतिरिक्त मंडियों में किसानों के उत्पाद को तोलने के लिए आधुनिक तुलाई की मशीन, उत्पाद को साफ करने के लिए भी कोई सुविधा नहीं थी। उत्पाद कैसा है? उसमें मिलावट कितनी है? गुणवत्ता कैसी है? तिलहन में तेल कितना है? जैसी उपज की परख जो आढ़तिये ने कर दी तथा बोली जो उस मंडी के आढ़तियों ने लगा दी वही मान्य होती थी।
e-NAM PORTAL क्या है?
किसान का कोई निर्णय लागू नहीं होता था। इसके अतिरिक्त और भी कई समस्याएं थी। जिसके कारण किसान को अपने उत्पाद का उचित दाम नहीं मिल पाता था। इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट यानी ई-नाम स्कीम (e-NAM Mandi) पोर्टल की शुरूआत की है। ई-नाम पोर्टल 14 अप्रैल 2016 से कार्य करने लगा तथा सबसे पहले राज्य की विभिन्न चयनित 25 मंडियों में लागू किया गया है। e-NAM (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है।इसमें कृषि उत्पादों के लिए संगठित राष्ट्रीय बाजार को तैयार कर राज्य की 144 मंडियों को ऑनलाइन नेटवर्क से जोड़ा गया है। इसके तहत ऑनलाइन गेट एंट्री, ऑनलाइन आधुनिक तोलने की मशीन, ऑनलाइन प्रयोगशाला, उत्पाद की सफाई तथा ग्रेडिंग के लिए स्वचालित मशीन, ऑनलाइन नीलामी, किसान के खाते में तुरंत ही भुगतान, इनामी कूपन आदि कार्य अब आसानी से होने लगे हैं। इसके अतिरिक्त किसान अपने उत्पाद को मंडी में स्थित प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर ऑनलाइन real-time भाव के अनुसार राज्य तथा देश के किसी भी कोने में बेच सकता है। इस प्रकार राज्य सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार अथक प्रयास कर रही है।
राजस्थान राज्य में दिनांक 14 अप्रैल 2016 को कोटा जिले की रामगढ़ मंडी से राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-नाम पायलट रूप में प्रारंभ किया गया था। वर्तमान में 144 कृषि उपज मंडी समितियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-नाम से जोड़ा जा चुका है। जिनका नियमित सही तरीके से संचालन भी हो रहा है। राजस्थान में ई-नाम से 14लाख93हजार131 किसान, 79हजार950 ट्रेडर, 24हजार808 कमीशन एजेंट, 194 सेवा प्रदाता तथा 194 कृषक उत्पादक संगठन रजिस्टर्ड हुए हैं। राज्य में राष्ट्रीय कृषि बाजार के अंतर्गत कृषि उपज मंडी समितियों में कृषक व्यापारी पंजीकरण, आवक के प्रवेश पत्र, परख जांच, ई-नीलामी, भुगतान आदि कार्य किए जा रहे हैं। ई-नाम मंडी समितियों में गुणवत्ता जांच हेतु राज्य सरकार के अथक प्रयासों से आधुनिक लैब तथा आधुनिक ऑयल टेस्टिंग मशीनों की स्थापना भी की गई है।
राजस्थान में लगभग 90 कृषि जिंसों पर ई- व्यापार किया जा रहा है। राज्य की सभी ई-नाम मंडी समितियों में आधुनिक सुविधाएं जैसे ई- प्रवेश पत्र हेतु इलेक्ट्रॉनिक चेकपोस्ट, ई-नाम सहायता केंद्र, जिंसों की जांच हेतु आधुनिक प्रयोगशाला, ई-नीलामी में भाग लेने हेतु कंप्यूटर एवं इंटरनेट युक्त हॉल, लाइव ई-ट्रेडिंग डिस्पले बोर्ड, नीलामी पश्चात तुलाई हेतु इलेक्ट्रॉनिक तुलाई काटे, व इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा रही है। ई-नाम परियोजना में पंजीकृत 14 लाख90हजार180 किसान व 80 हजार887 व्यापारियों द्वारा परियोजना के आरंभ से माह मार्च 2022 के अंत तक 43 लाख96हजार ढेरी का ई-व्यापार कर 157 करोड 51 लाख रुपये का किसानों के खाते में ई-भुगतान किया गया है।
e-NAM पोर्टल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाने के लिए………..Click here
Good post
Thanks